पूर्वी दिल्ली के शकरपुर थाना क्षेत्र में हरियाणा के एक पूर्व सरपंच के साथ 24 लाख रुपये की जबरन वसूली कर ली गई. वसूली को किसी और ने नहीं बल्कि लक्ष्मी नगर थाने में तैनात ATO, तीन पुलिसवालों और गिरोह के एक अन्य आदमी ने मिलकर अंजाम दिया. आला अफसरों के आदेश पर शकरपुर थाने में मुकदमा दर्ज करके गिरोह में शामिल दो लोगो को तो गिरफ्तार कर लिया गया, मगर मामले में आरोपी पुलिसवालों को गिरफ्तार नहीं किया जा रहा.
सूत्रों की माने तो एक आला अफसर के निर्देश के कारण आरोपी पुलिस वालों को गिरफ्तार नहीं किया गया. मजे की बात तो यह है कि उस अफसर ने निरीक्षक स्तर के आरोपी ATO के खिलाफ जांच का जिम्मा भी इसी स्तर के थानाध्यक्ष शकरपुर को सौंपा गया है. ऐसे में निष्पक्ष जांच के दावे हवा होते नजर आ रहे हैं.
दरअसल, हरियाणा के जींद जिले के खेड़ी तलौडा गांव का पूर्व सरपंच पवन कुमार अपने बेटे रतन को ऑस्ट्रेलिया पढ़ने भेजने की कोशिश कर रहे थे. इसके लिए उन्होंने अपने एक दोस्त शमशेर सिंह से संपर्क किया. शमशेर ने बताया कि हनुमान कॉलोनी सोनीपत के जितेंद्र राणा और दीपक राणा इस काम के 23 लाख रुपये मांग रहे हैं.
बीते 1 अप्रैल को पवन कुमार ने अपने बेटे के दस्तावेज शमशेर के वॉट्सऐप पर भेज दिए और उसने वह दस्तावेज जितेंद्र को भेज दिए. जितेंद्र ने कहा कि ओरिजनल दस्तावेज और मेडिकल बनवाने के लिए 6800 रुपये चाहिए. 10 दिन बाद शमशेर ने बताया कि उसने जितेंद्र को दस्तावेज और 6800 दे दिए हैं. 17 अप्रैल को शमशेर ने मोबाइल पर कपिल के बेटे के वीजा की कॉपी भी भेज दी. इसके बाद 7 मई को उसने कहा कि रतन के हवाई टिकट, होटल बुकिंग, यात्रा बीमा और अन्य काम के लिए जितेंद्र चार लाख रुपये मांग रहा है. 13 मई को जितेंद्र, दीपक और उनका साथी बिजेंद्र सोनीपत के सफीदो इलाके में आए और चार लाख रुपये भी ले गए.
इसके बाद जितेंद्र ने शमशेर से कहा कि पवन 28 मई को अपने बेटे को लेकर पूर्वी दिल्ली के लक्ष्मी नगर स्थित किसी होटल में ठहर जाएगा. साथ ही 23 लाख रुपये के अलावा 1.5 लाख रुपये मनी एक्सचेंज के लिए भी साथ लाए. 28 मई को पवन अपने बेटे रतन, दोस्त शमशेर सहित आठ लोगों के साथ लक्ष्मी नगर आया और शकरपुर थाना क्षेत्र स्थित सॉलिटियर होटल में ठहर गया. जहां उन्हें फोन पर बताया गया कि अब रिया नामक लड़की उनसे संपर्क करेगी. 29 मई को रिया उनसे बात करते समय इस बात से नाराज हो गई कि वह लक्ष्मी नगर की जगह शकरपुर इलाके में क्यों ठहरे हैं.
जितेंद्र इतना शातिर था कि उसने दोपहर बाद पंकज नाम के व्यक्ति को भेजकर नोट गिनवाकर सुनिश्चित कर लिया कि पवन पैसे लेकर आया है या नहीं. शाम को पंकज फिर से होटल में आया और इन पैसे का वीडियो बनाकर किसी को भेज दिया. कुछ देर बाद ही चार पुलिस वाले वहां आ गए, जिनमें से तीन ने वर्दी पहनी हुई थी. उन्होंने कहा उन्हें यहां हथियार होने की सूचना मिली है, लिहाजा तलाशी लेनी है. जिस समय वह तलाशी ले रहे थे तो शमशेर उनकी वीडियो बनाने लगा. इस पर पुलिसवालों ने उसे गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी भी दी.
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तलाशी के दौरान वहां 24.5 लाख रुपये बरामद हुए तो पुलिसवालों ने पूछताछ की, जिसके बाद पूर्व सरपंच पवन, शमशेर और दो अन्य लोगों को सरकारी गाड़ी में बैठकर लक्ष्मी नगर थाने में ले गई. मगर पंकज को कुछ नहीं कहा. थाने ले जाकर उन्हें धमकाया गया और कहा कि तुम्हारा लिंक पाकिस्तान और हवाला से जोड़ देंगे तो तुम्हारा पैसा भी जब्त होगा और तुम्हें जेल भी भेजा जाएगा. बचना है तो पैसा छोड़कर चले जाओ.
इसके बाद पीड़ितों के मोबाइल लेकर उसमें से सारे वीडियो भी डिलीट कर दी और 24 लाख रुपये लेकर उनसे लिखवा लिया कि पवन की एजेंट पंकज से कहासुनी हो गई थी. पंकज की शिकायत पर ही पुलिस होटल आई थी और अब उनका पंकज से समझौता हो गया है. इसके बाद उन्हें थाने से भगा दिया गया.
गांव में पहुंचने के बाद पीड़ितों ने आपस में सलाह की और शमशेर ने शकरपुर थानाध्यक्ष के सरकारी फोन पर बात करके घटना से जुड़े वीडियो भेज दिए. इसकी जानकारी आला अफसरों तक पहुंची तो आरोपी उगाहीबाजों में हड़कंप मच गया. 2 जून को लक्ष्मी नगर थाने के दो पुलिसवाले शमशेर के घर पहुंचे और समझौते का दबाव बनाने लगे. मगर उन्होंने दबाव मानने की जगह 3 जून को शकरपुर थाने जाकर लिखित शिकायत दे दी.
सूत्रों के अनुसार, इस मामले में जिला PG Cell से जांच कराई गई तो शिकायत सही पाई गई. फिर मामले में लीपापोती के लिए जुटी पूर्वी जिला पुलिस ने मुकदमा तो दर्ज कराया मगर डकैती और जबरन वसूली की जगह महज धोखाधड़ी की धाराओं में. जानकारों की माने तो जिस तरह पीड़ितों को जबरन थाने ले जाकर धमकाया गया, उस हिसाब से चारों पुलिस वालों और पंकज पर डकैती और जबरन वसूली का मामला दर्ज होना चाहिए.
हैरानी की बात यह है कि इस मामले में जबरन वसूली करने वाले किसी भी पुलिसकर्मी को गिरफ्तार नहीं किया गया है. सूत्रों का कहना है कि एक अधिकारी ने किसी भी पुलिसवाले को गिरफ्तार नहीं करने की सख्त हिदायत दी है. यही वजह है कि उन्हें छेड़ा ही नहीं जा रहा है और न पैसा रिकवर करने का प्रयास ही शुरू हुआ है.
इतना ही नहीं मामले में निरीक्षक स्तर के अधिकारी के शामिल होने के बावजूद एक निरीक्षक को ही मामले की जांच सौंपने से निष्पक्ष जांच की बात पर भी सवाल खड़ा हो रहा है. इस मामले में उठ रहे सवालों का उत्तर जानने के लिए जिला पुलिस उपायुक्त अपूर्वा गुप्ता से दो बार संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया.
-भारत एक्सप्रेस
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