ग्रेटर नोएडा के जीरो पॉइंट पर बुधवार को किसानों की महापंचायत थी. मंगलवार शाम को गिरफ्तार हुए सभी किसानों को छोड़ दिया गया था. इसके बाद आगे की रणनीति के लिए आज गुरुवार को पंचायत होनी है. लेकिन इससे पहले ही देर रात सीएम योगी आदित्यनाथ की पोस्ट के बाद पुलिस ने किसानों को एक बार फिर हिरासत में लिया.
जीरो पॉइंट पर रात करीब 12 बजे के आसपास किसानों को हिरासत में लेकर लुक्सर जेल भेजा गया. जीरो पॉइंट पर धरना खत्म करा दिया गया. पुलिस ने ये कार्रवाई तब की जब किसानों की संख्या 50 से कम थी. हालांकि, पुलिस इस गिरफ्तारी को लेकर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है. किसानों की गिरफ्तारी को लेकर पुलिस की तरफ से कोई आधिकारिक बयान भी नहीं आया है.
दरअसल ग्रेटर नोएडा के जीरो पॉइंट पर बुधवार सुबह से शुरू हुई किसानों की महापंचायत उनके हक में रही थी. जेल में बंद उनके सभी किसान नेता समेत 123 किसानों को पुलिस ने छोड़ दिया था. हालांकि, इस महापंचायत में राकेश टिकैत नहीं पहुंच पाए, क्योंकि पुलिस ने उन्हें टप्पल पर रोक लिया था.
पंचायत में नरेश टिकैत का प्रतिनिधित्व करते हुए गौरव टिकैत शामिल हुए. शाम को जेल से छूट कर आए किसानों ने मंच संभाला और स्पष्ट किया कि धरना वहीं से शुरू किया जाएगा जहां से खत्म हुआ था. जिसके बाद रात को किसानों ने गुरुवार को पंचायत करने का फैसला किया था. लेकिन इससे पहले देर रात ही किसानों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया.
जानकारी के मुताबिक, सीएम योगी के सख्त आदेश है कि अराजकता करने वालों को बिल्कुल भी बख्शा नहीं जाए. सीएम योगी के दफ्तर से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक कहा गया है, “गौतमबुद्धनगर हो, अलीगढ़ हो या संभल अथवा कोई अन्य जनपद, अराजकता फैलाने की छूट किसी को नहीं दी जा सकती.
नोएडा के बाद अब पंजाब के किसान दिल्ली की ओर कूच करने की तैयारी कर रहे हैं. किसानों ने 6 दिसंबर को राजधानी में प्रदर्शन करने का ऐलान किया है. हालांकि, इस आंदोलन से कुछ प्रमुख किसान संगठनों ने खुद को अलग कर लिया है.
इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व भारतीय किसान यूनियन (सिद्धूपुर) के जगजीत सिंह डल्लेवाल और किसान नेता सरवन सिंह पंधेर करेंगे. लेकिन संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) और ऑल इंडिया किसान सभा (AIKS) ने इस मार्च से दूरी बना ली है.
ऑल इंडिया किसान सभा के नेता हन्नान मोल्लाह ने स्पष्ट किया कि SKM इस विरोध प्रदर्शन में भाग नहीं ले रहा है. एक अम्ब्रेला संगठन के रूप में SKM और किसान सभा इस मार्च का हिस्सा नहीं बनेंगे.
हालांकि, प्रदर्शन का उद्देश्य और मुद्दे अभी स्पष्ट रूप से सामने नहीं आए हैं, लेकिन इस आंदोलन के अलग-अलग संगठनों के बीच विचारों की असहमति नजर आ रही है.
यह देखना दिलचस्प होगा कि किसान आंदोलन का यह चरण कितना प्रभावी साबित होता है और सरकार इस पर क्या रुख अपनाती है.
(समाचार एजेंसी IANS के इनपुट के साथ)
-भारत एक्सप्रेस
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