DND Toll Tax: दिल्ली-नोएडा टोल ब्रिज को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कंपनी टोल टैक्स नहीं लगा सकती है. कोर्ट ने याचिका को खारिज किया. कोर्ट ने कहा “नोएडा ने कंपनी को टोल लगाने की अपनी शक्ति सौंपकर अपने अधिकार का अतिक्रमण किया है.” कोर्ट ने डीएनडी इस्तेमाल करने वालों को राहत देते हुए कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला सही है.
कोर्ट ने कहा कि एनटीबीसीएल (Noida Toll Bridge Company Limited) को बिना सार्वजनिक टेंडर जारी किए ठेका दिया गया जो पूरी तरह से मनमाना फैसला था. कोर्ट ने माना कि टोल वसूलने के लिए नोएडा प्राधिकरण और टोल कंपनी के जो करार किया गया था, वह गलत था. इस करार के जरिए आम लोगों से करीब 100 करोड़ रुपए गलत तरीके से वसूला गया.
इलाहाबाद हाईकोर्ट में साल 2012 में फेडरेशन ऑफ नोएडा रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन ने जनहित याचिका दायर की गई थी. हाई कोर्ट ने कहा था कि जब फ्लाईओवर की कुल लागत से अधिक की वसूली हो गई है तो क्यों आम जनता पर टैक्स का बोझ डाला जाए. हाई कोर्ट के फैसले के बाद डीएनडी फ्लाईओवर पर टोल संग्रह बंद कर दिया गया था. कंपनी ने उस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.
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कंपनी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी और सिद्धार्थ भटनागर ने कहा था कि नोएडा प्राधिकरण ने उसकी वित्तीय संपत्तियों को अपूर्णीय क्षति पहुंचाने के एकमात्र उद्देश्य से उसकी संपत्ति को जब्त कर लिया था. एनटीबीसीएल ने अपनी याचिका में कहा था कि टोल संग्रह बंद होने के बाद कंपनी पूरी तरह से पुल के दैनिक रखरखाव के लिए विज्ञापन राजस्व पर निर्भर थी.
-भारत एक्सप्रेस
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