इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने हाल ही में एक पति (Husband) के खिलाफ उसकी पत्नी (Wife) द्वारा दर्ज कराए गए क्रूरता (Cruelty) के मामले को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि विवाद दंपति की ‘यौन असंगति’ (Sexual Incompatibility) के कारण हुआ है.
अदालत ने महिला की उस याचिका को खारिज कर दी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उसके पति ने दहेज (Dowry) की मांग की, उसे प्रताड़ित किया और अप्राकृतिक यौन क्रियाकलाप किए.
अदालत ने कहा, ‘एफआईआर और महिला के बयान की बारीकी से जांच करने पर पता चलता है कि अगर कोई अत्याचार या हमला हुआ है तो वह दहेज की मांग के लिए नहीं, बल्कि आवेदक नंबर 1 की यौन इच्छाओं को पूरा करने से विपक्षी नंबर 3 के इनकार के कारण हुआ है.’
जस्टिस अनीश कुमार गुप्ता ने कहा, ‘यह स्पष्ट है कि विवाद दोनों पक्षों की यौन असंगति के संबंध में है, जिसके लिए दोनों के बीच विवाद था और इस विवाद के कारण तत्काल एफआईआर दर्ज की गई है.’
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा, ‘अगर पुरुष अपनी पत्नी से यौन संबंध की मांग नहीं करेगा और महिला अपने पति से इसकी इच्छा नहीं रखेगी, तो वे नैतिक रूप से सभ्य समाज में अपनी शारीरिक यौन इच्छाओं को संतुष्ट करने के लिए कहां जाएंगे.’
दोनों की शादी 2015 में हुई थी, जिसके बाद पति और उसके परिवार ने महिला से कथित तौर पर दहेज की मांग की. महिला ने आरोप लगाया कि दहेज की मांग पूरी न होने पर उसके साथ दुर्व्यवहार किया गया और मारपीट की गई.
पत्नी ने यह भी कहा कि उसका पति शराब का आदी था और उससे अप्राकृतिक सेक्स की मांग करता था. उसने आगे आरोप लगाया कि वह अक्सर पोर्न फिल्में देखता था और उसके सामने नग्न होकर घूमता था और हस्तमैथुन करता था. जब उसने इस तरह की हरकतों का विरोध किया, तो पति ने कथित तौर पर उसका गला घोंटने की कोशिश की.
उसने दावा किया कि उसका पति उसे उसके ससुराल वालों के पास छोड़कर सिंगापुर चला गया. आठ महीने बाद जब वह सिंगापुर गई, तो उसने उसे फिर से प्रताड़ित किया.
पति और उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) 1860 की धारा 498ए (पति या पति के रिश्तेदार द्वारा महिला के साथ क्रूरता करना), 323 (चोट पहुंचाना), 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान करना), 506 (आपराधिक धमकी), 509 (महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाना) और दहेज निषेध अधिनियम, 1961 की धारा 3 और 4 के तहत मामला दर्ज किया गया है.
पीड़ित पति और ससुरालवालों ने हाईकोर्ट के समक्ष वर्तमान मामले की खारिज करने के लिए याचिका दायर की थी. कोर्ट का मानना था कि पत्नी ने अपने पति और ससुराल वालों द्वारा प्रताड़ित किए जाने के सामान्य और अस्पष्ट आरोप लगाए हैं.
-भारत एक्सप्रेस
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