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Satyanarayan Vrat December 2022: इस दिन रखें सत्यनारायण का व्रत, खुद भगवान विष्णु ने भी बताया है इसका महत्व

Satyanarayan Vrat December 2022: हिंदू धर्म में किसी भी शुभ काम को करने से पहले भगवान सत्यनारायण की कथा सुनने की परंपरा रही है. वैसे तो भगवान सत्यनारायण की कथा किसी भी दिन सुनी जा सकती है, लेकिन मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा को भगवान सत्यनारायण का व्रत रखने और उनकी कथा सुनने का विशेष विधान हैं. आइए जानते हैं कब पड़ रही है यह पूर्णिमा और क्या है विधान इस दिन भगवान सत्यनारायण के व्रत का.

इस दिन रखें भगवान सत्यनारायण का व्रत

इस साल 2022 में मार्गशीर्ष पूर्णिमा 7 दिसंबर 2022 को पड़ रही है. इसका समय 7 तारीख को ही सुबह 8 बजकर 1 मिनट से ही शुरू हो जाएगा और अगले दिन 8 दिसंबर को 9 बजकर 37 मिनट पर समाप्त होगा. मान्यता है कि भगवान सत्यनारायण की कथा सुनने मात्र से ही इंसान के जीवन में आने वाली तकलीफों में भगवान की कृपा से उसे वह शक्ति प्राप्त होती है, जिससे वह उनसे पार हो जाता है. इसके अलावा अगर कोई बड़ी विपदा आने वाली रहती है तो उसका रूप छोटा हो जाता है.

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सत्यनारायण व्रत का महत्व

धार्मिक ग्रंथों मे भी भगवान सत्यनारायण से जुड़ी अनेक कथाएं ऐसी है, जिनसे इस बात का पता चलता है कि वे अपने भक्तों की हर घड़ी मदद करते हैं. उनके आशीर्वाद से उनके भक्तों के पास स्वास्थ्य, धन और हर तरह की सुख-सुविधा बनी रहती है. कहते हैं कि इस व्रत से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी दोनों की कृपा प्राप्त होती है.

सत्यनारायण व्रत से जुड़े नियम

व्रत के दौरान पवित्रता का सबसे अधिक ध्यान रखा जाता है. इस दिन सुबह उठने के बाद घर की साफ-सफाई करें. इसके बाद पूजा पाठ के लिए लगने वाले सामान को एक जगह एकत्रित करें. जैसे केले के पत्ते, आम का पल्लो, दूबा, पान के पत्ते और बाकि अन्य सामान. इ

सके बाद किसी साफ चौकी पर पीला कपड़ा बिछाते हुए भगवान सत्यनारायण की तस्वीर या मूर्ति रखें. फिर केले के पत्ते और आम के पल्लो को जगह के अनुसार रखते जाएं. घी का दीपक जलाने के बाद भोग और पूजा पाठ में उपयोग होने वाली अन्य चीजों को भी रखते जाएं. अब पूरे विधि-विधान से भगवान सत्यनारायण की कथा का पाठ करें.

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इस दिन ब्राह्मणों और जरूरत मंदों को सामर्थ्य अनुसार भोजन कराएं. गौ माता के लिए सुबह ही कुछ ताजी रोटियां और गुड़ निकाल दें और दिखने पर इन्हें खिलाएं. कहते हैं कि इस दिन किए गए व्रत का पुण्य काफी अधिक मिलता है. भगवान विष्णु ने भी नारद मुनि से इसे मनुष्यों के लिए महान पुण्यदायक व्रत बताया है.

 

Rohit Rai

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