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जानें क्या है स्लीप टूरिज्म; आखिर इसको लेकर अब क्यों जागी है दुनिया?

Sleep Tourism: वैसे तो लोग जब अवकाश पर जाते हैं तो तमाम जगहों पर घूमने के लिए जाते हैं लेकिन इधर छुट्टियां लेकर सोने की बात की जा रही है और इसे स्लीप टूरिज्म के तौर पर देखा जा रहा है. माना जाता है कि जब सैलानी किसी यात्रा पर होते हैं तो वो रोमांच से भरी जगहों पर सैर करने के लिए जाते हैं न कि सोने के लिए लेकिन अब चर्चा यात्रा पर जाकर खूब सोने की हो रही है. इसे 2023 से लेकर अब तक का ट्रैवल ट्रेंड माना जा रहा है.

इस सम्बंध में सोशल मीडिया पर कई खबरें वायरल हैं और इसको लेकर कहा जा रहा है कि आखिर यह क्यों महत्वपूर्ण है और क्यों एक नींद की छुट्टी आपके लिए सही चीज हो सकती है. तो वहीं स्लीप टूरिज्म के बारे में जानकार बताते हैं कि इसका मतलब है यात्रा के ऐसे अनुभव जो खास तौर पर किसी की नींद की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं. होटलों के कमरों के बारे में सोचें जो खास तौर पर बाहर के सभी शोर को रोकने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं और नींद में ध्यान के रिकॉर्ड किए गए गाने सुनने के लिए उपलब्ध हैं.

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इसलिए महसूस की गई है इसकी जरूरत

दरअसल आजकल की भागमभाग जिंदगी में लोग सोना भूल गए हैं. यही वजह है कि उनको तमाम तरह की बीमारियों से ग्रसित हैं. कुछ लोगों ने तो अपनी नींद नौकरी या बिजनेस के कारण खो दी है तो कुछ लोगों ने मोबाइल की लत के चलते. जबकि माना जाता है कि हमारे मानसिक स्वास्थ्य को नींद बेहतर बनाती है. यह व्यक्ति को आराम करने और तनाव मुक्त करने में मदद करती है और व्यक्ति के मूड को बेहतर बना सकती है. कुल मिलाकर, नींद हर किसी के लिए ज़रूरी है और इसलिए, यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि लोगों के बीच नींद पर्यटन अधिक लोकप्रिय हो रहा है.

होटलों में दी जा रही है खास सुविधा

नई दिल्ली के गुड़गांव स्थित द वेस्टिन के कार्यकारी हाउसकीपर मल्लिकार्जुन रेड्डी ने स्लीप टूरिज्म को लेकर बताया कि यह आज की जिंदगी में लोगों के लिए बहुत जरूरी है. यह तब होता है जब होटल अतिरिक्त प्रयास करते हैं. नींद बढ़ाने वाली सुविधाओं का उपयोग करते हैं और एक ऐसा वातावरण बनाने के लिए अभिनव ध्वनिरोधी सिस्टम लगाते हैं जो ग्राहकों को उनकी ‘नींद’ लेने में सक्षम बनाता है.

बता दें कि देश-विदेश में तमाम होटल अब इस प्रवृत्ति को अपना रहे हैं. जनवरी 2022 में, न्यूयॉर्क शहर के पार्क हयात ने ब्राइट रिस्टोरेटिव स्लीप सूट पेश किया, जो आराम के लिए समर्पित 900 वर्ग फीट के नए कमरे हैं. ब्राइट गद्दे इसकी पहचान हैं, इसी के साथ ही प्रत्येक में 90 ऐसे स्पेशल कुशन हैं जो शरीर के दबाव बिंदुओं को समझते हैं, समायोजित करते हैं और राहत देते हैं. तो इसी के साथ ही गद्दा जलवायु को भी नियंत्रित करता है, नींद के आँकड़े और जानकारी प्रदान करता है जिसे आपके फ़ोन पर एक्सेस किया जा सकता है, और यह जोड़ों की अनूठी ज़रूरतों का जवाब देने में सक्षम है.

जानें क्या कहते हैं विशेषज्ञ

स्लीप टूरिज्म को लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि यह वेलनेस टूरिज्म की एक शाखा है, क्योंकि लोग अपने व्यस्त शेड्यूल से दूर रहने और अपनी नींद की आदतों को बेहतर बनाने के लिए नए तरीके खोज रहे हैं और इस मांग को पूरा करने के लिए अब कई नींद-केंद्रित संपत्तियाँ भी सामने आ रही हैं. मैट्रेसनेक्स्टडे के नींद विशेषज्ञ और सीईओ मार्टिन सीली ने ट्रैवलडेलीमीडिया डॉट कॉम को बताया, “नींद पर्यटन एक मुश्किल काम लग सकता है, लेकिन इसके पीछे कुछ ठोस विज्ञान है. नींद मस्तिष्क के कामकाज और समग्र स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और बहुत से लोगों को पर्याप्त नींद नहीं मिल पाती है.”

कोविड के दौरान प्रेरित हुआ नींद पर्यटन

माना जाता है कि कोरोनावायरस महामारी ने भी लोगों को नींद के पर्यटन के लिए प्रेरित करने में अहम भूमिका निभाई है. क्लिनिकल स्लीप मेडिसिन के जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन से पता चला है कि भाग लेने वाले 2,500 वयस्कों में से 40 प्रतिशत ने कहा कि महामारी की शुरुआत के बाद से उनकी नींद कम हो गई है. इस तरह से कह सकते हैं कि कोविड-19 महामारी ने नींद के पैटर्न को बदल दिया और तनाव के उच्च स्तर के कारण लोगों को सोना अधिक कठिन हो गया है.

वाइसराय लॉस कैबोस स्पा और वेलनेस डायरेक्टर वैनेसा इनफैंटे ने स्लीप टूरिज्म ट्रेंड के बारे में कोवेटूर को बताया कि “अब जब हम सामान्य जीवन में वापस आ रहे हैं, तो लोग ऐसे अनुभवों की तलाश कर रहे हैं जो उन्हें अपने सोने के पैटर्न को ठीक करने, स्वस्थ भोजन करने और व्यायाम करने में मदद करें.” हालांकि महामारी की शुरुआत से ही कई अध्ययन और रिपोर्ट आई हैं, जिनमें बताया गया है कि कैसे लोगों की नींद कम हो रही है. अध्ययन में दावा किया गया है कि महामारी के दौरान, हमारे सभी प्राकृतिक चक्र बदल गए. हमने मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं, अवसाद और चिंता के अधिक मामले देखने शुरू कर दिए और इन सबके साथ नींद के पैटर्न में भी बदलाव आया है.

-भारत एक्सप्रेस

Archana Sharma

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