भारत के PM प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनिया में अलग पहचान बनाने के लिए ‘मेक इन इंडिया’ का खास मंत्र दिया था. जिसके बाद भारतीय प्रोडक्ट्स दुनियाभर में ब्रांड के तौर पर स्थापित होने लगा है. अमेरिका समेत दूसरे विकसित देशों में भारत में बने सामानों की मांग तेजी से बढ़ रही है. दरअसल, ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि भारत के कुल एक्सपोर्ट में अमेरिका की हिस्सेदारी बीते 10 साल में 19 फीसदी से बढ़कर 23 परसेंट हो गई है.
वहीं यूरोप की भारत के कुल एक्सपोर्ट में हिस्सेदारी 18 परसेंट से बढ़कर 23 फीसदी हो गई है. कुल एक्सपोर्ट में विकसित देशों की हिस्सेदारी में इस इजाफे से ये साबित हो रहा है कि भारत में बने अलग अलग सामान अब अपनी क्वालिटी का लोहा दूसरे देशों में भी मनवा रहे हैं. पश्चिमी देशों की एक्सपोर्ट में हिस्सेदारी बढ़ने की वजह से बीते 10 सालों में भारतीय एक्सपोर्ट में एशियाई देशों की हिस्सेदारी कम हो गई है. लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि उन्होंने भारतीय सामान खरीदना कम किया है बल्कि ये तो दूसरे देशों में डिमांड बढ़ने का असर है.
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के मुताबिक बीते कुछ बरसों में स्मार्टफोन, इलेक्ट्रिक मशीनरी, इक्विपमेंट्स ड्रग फार्मूलेशन और बायोलाजिकल एक्सपोर्ट में अमेरिकी हिस्सेदारी तेजी से बढ़ी है. 2023-24 में भारत ने 15.57 अरब डॉलर के स्मार्टफोन का एक्सपोर्ट किया जिसमें अमेरिकी हिस्सेदारी 35.8 फीसदी रही, 2022-23 में भारत ने 11 अरब डॉलर के स्मार्टफोन का एक्सपोर्ट किया था और तब अमेरिका की हिस्सेदारी महज 19.7 परसेंट थी.
जाहिर है जिस तरह से PLI स्कीम आने के बाद एपल समेत दूसरे स्मार्टफोन मैन्युफैक्चरर्स ने भारत में उत्पादन शुरू करके या बढ़ाकर एक्सपोर्ट करना शुरू किया है उससे भारत का इस सेगमेंट में एक्सपोर्ट तेजी से बढ़ा है. इसी तरह अगर इलेक्ट्रिक मशीनरी और इक्विपमेंट्स के निर्यात में अमेरिकी हिस्सेदारी में हुई बढ़ोतरी की बात करें तो 2015 में अमेरिका की इसमें हिस्सेदारी 12.9 फीसदी थी जो 2023-24 में बढ़कर 19.3 परसेंट हो गई है. 2023-24 में भारत ने 12.37 अरब डॉलर की इलेक्ट्रिक मशीनरी और इक्विपमेंट्स का एक्सपोर्ट किया.
-भारत एक्सप्रेस
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