उत्तर प्रदेश

योगी सरकार के कार्यकाल में गोरखपुर मंडल में सात गुना बढ़ गईं MBBS की सीटें, इस साल 675 सीटों पर होगी पढ़ाई

UP News: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर मंडल में इस साल एमबीबीएस की 300 नई सीटों पर दाखिला शुरू होने जा रहा है. इसके साथ ही गोरखपुर मंडल में एमबीबीएस की 675 सीटों पर पढ़ाई शुरू हो जाएगी.

योगी सरकार के प्रयास से इस मंडल में सात साल में एमबीबीएस की करीब सात गुना सीटें बढ़ गई हैं. क्षेत्रीय लोगों के मुताबिक गोरखपुर समेत आसपास के कई मंडलों, सीमावर्ती बिहार और नेपाल तक के लोगों के इलाज के लिए उम्मीद की एकमात्र किरण बीआरडी मेडिकल कालेज गोरखपुर ही था.

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गोरखपुर में एबीबीएस के स्टूडेंट्स की संख्या बढ़ रही है.

इस पूरे अंचल में एमबीबीएस की पढ़ाई का भी एकमात्र केंद्र यही था. अव्यवस्था के चलते बीआरडी मेडिकल कॉलेज खुद बीमार नजर आता था तो कई बार इसकी एमबीबीएस की मान्यता पर तलवार लटकती रही. लेकिन, सिर्फ सात साल में ही चिकित्सा और चिकित्सा शिक्षा के लिहाज से गोरखपुर मंडल रोल मॉडल बनता जा रहा है.

चार जिलों में आज पांच मेडिकल कॉलेज और एम्‍स भी

कभी एक मेडिकल कॉलेज वाले इस मंडल के चार जिलों में आज पांच मेडिकल कॉलेज हैं तो एम्स भी है. लंबे दौर तक यहां सिर्फ बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ही एमबीबीएस की सौ सीटों पर पढ़ाई होती थी. इसमें 125 सीटों की वृद्धि गोरखपुर में एम्स खुलने के साथ तथा 100 सीटों का इजाफा देवरिया में महर्षि देवरहा बाबा राज्य स्वायत्तशासी मेडिकल कॉलेज की स्थापना से हुई.

300 एमबीबीएस सीटों पर दाखिला और पढ़ाई होगी

विभाग से मिली जानकारी के अनुसार मंडल में इस साल से तीन नए मेडिकल कॉलेजों में कुल 300 एमबीबीएस सीटों पर दाखिला और पढ़ाई शुरू होने जा रही है. इनमें कुशीनगर में राज्य स्वायत्तशासी मेडिकल कॉलेज को 100, महाराजगंज में पीपीपी मॉडल पर संचालित केएमसी मेडिकल कॉलेज को 150 और निजी क्षेत्र के महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय गोरखपुर के अंतर्गत संचालित श्री गोरक्षनाथ मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर को एमबीबीएस की 50 सीटों के लिए मान्यता और लेटर ऑफ परमिशन नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) से प्राप्त हुआ है.

बीएएमएस की सौ सीटों के लिए पहले से ही मान्यता

महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय को आयुर्वेद चिकित्सा के क्षेत्र में बीएएमएस की सौ सीटों के लिए पहले से ही मान्यता प्राप्त है. गोरखपुर में इस साल के अंत तक राज्य के पहले आयुष विश्वविद्यालय का निर्माण कार्य भी पूरा हो जाने की उम्मीद है. आयुष विश्वविद्यालय के पूर्णतः क्रियाशील होने के बाद आयुर्वेद, होम्योपैथी, यूनानी आदि चिकित्सा पद्धतियों से इलाज व इन पद्धतियों में शिक्षा का भी प्रसार और विस्तार होगा.

– भारत एक्‍सप्रेस

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