Kashi Ka Kayakalp MEGA CONCLAVE: महादेव की नगरी काशी में आज भारत एक्सप्रेस न्यूज चैनल की ओर से ‘काशी का कायाकल्प’ कॉन्क्लेव आयोजित किया गया. इस कॉन्क्लेव में एडीजी (वाराणसी जोन) पीयूष मोर्डिया और वाराणसी के पुलिस कमिश्नर (CP) मोहित अग्रवाल भी पहुंचे. भारत एक्सप्रेस के चेयरमैन, सीएमडी एवं एडिटर-इन-चीफ उपेन्द्र राय ने उनसे कई सवाल पूछे.
सीएमडी उपेन्द्र राय का एक सवाल साइबर फ्रॉड से कैसे बचा जाए, और दूसरा सवाल ‘डिजिटल अरेस्ट’ से निपटने के तरीके को लेकर था.
भारत एक्सप्रेस के चेयरमैन, सीएमडी एवं एडिटर-इन-चीफ उपेन्द्र राय ने पुलिस कमिश्नर (CP) मोहित अग्रवाल से कहा, ‘मेरा एक सवाल ‘डिजिटल अरेस्ट’ को लेकर है, इस बारे में बहुत सारे लोगों ने नहीं सुना होगा. जालसाजों की ओर से अपराध को अंजाम देने का यह तरीका, आजकल लोगों को बड़ा नुकसान पहुंचा रहा है. इसको हैंडल करने के लिए पुलिस-फोर्स का बेहद पोलाइट होना जरूरी है, क्योंकि कई बार हम देखते हैं कि आम आदमी थानों में जाने से घबराता है, क्योंकि उसको ड्यू रिस्पेक्ट नहीं मिलता, क्योंकि पुलिस-फोर्स पर काम का दबाव भी बहुत ज्यादा होता है, एक उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में जिसकी आबादी लगभग 25 करोड़ है, वहां आप लोगों को ‘डिजिटल अरेस्ट’ से कैसे बचा सकते हैं?
‘डिजिटल अरेस्ट’ पर जवाब देते हुए पुलिस कमिश्नर (CP) मोहित अग्रवाल ने कहा, ‘ये जो साइबर क्रिमिनल्स हैं, वे लोगों को कई तरीकों से टारगेट करते हैं. एक तरीका यह है कि वो कहते हैं कि आपने एक पार्सल भेजा था या आपके पास एक पार्सल आ रहा और उस पार्सल में ड्रग्स पाई गई है और आप ड्रग्स में के कारोबार में लिप्त हैं. हम एनसीबी – नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो से बोल रहे हैं. वे खुद को एसीपी या कोई सीनियर पुलिस ऑफिसर बताते हुए कहते हैं कि वीडियो कॉल पर ये देखिए थाना. और, वो लोगों को वीडियो कॉल पर ही एक फर्जी डिजिटल थाना दिखाते हैं, कि वह रियल में थाने पर एक ऐसा पोट्रे करते हैं कि रियल में कोई थाना वहां पर खुला हुआ है और वहां से वह बताते हैं कि मैं एसीपी नारकोटिक्स ब्यूरो बोल रहा हूं या कभी-कभी अपने को एसीपी दिल्ली पुलिस भी बता देते हैं और इस तरह से उनको हिप्नोटाइज कर देते हैं.’
पुलिस कमिश्नर ने कहा, “साइबर क्रिमिनल्स के रचे जाल से सामने वाले व्यक्ति को लगने लगता है कि सही में यह कोई पुलिस ऑफिसर बोल रहा है. फिर वो उनको यह गुमराह करते हैं कि वैसे तो आपके खिलाफ अरेस्ट वारंट है, हमारी टीम कभी भी आकर के अरेस्ट कर सकती है, लेकिन हम आपको अरेस्ट ना करके डिजिटली अरेस्ट कर रहे हैं. डिजिटली अरेस्ट मतलब – आप हमारे सीधे संवाद में रहिए, आप घर से बाहर नहीं निकलेंगे, किसी से आप बात नहीं करेंगे और आपके अकाउंट में जितना पैसा है, उसको इस अकाउंट में डलवा दो…’, वो उस अकाउंट को आरबीआई का अकाउंट बताकर कहते हैं कि इसमें आप रकम ट्रांसफर कर दीजिए. एक्चुअल में वो उनका अपना पर्सनल अकाउंट होता है, फर्जी अकाउंट. पीडित व्यक्ति डर के कारण उसमें रकम ट्रांसफर कर देता है.”
बनारस जोन के एडीजी से बातचीत के दौरान भारत एक्सप्रेस के CMD उपेन्द्र राय ने कहा, “बनारस अब कमिश्नरेट में कन्वर्ट हो चुका है. बनारस को एक वर्ल्ड मैप पर लाने का एक अच्छा प्रयास भी सरकार का था. उत्तर प्रदेश सरकार ने पिछले दिनों जितने कमिश्नरेट बनाए, उसकी बिल्कुल तारीफ की जानी चाहिए. और अर्बनाइजेशन जिस तरह से बढ़ा है, लेकिन उसके साथ-साथ जो सी ग्रेड की सिटी हैं (जैसे गाजीपुर), वहां तो विकास कार्य होने बाकी हैं. मैं गाजीपुर से आता हूं. मेरा बचपन दसवीं क्लास तक गांव से ही गुजरा है. हम लोग साइकिल चलाकर पढ़ने जाते थे. तब की बात अलग थी, तब अलग-अलग माफिया गिरोह भी थे, अलग-अलग दल भी थे और तब कोल के ठेकों के लिए अलग-अलग तरह के यहां तक कि पीडब्ल्यूडी के ठेकों के लिए भी बोली लगती थी और बाहुबली उसको अपने तरीके से करते थे. लेकिन अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल में वह सारी चीजें लगभग समाप्त हो गई हैं.”
उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि माफिया अब पूरी तरह से खत्म हो चुका है. अब जो क्राइम का नया रूप-प्रारूप, वो है- साइबर फ्रॉड, मेरा सवाल इसी से जुड़ा है. हमारे पूर्वी यूपी में कई जिलों का जोन ADG पीयूष मोर्डिया के अंडर आता है. इन जिलों में जैसे गाजीपुर पड़ता है, जौनपुर पड़ता है, मिर्जापुर पड़ता है, सोनभद्र पड़ता है. मुझे लगता है कि बलिया शायद अब आजमगढ़ में चला गया है. वो भी इसी जोन में है, इसी जोन में है तो इन सब जिलों में आमतौर पर साइबर फ्रॉड की किस तरह की घटनाएं देखने को मिलती हैं? जिलों में या तहसीलों में, ब्लॉकों में, जो थाने हैं, वहां साइबर फ्रॉड से निपटने के लिए क्या-कुछ किया गया है? कैसे उसको हैंडल डील करने की चीजें डेवलप की गई है?”
एडीजी (वाराणसी जोन) पीयूष मोर्डिया ने जवाब देते हुए कहा, “हमने साइबर क्राइम करने वाले अपराधियों पर नजर रखनी शुरू की. उनके तौर-तरीकों को समझा. फर्ज कीजिए कि शासन ने पहले मिशन शक्ति जैसे कुछ कार्यक्रम चलाए, तो उनमें महिलाओं को भी गांव में भेजकर गांव की महिलाओं को समझा-बुझाया गया. इसके लिए हमारी महिला पुलिसकर्मियों को भी भेजा गया, कि वे गांव की महिलाओं को जागरुक करें.”
एडीजी आगे बोले, “हमारे बीड कांस्टेबल होते हैं, वह जगह-जगह पंचायत भवनों में, गांव के स्कूलों में, गांव के लोगों इकट्ठा करके उनको उदाहरण देते हुए यह बताते हैं कि किस प्रकार के अपराध घटते हैं. जहां पर बहुत ही सिंपलीफाई करने की आवश्यकता होती है, उन्हें समझाने के लिए वहां उस सिंपलीफिकेशन को किया जाता है. जैसे कि डिजिटल अरेस्ट की बात चल रही हैं. हमारे पुलिसकर्मी जिन्हें पहले से प्रशिक्षित किया गया है, वे लोगों के बीच जाते हैं. वे लोगों को बताते हैं कि भाई आपके घर में आप जब बैठे हो, अचानक से आपके पास एक फोन आया और फोन पर उस व्यक्ति ने आपको कहा कि आपके विरुद्ध बहुत बड़ी जांच चल रही है, आपने जो लोन लिया था उसमें एंबेजलमेंट हुआ. उसमें काफी सारा सरकारी पैसा है, जो आपने गलत तरीके से अपने खाते में ट्रांसफर कर लिया है. जबकि आपने नहीं किया है, मगर वे जालसाल कहते हैं कि इसकी जांच तो बाद में होगी. मगर जब तक हम आपसे बात कर रहे हैं, आप टेलीफोन पर बने रहेंगे.”
एडीजी ने कहा, “जालसाल फोन पर ही गांववाले व्यक्ति को यहां तक कह देते हैं कि महाराष्ट्र के गांव में कई बार ऐसा हुआ, जो कहते हैं कि तुम जो कर रहे हो अपने कमरे में बैठे हुए व हम लगातार देख रहे हैं. इसलिए टेलीफोन रखना मत अब. सबसे पहले जाओ अंदर जाओ उस कमरे में जहां भी पासबुक पड़ी है, निकाल के लाओ. अपना अकाउंट नंबर बोलो. उसके बाद थोड़ी देर बाद लगातार पूछेंगे कि ओटीपी क्या है, उनको सुनकर सामने वाला व्यक्ति इतना घबरा जाता है, इतना कंफ्यूजन में आ जाता है, कि उसे लगता है. वास्तव में लोग मुझे देख रहे हैं और अभी मुझे कुछ नहीं करना है. मैं तो मॉनिटर किया जा रहा हूं. मगर, अब पुलिस द्वारा समझाने-बुझाने पर लोगों को आजकल यह बातें समझ में आने लगी हैं.”
वीडियो में यहां देखिए एडीजी ने और क्या-कुछ कहा-
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— भारत एक्सप्रेस
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