मुलायम सिंह का नाम सियासत के माहिर खिलाड़ियों में शुमार होता है.उनकी गिनती उन चंद नेताओं में होती है जिन्हें प्रदेश की जनता ने कभी सिर-आंखों पर बिठाया था.उनका जीवन संघषों की ज़िंदा मिसाल बन गया.समाजवादी पार्टी को खड़ा करने और उसके विस्तार का क्रैडिट सिर्फ मुलायम सिंह को जाता है.वह समाजवादी आंदोलन से जुड़े रहे,ये अलग बात है कि तीन बार सूबे का सीएम बनने पर उन्होंने अपने कुनबे का भी ख्याल रखा और अपने भाइयों और रिश्तेदारों को भी खूब तरजीह दी.उनकी पैठ सभी दलों में थी .अपने सियासी फायदे के लिए उन्होंने सभी दलों से गठबंधन किया यहां तक कि अपनी धुरविरोधी बीएसपी से भी.आइये जानते हैं उनके राजनीतिक सफर के बारे में.
मुलायम सिंह यादव सियासत में आने से पहले कुश्ती के अखाड़े में भी दांव-पेच आज़माया करते थे,उनकी गिनती नामी-गिरामी पहलवानों में होती थी.एक बार ऐसा हुआ कि जसवंत नगर में एक कुश्ती के दंगल में युवा मुलायम सिंह पर विधायक नत्थू सिंह की नजर पड़ी. मुलायम ने एक पहलवान को इस कुश्ती में पलभर में चित कर दिया. इसके बाद नत्थू उनके मुरीद हो गये और मुलायम को अपना शिष्य बना लिया. इसी दौरान मुलायम सिंह ने अपनी पढ़ाई को भी जारी रखा. इटावा से बीए की पढ़ाई पूरी करने के बाद बैचलर ऑफ टीचिंग की पढ़ाई की पूरी करने के लिए शिकोहाबाद चले गये और पढ़ाई पूरी होते ही 1965 में करहल के जैन इंटर कॉलेज में टीचर बन गये. 22 नवंबर 1939 को उत्तर प्रदेश के इटावा में उनका जन्म एक किसान परिवार में हुआ था. उनकी माता का नाम मूर्ति देवी और पिता का नाम सुघर सिंह है.
मुलायम सिंह यादव सियासत के बड़े माहिर खिलाड़ी हैं. उन्होंने अपने दम पर समाजवादी पार्टी खड़ी की थी जिसके मुखिया आज उनके बेटे अखिलेश यादव हैं.उनके सभी भाई राजनीति में सक्रिय हैं. पिछले 53 साल से वह चुनावी राजनीति में थे.
मुलायम सिंह यादव तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे. 1967 में मुलायम सिंह यादव पहली बार विधायक और मंत्री भी बने. इसके बाद 5 दिसंबर 1989 को पहली बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. अब तक तीन बार वह मुख्यमंत्री और केंद्र में रक्षा मंत्री रह चुके थे. केन्द्र और उत्तर प्रदेश में जनता पार्टी की सरकार बनी और वह राज्य सरकार में मंत्री बनाये गये. चौधरी चरण सिंह की पार्टी लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष बने. विधायक का चुनाव लड़े और हार गए. 1967, 1974, 1977, 1985 और 1989 में वह विधानसभा के सदस्य रहे. 1982-85 में विधान परिषद के सदस्य रहे. इसके अलावा आठ बार राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे. मुलायम सिंह ने 1992 में समजवादी पार्टी का गठन किया.
उनकी राजनीतिक समझ का जवाब नहीं था. 1993 में मुलायम सिंह यादव ने अपनी धुर विरोधी बीएसपी के साथ भी सरकार बनाई. जब बीएसपी नेता मायावती ने समर्थन वापस लिया तो गेस्ट हाऊस कांड हो गया. जगदंबिका पाल के नेतृत्व में एक दिन की सरकार बनवाने में भी मुलायम ही शिल्पी थे. इसके बाद बीजेपी के सहयोग से 2003 में मुलायम ने उत्तर प्रदेश में सरकार बनाई.
-भारत एक्सप्रेस
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