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Sawan Shivratri 2024: कब है सावन की पहली शिवरात्रि, जानें शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और जरूरी व्रत-नियम

Sawan Shivratri 2024 Date Shubh Muhurat Vrat Niyam: सावन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को शिवरात्रि का व्रत रखा जाता है. हिंदू धर्म में सावन मास में पड़ने वाली शिवरात्रि का खास महत्व है. शिवजी के भक्तों के लिए सावन मास की शिवरात्रि इसलिए भी महत्वपूर्ण मानी गई है क्योंकि इस दिन भोलेनाथ को जल अर्पित करने से हर मनोकामना पूरी होती है. सावन शिवरात्रि के दिन देश भर के तमाम शिवमंदिरों में जलार्पण के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ती है. इस दिन रखा गया व्रत जन्म-जन्मांतर के पापों के मुक्त कराकर शिवजी की विशेष कृपा दिलाता है, ऐसा शास्त्रों में कहा गया है. आइए जानते हैं कि इस साल सावन की शिवरात्रि कब है, पूजन के लिए शुभ मुहूर्त क्या है और व्रत के लिए जरूरी नियम क्या-क्या हैं.

कब रखा जाएगा सावन शिवरात्रि का व्रत

दृक पंचांग के अनुसार, सावन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 2 अगस्त को दोपहर 3 बजकर 26 मिनट से शुरू होगी. जबकि, चतुर्दशी तिथि की समाप्ति 3 अगस्त को 3 बजकर 50 मिनट पर समाप्त होगी. ऐसे में सावन शिवरात्रि का व्रत 2 अगस्त को रखा जाएगा. वहीं, सावन शिवरात्रि व्रत का पारण 3 अगस्त को किया जाएगा. इस पारण के लिए शुभ समय सुबह 5 बजकर 43 मिनट से दोपहर 3 बजकर 48 मिनट के बीच किया जा सकता है.

सावन शिवरात्रि पर चार प्रहर की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त

पहले प्रहर की पूजा का शुभ मुहूर्त- शाम 7 बजकर 14 मिनट से 9 बजकर 59 मिनट तक

दूसरे प्रहर की पूजा के लिए शुभ समय- रात 9 बजकर 59 मिनट से 12 बजकर 45 मिनट तक

तीसरे प्रहर की पूजा के लिए मुहूर्त- रात 12 बजकर 45 मिनट से 3 बजकर 30 मिनट तक

चौथे प्रहर की पूजा के लिए शुभ समय- 3 बजकर 30 मिनट से सुबह 6 बजकर 16 मिनट तक

सावन शिवरात्रि 2024 व्रत विधि और नियम

सावन शिवरात्रि के दिन एक ही समय भोजन करने का विधान है. ऐसे में जो भक्त सावन शिवरात्रि का व्रक रखते हैं, उन्हें इस दिन सुबह उठकर स्नान इत्यादि दैनिक कर्म से निवृत होकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करनी चाहिए. चूंकि, सावन शिवरात्रि के दिन प्रदोष काल से चार प्रहर में भगवान शिव की पूजा की जाती है, इसलिए इस दिन शाम के समय स्नान के बाद मंदिर जाकर शिवजी की पूजा-अर्चना करनी चाहिए. रात्रि में शिवजी की पूजा करने के बाद अगले दिन सुबह स्नान के बाद ही व्रत का पारण करना चाहिए. सूर्योदय के बाद और चतुर्दशी तिथि समाप्त होने पर ही व्रत का पारण करने का विधान है. ऐसे में प्रत्येक व्रती को इस नियम का खास ख्याल रखना चाहिए.

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Dipesh Thakur

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