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गाजा, यूक्रेन और यमन, हर युद्ध में क्यों शामिल है अमेरिका? पढ़ें अमेरिकी प्रवक्ता का खास इंटरव्यू

मिडिल ईस्ट से लेकर यूरोप तक युद्ध जारी है. चाहे यूक्रेन,रूस का युद्ध हो या हमास का इजराइल के खिलाफ युद्ध या लाल सागर में हूतियों के खिलाफ युद्ध, अमेरिका ही एक ऐसा देश है जो इन सभी युद्धों में हर जगह मौजूद है. अमेरिका हमास युद्ध में इसराइल के साथ खड़ा है. रूस ,यूक्रेन युद्ध में यूक्रेन के साथ खड़ा है और लाल सागर में हूतियों के ख़िलाफ़ अग्रिम पंक्ति में है. ऐसे में मौजूदा विश्व हालात पर अमेरिका का रुख क्या है और अमेरिका फिलिस्तीन के भविष्य को कैसे देखता है, इन सभी मुद्दों पर भारत एक्सप्रेस उर्दू के संपादक डॉ. खालिद रजा खान ने अमेरिकी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मार्गरेट मैकलियोड से खास बातचीत की.

प्रश्न 1: हूती विद्रोहियों को नियंत्रित करने के लिए, अमेरिका और सऊदी अरब ने मिलकर इसके खिलाफ लड़ाई लड़ी, एक लम्बी लड़ाई के बावजूद, हौथिस को नियंत्रित नहीं किया जा सका. सवाल यह है कि अमेरिका थोड़ी संख्या में हौथी मिलिशिया को नियंत्रित करने में विफल क्यों रहा है, जिसके पास अत्याधुनिक हथियार भी नहीं है और एक महाशक्तिशाली देश एक छोटे से सैन्य समूह के सामने बेबस क्यों है, ऐसा क्यों?

उत्तर : हम देख रहे हैं कि हूती अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर हमला कर रहे हैं, हम उनके खिलाफ रक्षात्मक अभियान चला रहे हैं, और यह भी सामने है कि ईरान हूती विद्रोहियों को आधुनिक हथियारों की आपूर्ति कर रहा है. बल्कि गुप्त जानकारी भी प्रदान कर रहा है. जिस से वह टारगेट कर रहे हैं, इस लिए संयुक्त राज्य अमेरिका ने हूती विद्रोहियों को फिर से आतंकवादी सूची में डाल दिया है. यह हमने सोच-समझकर निर्णय लिया है, क्योंकि हम सामान्य यमनी नागरिकों को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहते हैं, इस चिंता के कारण हमारे ट्रेजरी सचिव ने संकेत दिया कि मानवीय सहायता के लिए भोजन और दवा पर प्रतिबंधों की समीक्षा की जानी चाहिए ताकि सामान्य नागरिकों की दैनिक जरूरतों को पूरा किया जा सके.

प्रश्न 2: हूती के हमले का कारण पूरी तरह से स्पष्ट है, ग़ाज़ा पर इज़रायल का हमला और इस हमले में अमेरिका के समर्थन की यह प्रतिक्रिया है. यह भी सच है कि अमेरिका इज़रायल को बिना शर्त मदद कर रहा है, हथियार और धन या फ़न्ड्ज़ दे रहा है. ऐसे में अमेरिका इज़राइल को युद्ध रोकने के लिए मनाने के बजाय अपने जहाज़ को हूतियों से बचाने की कोशिश क्यों नहीं कर रहा है?

उत्तर: देखिए, इजराइल हमारा सुरक्षा सहयोगी है, हमारे उनके प्रति कई दायित्व हैं और हम यह भी समझते हैं कि उन्हें अपनी रक्षा करने का अधिकार है, लेकिन यह भी स्पष्ट है कि हूती विद्रोहियों के हमले न केवल इजराइल को नुकसान पहुंचा रहे हैं, न केवल वे अमेरिका को नुकसान पहुंचा रहे हैं. बल्कि वे पूरे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को प्रभावित कर रहे हैं, इसलिए संयुक्त समुद्री बल संयुक्त बाहरी यातायात के तहत एक टास्क फोर्स बनाकर अन्य देशों के साथ ऑपरेशन समृद्धि गार्जियन का संचालन कर रहे हैं. हम निजी कंपनियों के अपतटीय जहाजों के साथ गश्त करते हैं और हूती विद्रोहियों द्वारा हमला किए जाने पर उनकी रक्षा करते हैं.

प्रश्न 3: ग़ाज़ा में युद्ध के लिए अमेरिका ने इज़रायल की हर तरह से मदद की है, तीन महीने के हमलों के बावजूद, अमेरिका या इज़रायल को यह नहीं पता है कि कितने हमास लड़ाके मारे गए हैं, लेकिन पूरी दुनिया यह जानती है कि इस युद्ध में अब तक 25 हज़ार से ज्यादा निर्दोष नागरिक मारे जा चुके हैं, ग़ाज़ा पूरी तरह से तबाह हो चुका है, लाखों फ़िलिस्तीनी विस्थापित हो चुके हैं। क्या इस पूरी आपदा के लिए अमेरिका को ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए, क्योंकि अगर अमेरिका इज़राइल के पीछे खड़ा नहीं होता, तो इज़राइल इतनी दूर तक नहीं जाता?

उत्तर : हम इस हमास-इज़राइल संघर्ष में हताहतों की उच्च संख्या से अवगत हैं, इसलिए हम अपने समर्थकों से नागरिकों की सुरक्षा के लिए यथासंभव सोच-समझकर कार्य करने के लिए कह रहे हैं। हम जानते हैं कि इजरायली नागरिकों और फिलिस्तीनी लोगों को सामान अधिकार हैं। उन्हें भी स्थिर और सुरक्षित रहना चाहिए. हमारा मानना है कि भविष्य में केवल दो-राज्य समाधान ही इस समस्या का समाधान कर सकता है.

प्रश्न 4: अमेरिका दो-राज्य के समाधान की वकालत करता है, विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन जगह-जगह इसके बारे में बात कर रहे हैं, राष्ट्रपति बाइडेन भी इसे दोहरा रहे हैं, लेकिन इज़रायल के प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू इसे सिरे से नकार रहे हैं. ग़ाज़ा पर क़ब्जे की भी चर्चा चल रही है. सवाल यह है कि ऐसी क्या मजबूरी है कि अमेरिका इज़राइल के ख़िलाफ़ आने से कतराता है लेकिन इज़राइल अमेरिका के रुख़ के ख़िलाफ़ जाने से बाज़ नहीं आता है और क्या अमेरिका स्थायी युद्धविराम नहीं चाहता है, क्या अमेरिका टू स्टेट सॉल्यूशन को केवल ज़ुबानी दावे तक सीमित रखना चाहता है. हां, अगर ऐसा नहीं है, तो अमेरिका इस टू स्टेट समाधान के लिए कोई समय सीमा क्यों नहीं निर्धारित करता है? वह कोई गंभीर क़दम क्यों नहीं उठाता है?

उत्तर : मैं समझती हूं कि इन दिनों की खबरों को देखते हुए, टू स्टेट समाधान दूर की कौड़ी लगता है, लेकिन हर कोई स्थिरता और सुरक्षा चाहता है, और जब तक इसरायली और फिलिस्तीनियों, दोनों को यह अधिकार नहीं मिल जाता, खतरा बाक़ी रहेगा. इसलिए हम सम्बंधित क्षेत्र के हर देश के साथ बात करते रहने की कोशिश करते हैं ताकि यह देखा जा सके कि हम भविष्य में फ़िलिस्तीनी लोगों के लिए क्या कर सकते हैं. उनकी मानवीय सहायता के लिए, उनके पुनर्वास के लिए, सहयोग करके क्या कार्यक्रम किए जा सकते हैं ताकि क्षेत्र में समृद्धि और स्थिरता आ सके.

प्रश्न 5- भारत के अमेरिका और इज़राइल दोनों के साथ अच्छे संबंध हैं। जी-20 के दौरान भारत-यूरोप कॉरिडोर पर ऐतिहासिक फ़ैसला हुआ था, लेकिन इज़राइल-हमास युद्ध और लाल सागर में तनाव के कारण इस कॉरिडोर का काम ठप्प पड़ गया है. ये कॉरिडोर भारत से शुरु और इज़राइल में ख़त्म होगा, लेकिन तनाव का यह दौर फ़िलहाल इस काम में बाधा बन रहा है. क्या अमेरिका इस माहौल को बदलने के लिए भारत के साथ मिलकर कोई योजना बना रहा है या फिर अमेरिका भारत को अपने साथ लेकर कोई कार्य योजना बना सकता है?

उत्तर : देखिये यह कॉरिडोर काफी लंबा है ,यह भारत से यूरोप तक जाता है और जहां भी हम प्रगति कर सकते हैं हम प्रयास करते हैं. यह वैश्विक अवसंरचना निवेश के लिए अमेरिकी साझेदारी का हिस्सा है. और हम समझते हैं कि दुनिया भर के देशों को अपने नागरिकों की समृद्धि के लिए अपनी आर्थिक प्रणालियों में इस तरह के निवेश की आवश्यकता है और हम इस परियोजना में भारत के साथ आगे काम करने की उम्मीद करते हैं, क्योंकि हम देखते हैं कि गाजा में पुनर्वास के लिए महत्वपूर्ण निवेश की आवश्यकता है और हम जो मदद कर सकता है उनके के साथ भी काम करना चाहते हैं.

-भारत एक्सप्रेस

Rahmatullah

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