महाभारतकालीन एक प्राचीन किंवदंती अग्रोहा साम्राज्य की है, जहां एक दयालु और प्रजापालक महाराज अग्रसेन का राज था। दावा किया जाता है कि 5 हजार साल पहले अग्रोहा राज्य में बसने वाले हर व्यापारी को महाराज 1 स्वर्ण मुद्रा और एक ईंट देते थे। इस हिसाब से राज्य में बसने वाले 1 लाख व्यापारियों के पास 1 लाख स्वर्ण मुद्रा और पर्याप्त संख्या में ईंट जमा हो गई। जिसके कारण व्यापारियों को एक ऐसा माहौल मिला जिसमें व्यापार बढ़ाने और घर बनाने में उन्हें सहूलियत हुई। इसका असर यह हुआ कि अग्रोहा बहुत जल्द एक समृद्ध साम्राज्य बन गया। इस तरह किसी राज्य को समृद्ध बनाने की एक परिपाटी ने जन्म लिया ‘व्यापारियों को आमंत्रित कर उनके व्यापार को विस्तार का मौका देना’। जिसने भी इस योजना को अमल में लाया उस राज्य में रोजगार बढ़ा, बाजार का विस्तार हुआ और राजस्व भी बढ़ गया। अब हजारों वर्ष पुरानी इसी परंपरा को वास्तविक रूप से अपनाया है उत्तर प्रदेश की सरकार ने जिससे आस्था की गंगा वाला उत्तर प्रदेश विकास की नई गौरवगाथा लिखने के लिए तैयार दिख रहा है।
दरअसल, ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के सफल आयोजन ने पूरे विश्व में एक नए उत्तर प्रदेश को पहचान दी है। समिट में 40 देशों के मेहमान पहुंचे। 33.50 लाख करोड़ रुपये से अधिक के औद्योगिक निवेश के साथ इस इन्वेस्टर्स समिट ने देश में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। क्या यह उपलब्धि प्रदेश को देश की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने का मार्ग प्रशस्त कर पाएगी? हालांकि इतना तो तय लग रहा है कि मतदाताओं के बाद निवेशकों से मिला ये बंपर ‘विश्वास मत’ योगी सरकार के लिए उत्तर प्रदेश को 1 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था तक पहुंचाने में तो मदद करेगा ही, देश की ग्रोथ को भी रफ्तार देगा। भारत ने साल 2047 तक एक विकसित अर्थव्यवस्था और अगले कुछ वर्षों में 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य तय किया है।
वैसे ये तर्क दिया जा सकता है कि देश के अन्य राज्यों की तरह उत्तर प्रदेश में भी निवेशक सम्मेलन निश्चित रूप से कोई नई पहल नहीं है। पिछली समाजवादी पार्टी सरकार ने तीन निवेशक शिखर सम्मेलन आयोजित किए – आगरा में, दिल्ली में और मुंबई में। साल 2018 में पिछली इन्वेस्टर्स समिट की मेजबान तो योगी सरकार ही थी। लेकिन इस बार का माहौल कुछ बदला हुआ था। इस बार जो नया था, वह था आयोजन में अभूतपूर्व दिलचस्पी और बैठक से पहले राज्य सरकार द्वारा किया गया जमीनी काम। ‘यूपी मतलब बिजनेस’ वाला भाव स्पष्ट था। उदाहरण के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आयोजन से पहले मुंबई में भारतीय उद्योग जगत के दिग्गजों से व्यक्तिगत मुलाकातें की। राज्य सरकार ने विभिन्न भारतीय शहरों और विदेशों में भी कार्यक्रम आयोजित किए। सिंगापुर, डेनमार्क, ब्रिटेन, इटली, यूएई, ऑस्ट्रेलिया, जापान ने निवेशकों की बैठक में यूपी सरकार के साथ एमओयू साइन किए।
पिछले 9 वर्षों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत को जो पहचान मिली है, निश्चित रूप से उत्तर प्रदेश को उसका लाभ इस ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट में मिला है। लेकिन प्रधानमंत्री के ही अनुसार ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के लिए उत्तर प्रदेश ने इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ-साथ अपनी ‘सोच और अप्रोच’ में भी बदलाव किया है। पिछले कुछ वर्षों में उत्तर प्रदेश दुनिया का सबसे बड़ा श्रम बाजार बना है और योग्य एवं प्रशिक्षित युवा इसकी पहचान हैं। उद्यमियों के लिए योगी सरकार की 25 सेक्टोरियल नीति ने प्रदेश में बड़े निवेश को आकर्षित किया है तो सिंगल विंडो सिस्टम ने निवेश की प्रक्रिया को सरल बनाया है। काशी, अयोध्या, मथुरा जैसे शहरों वाले उत्तर प्रदेश में उद्योग परंपरा और आधुनिकता से जुड़े हुए हैं। राज्य में एमएसएमई का बहुत मजबूत नेटवर्क है। आज भारत में 60 फीसद से अधिक मोबाइल निर्माण अकेले उत्तर प्रदेश में होता है। मोबाइल कंपोनेंट्स की भी सबसे ज्यादा मैन्युफैक्चरिंग यूपी में ही होती है।
यदि व्यवसायी राज्य में रुचि दिखा रहे हैं, तो इसकी एक और बड़ी वजह ये भी है कि वे पिछले कुछ दशकों की तुलना में खुद को अधिक सुरक्षित महसूस करते हैं। स्थिर और सक्षम सरकार की सरपरस्ती में उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था में काफी सुधार हुआ है। राज्य प्रशासन की ओर से अपनाए गए कुछ उपायों की आलोचना कठोर कहकर तो की गई है, लेकिन वे प्रभावी साबित हुए हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार, राज्य में कुल अपराध दर में गिरावट देखी गई। 2021 में 6.08 लाख अपराध हुए, जो 2020 में 6.57 लाख घटनाओं से 7.5 प्रतिशत कम और 2019 में दर्ज 6.28 लाख मामलों से 3.2 प्रतिशत कम थे।
पिछले प्रशासनों के विपरीत, योगी आदित्यनाथ सरकार ने विभाजनकारी जातीय एजेंडे को पीछे छोड़कर विकासोन्मुखी लक्ष्यों पर ध्यान केन्द्रित किया है। राज्य सरकार की ‘एक जनपद, एक उत्पाद योजना’ से सभी वर्गों और समुदायों के लोगों को लाभ हुआ है। ओडीओपी की सफलता का परचम आज देश ही नहीं, विदेश में भी फहरा रहा है। साल 2021-22 में राज्य के कुल निर्यात का 72 फीसद से अधिक ओडीओपी योजना से था। वास्तव में, उत्तर प्रदेश एक बीमारू राज्य के रूप में बदनाम होने के बाद से एक लंबा सफर तय कर चुका है। बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान के साथ उत्तर प्रदेश को भी एक संक्षिप्त शब्द के रूप में ‘बीमारू’ राज्य की तरह देखा जाता था। ‘बीमारू’ का अर्थ बीमार भी होता है। लेकिन उत्तर प्रदेश अब आशा को प्रेरित करता दिख रहा है। प्रधानमंत्री मोदी भी इस बात पर मुहर लगाते हैं जब वे भारत को दुनिया के लिए एक उज्ज्वल केन्द्र और उत्तर प्रदेश को इसका ग्रोथ इंजन बताते हैं। खासकर पिछले पांच-छह साल में उत्तर प्रदेश ने अपनी एक नई पहचान बनाई है। अब प्रदेश की पहचान सुशासन, बेहतर कानून व्यवस्था, शांति और स्थिरता जैसे सकारात्मक पैमानों से होती है। सड़क संपर्क में तेजी से सुधार, नए एक्सप्रेस-वे और हवाई अड्डों का निर्माण, विशाल लैंड बैंक की उपलब्धता और नीतिगत स्तर पर सुधार प्रदेश की विकास की आकांक्षाओं को पंख दे रहे हैं।
विकास के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का समग्र दृष्टिकोण इसका मजबूत आधार है। प्रदेश को विभाजनकारी एजेंडे के जाल से बाहर निकालने के बाद इस इन्वेस्टर्स समिट के जरिए अब उन्होंने निवेश को केवल एक क्षेत्र विशेष से भी मुक्त कर दिया है। पहले निवेश का मतलब एनसीआर होता था, लेकिन आज निवेश प्रदेश के सभी 75 जनपदों में हुए हैं। यहां तक कि पूर्वी उत्तर प्रदेश और बुंदेलखंड जैसे आर्थिक रूप से पिछड़े क्षेत्रों में भी निवेश के प्रस्ताव उत्साहजनक रहे हैं। हालांकि नोएडा के कारण पश्चिमी उत्तर प्रदेश को अभी भी सबसे ज्यादा 14.81 लाख करोड़ रुपये यानी कुल प्रस्तावों के लगभग 45 फीसद निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं, लेकिन अन्य क्षेत्रों के आंकड़े भी उल्लेखनीय हैं। पूर्वांचल या पूर्वी यूपी को 9.50 लाख करोड़ रुपये (29 फीसद से अधिक), मध्य उत्तर प्रदेश को 4.28 लाख करोड़ (13 फीसद से अधिक) और बुंदेलखंड को 4.27 लाख करोड़ (13 फीसद) के निवेश प्रस्ताव मिले हैं। इस निवेश के जरिए उत्तर प्रदेश के 93 लाख युवाओं को रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे।
इसमें कोई दो-राय नहीं कि इन्वेस्टर्स समिट के माध्यम से योगी सरकार निवेशकों को यह भरोसा दिलाने में कामयाब रही है कि उत्तर प्रदेश ने अब करवट बदल ली है। देश में पिछले वर्षों में हुई इस तरह की इन्वेस्टर्स समिट का मेरा अनुभव कहता है कि जो चीज निवेशकों को किसी राज्य या देश की ओर आकर्षित करती है, वह केवल वादे नहीं होते बल्कि उन वादों को पूरा करने वाले इरादे भी होते हैं। और रुझान ये बताता है कि योगी आदित्यनाथ में निवेशकों को वादा पूरा करने का वो इरादा दिखाई दिया है।
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