Hathras Stampede: उत्तर प्रदेश के हाथरस में 2 जुलाई को हुए बड़े हादसे की वजह तलाशने और आरोपियों को सामने लाने के लिए गठित की गई एसआईटी (SIT) ने शासन को रिपोर्ट सौंप दी थी, इसके बाद योगी सरकार ने बड़ा एक्शन लिया है और 121 लोगों की मौत मामले में रिपोर्ट के आधार पर एसडीएम, सीओ और तहसीलदार के साथ ही 6 अधिकारियों को निलम्बित कर दिया है.
बता दें कि दो जुलाई को हादसे के बाद ही मुख्यमंत्री स्तर से एसआईटी जांच का आदेश जारी किया गया था. एसआईटी ने 119 लोगों के बयान दर्ज किए हैं. इसके अलावा एडीजी आगरा और अलीगढ़ कमिश्नर की अगुवाई में मामले की जांच चल रही है. एडीजी आगरा जोन अनुपम कुलश्रेष्ठ और मंडलायुक्त चैत्रा वी को एसआईटी में शामिल किया गया था.
शासन की ओर से इन्हें 24 घंटे के अंदर जांच रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया था लेकिन सीएम योगी के घटनास्थल पर जाने और राहत एवं बचाव कार्य में तेजी लाने की वजह से निर्धारित समय अवधि तक जांच रिपोर्ट नहीं सौंपी जा सकी थी. इस कारण से अधिकारियों ने शासन से अपनी जांच रिपोर्ट तैयार करने के लिए तीन दिन का और समय मांगा था. फिलहाल इस जांच रिपोर्ट के आधार पर अब और किस पर गाज गिरती है, इस पर हर किसी की निगाहें टिकी हुई हैं.
सूत्रों के मुताबिक, एडीजी आगरा-कमिश्रर अलीगढ़ की संयुक्त एसआईटी की रिपोर्ट में दक्षिण के कुछ राज्यों के नंबर, कुछ अधिकारी-कर्मचारी, सेवादार-आयोजक इस पूरे घटनाक्रम के लिए जिम्मेदार ठहराए गए हैं और भोले बाबा उर्फ सूरज पाल उर्फ नारायण साकार हरि के नाम का कहीं कोई जिक्र नहीं किया गया है.
गवाहों की मानें तो बाबा जैसे ही सत्संग खत्म कर बाहर निकलने लगे भीड़ उसके पैरों की मिट्टी लेने के लिए दौड़ी. इस पर बाबा के सेवादारों ने भीड़ को रोक दिया, जिससे भगदड़ मच गई थी. एक गवाह ने न्यायिक आयोग के सामने इसको लेकर खुलासा किया है कि बाबा ने सत्संग के दौरान चरण रज ले जाने के लिए श्रद्धालुओं से कहा था.
उप जिला मजिस्ट्रेट सिकन्दराराऊ, पुलिस क्षेत्राधिकारी सिकन्दराराऊ, थानाध्यक्ष सिकन्दराराऊ, तहसीलदार सिकन्दराराऊ, चौकी इंचार्ज कचौरा एवं चौकी इंचार्ज पोरा को शासन द्वारा निलंबित कर दिया गया है.
हाथरस हादसे की जांच रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है लेकिन इसमें हादसे के कारणों? अनदेखी-लापरवाही को कौन जवाबदेह? आदि तथ्यों को बेहद गोपनीय रखा गया है. यहां तक कि इस सम्बंध में जो कर्मचारी रिपोर्ट तैयार करने में लगाए गए, उनको निगरानी में रखा गया और उनके मोबाइल तक बंद करा दिए गए हैं. हालांकि सूत्रों की मानें तो पता चला है कि दक्षिण के कुछ राज्यों के नंबर, कुछ अधिकारी-कर्मचारी, सेवादार-आयोजक इस पूरे घटनाक्रम के लिए जिम्मेदार ठहराए गए हैं. बाकी सच शासन स्तर से रिपोर्ट पर एक्शन के आधार पर उजागर किया जा सकेगा.
मीडिया सूत्रों के मुताबिक, रविवार को न्यायिक आयोग की टीम हाथरस से लखनऊ के लिए निकल गई और अपने साथ हादसे से सम्बंधित तमाम सबूत व दस्तावेज लेकर गई है. बता दें कि हाथरस में टीम ने घटनास्थल से जुड़े नक्शे, अनुमति पत्र, पुलिस व प्रशासनिक रिपोर्ट सहित तमाम दस्तावेजों का अवलोकन किया था. इसी के साथ ही घटना के सम्बंध में जानकारी रखने वालों से भी टीम ने बयान दर्ज किए थे. माना जा रहा है कि अब अयोग जल्द ही 125 लोगों को नोटिस जारी कर सकता है और उनको बयान दर्ज कराने के लिए बुलाया जा सकता है.
बता दें कि एसओजी टीम व थाना पुलिस फरार सेवादारों की गिरफ्तारी के लिए लगतार संदिग्ध ठिकानों पर दबिश दे रही है. सोमवार को जिले के साथ ही बाहर के कई स्थानों पर दबिश दी गई. फोन कॉल की लोकेशन के आधार पर पुलिस छापेमारी कर रही है. तो वहीं जल्द ही मुख्य आरोपी व एक अन्य आरोपी को भी पुलिस जल्द ही रिमांड पर लेगी, ताकि घटना से सम्बंधित पूछताछ की जा सके.
बता दें कि न्यायालय ने इन दोनों आरोपियों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है. बता दें कि मुख्य आरोपी देवप्रकाश मधुकर भी गिरफ्तार हो चुका है. तो वहीं एसआईटी ने गिरफ्तार किए गए मुख्य सेवादार के फंडिंग संबंधी बयान, उसकी मोबाइल, लोकेशन, कॉल डिटेल, बैंक खातों की डिटेल आदि को भी अपनी जांच का हिस्सा बनाया है. इन्हीं तमाम तथ्यों के आधार पर अपनी रिपोर्ट शासन को भेजी है.
मालूम हो कि दो जुलाई को हाथरस घटना को लेकर सिकंदराराऊ थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी लेकिन इसमें भोले बाबा का नाम आरोपी के तौर पर दर्ज नहीं किया गया है. तो वहीं बाबा ने हाल ही में घटना पर दुख जताते हुए कहा था कि वह इस घटना से बहुत दुखी हैं और इस हादसे के दोषियों को छोड़ा नहीं जाएगा. तो दूसरी ओर पुलिस बाबा की तलाश कर रही है. उसकी आखिरी लोकेशन मैनपुरी आश्रम में मिली थी. इसके बाद उसका फोन बंद हो गया.
-भारत एक्सप्रेस
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