Mystery of Ashwathama: महाभारत काल के कुछ चरित्र ऐसे हैं जिनके साथ रहस्य और रोमांच की ऐसी कहानियां जुड़ी हैं, जो आज भी लोगों की जिज्ञासा का विषय हैं. हजारों साल बीत जाने के बाद भी महाभारत कालीन इन चरित्रों पर शोध जारी है. ऐसा ही एक किरदार है अश्वत्थामा का.
माना जाता है की एक श्राप के कारण अश्वत्थामा आज भी जिंदा है और रहस्यमई तरीके से धरती पर मौजूद है. विज्ञान जिस अमरता की खोज आज कर रहा है, उस अमरता की कहानियां हिंदू धर्म के ग्रंथों में पहले से ही मौजूद है. आइए जानते हैं अश्वत्थामा से जुड़ी किवंदंतियों को और कलयुग में अश्वत्थामा के जीवित होने के प्रमाण संबंधी कहानियों को.
महाभारत में अश्वत्थामा का प्रसंग बड़ा ही रोचक है. अश्वत्थामा गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र थे. जब द्रोणाचार्य पांडव की सेना को लगातार तहस-नहस कर रहे थे और उन्हें रोकना संभव नहीं था, तब अश्वत्थामा के मरने की झूठी खबर फैलाकर पांडवों ने द्रोणाचार्य का वध कर दिया.
जब अश्वत्थामा को इस बात की सूचना मिली तो उन्होंने उसी क्षण पांडवों से बदला लेने की ठान ली. उसके बाद अश्वत्थामा ने पांडव पुत्रों की हत्या कर दी. अश्वत्थामा ने ऐसा करने के लिए छल का सहारा लिया था.
इससे क्रोधित होकर भगवान श्री कृष्ण उसके माथे पर जख्म देते हुए उसे श्राप दे दिया था की जब तक उसका जख्म ठीक नहीं हो जाएगा तब तक वह यूं ही दर-दर भटकता रहेगा. लेकिन श्राप के साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि पूरे संसार में कोई भी वैद्य इसका इलाज नहीं कर पाएगा.
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विश्व की अनेक सभ्यताओं में प्राचीन काल से ही अश्वत्थामा जैसे पुरुष का जिक्र मिलता आया है. यूनानी सभ्यता में भी एक ऐसे बुजुर्ग इंसान का जिक्र है जो कि आज से कुछ सौ साल पहले लोगों को अस्त्र-शस्त्र की शिक्षा दिया करता था.
इसी तरह तिब्बत के इलाके में भी अश्वत्थामा की तरह ही जख्म लिए एक व्यक्ति का दावा कुछ लोगों ने किया था. हाल फिलहाल मध्य प्रदेश के एक खंडहर नुमा किले में भी अश्वत्थामा की काल्पनिक छवि वाले एक बुजुर्ग व्यक्ति को देखने का कुछ लोगों ने दावा किया है, जो उनसे अपने घाव को भरने के लिए दवा और जड़ी बूटी मांग रहा था.
माना जाता है कि यह मध्य प्रदेश के असीरगढ़ का किला है जिसमें अश्वत्थामा आज भी शिवजी की पूजा करने आते हैं. इसके अलावा देश दुनिया के अलग-अलग कोनों से भी अश्वत्थामा के दिखने की बातें लोगों द्वारा की जाती है. माना जाता है कि जब तक उनका घाव ठीक नहीं हो जाता तक तक वह अमर हैं.
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