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Tarachand Belji: न एग्रीकल्चर की डिग्री..न कोई डिप्लोमा, फिर भी कर रहे 3G-4G तकनीक वाली जैविक खेती, इनके मॉडल की विदेशों तक तारीफ

Agricultural Innovator Tarachand Belji: मध्य प्रदेश में बालाघाट ज़िले के एक छोटे गांव कनई से निकले किसान ताराचंद बेलजी का जीवन देश के करोड़ों किसानों के लिए प्रेरणादायक है. छोटे किसान के रूप में अपना करियर शुरू करने वाले ताराचंद बेलजी की प्रसिद्धि आज प्राकृतिक-जैविक कृषि का एक सफल मॉडल पेश करने वाले कृषि वैज्ञानिक के तौर पर देश-विदेश में फैल चुकी है.

ताराचंद बेलजी

इनके पास एग्रीकल्चर की न कोई डिग्री है, न डिप्लोमा. लेकिन प्राकृतिक-जैविक खेती के प्रति उनके जुनून ने देश-विदेश के 2 लाख से ज्यादा किसानों को हुनरमंद बना डाला. लेकिन ये सफर इतना आसान नहीं था. ताराचंद बेलजी की कामयाबी के पीछे भारत रत्न नानाजी देशमुख का बड़ा हाथ है। नानाजी के संपर्क में आने के बाद से बेलजी की ज़िंदगी पूरी तरह से बदल गई.

प्राचीन भारत की कृषि पद्धतियों का अध्ययन किया

खेती करते हुए बेलजी को महसूस हुआ कि प्राकृतिक-जैविक खेती का मौजूदा मॉडल पूरी तरह से कारगर नहीं है. उन्होंने देखा कि गोबर की खाद से पौधों को पूरी तरह से पोषण नहीं मिल पाता है. जिसके कारण किसान को उतना उत्पादन नहीं मिल पाता जितना अच्छी आमदनी के लिए जरूरी होता है. यही नहीं पोषक तत्वों की कमी के कारण फसलों को कीड़े मकोड़े भी आसानी से चपेट में ले लेते हैं. इसको देखते हुए बेलजी ने प्राचीन भारत की कृषि पद्धतियों का अध्ययन किया और ज्ञान को जमीन पर उतारा. उनका मानना है कि रासायनिक खेती के कारण हमारी भूमि से जरूरी तत्व तो खत्म हो गए हैं और मिट्टी नकारात्मक हो गई है. बेलजी का कहना है कि भूमि में पंचमहाभूत के संतुलन से रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग के बिना भी खेती की जा सकती है.

38 तरह की फसलों पर प्रयोग और बंपर उत्पादन

ज्यादातर किसानों का मानना है कि प्राकृतिक-जैविक खेती करने से उत्पादन कम होता है और इससे कमाई घट जाती है. लेकिन बेलजी की सोच अलग है. उन्होंने तरह-तरह के खादों को बनाने की तकनीक विकसित की और 38 तरह की फसलों पर प्रयोग कर बंपर उत्पादन हासिल किया. बेलजी का मानना है कि अगर खेत में सुबह शाम विशेष समय में अग्निहोत्र किया जाए तो भूमि में पंचमहाभूत संतुलित हो जाते हैं.

बेलजी ने सब्जियों से ज्यादा उत्पादन पाने के लिए 3 G और 4 G तकनीक को प्रचलित किया.


एक नर फूल से सौ मादा फूलों के जरिए बनाए फल

किसी भी पौधे की तीसरी ब्रांच या शाखा में ही फल आते हैं. पहली व दूसरी ब्रांच में केवल नर फूल आते हैं, लेकिन तीसरी शाखा में हर पत्ते पर मादा फूल ही आता है. एक नर फूल से सौ मादा फूलों के जरिए फल बनने की प्रक्रिया पूरी होती है. सौ नर फूल में एक मादा फूल आता है, जबकि किसान को सौ मादा फूल और एक नर फूल की आवश्यकता होती है. अगर पहली और दूसरी ब्रांच को कट कर दिया जाए तो तीसरी ब्रांच में फल आ जाते हैं. बेलजी का दावा है कि 3 G , 4 G तकनीक के प्रयोग से लौकी के एक पौधे से एक हजार तक लौकी का उत्पादन किया जा सकता है.

भिलाई आईआईटी ने भी अपनाया इनका तरीका

छोटे किसान से कृषि वैज्ञानिक बन चुके ताराचंद बेलजी की लोकप्रियता जहां विदेशों तक फैल चुकी है. वहीं, भिलाई आईआईटी भी उनके प्रयोगों को अपनी कसौटी पर कस चुका है. भिलाई आईआईटी एक अंतरराष्ट्रीय स्तर प्रयोगशाला बनाने जा रही है जिसमें बेलजी के मॉडल के अनुसार काम किया जाएगा.

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— भारत एक्सप्रेस

Vijay Ram

ऑनलाइन जर्नलिज्म में रचे-रमे हैं. हिंदी न्यूज वेबसाइट्स के क्रिएटिव प्रेजेंटेशन पर फोकस रहा है. 10 साल से लेखन कर रहे. सनातन धर्म के पुराण, महाभारत-रामायण महाकाव्यों (हिंदी संकलन) में दो दशक से अध्ययनरत. सन् 2000 तक के प्रमुख अखबारों को संग्रहित किया. धर्म-अध्यात्म, देश-विदेश, सैन्य-रणनीति, राजनीति और फिल्मी खबरों में रुचि.

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