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जहां दुर्योधन ने पांडवों के लिए बनवाया था लाक्षागृह, वो जमीन होगी अतिक्रमण-मुक्त? बागपत न्यायालय का आया फैसला- हिंदू पक्ष को अधिकार, बदरुद्दीन की मजार अवैध

Baghpat Lakshagraha News: उत्तर प्रदेश में बागपत जिले से बड़ी खबर आई है. यहां महाभारत-काल के लाक्षागृह वाली भूमि को लेकर चला आ रहा हिंदू-मुस्लिम पक्षों का विवाद सुलझने के आसार हैं. आज इस मामले में बागपत न्यायालय ने अपना फैसला सुनाया है. न्यायालय ने इस भूमि को हिंदुओं की माना है, और कुछ सौ साल पहले बनवाई गई बदरुद्दीन की मजार/दरगाह का दावा खारिज होने की खबरें आ रही हैं.

संवाददाता कुलदीप पंडित ने बताया कि न्यायालय में सिविल जज (जूनियर डिवीजन प्रथम) शिवम द्विवेदी की ओर से फैसला सुनाया गया है. फैसला सुनाने से पहले न्यायालय ने दोनों पक्षों की बहस सुनी. वादी पक्ष से शाहिद अली ने विवादित भूमि को बदरुद्दीन की दरगाह बताते हुए दलील पेश की थी. वहीं, दूसरे पक्ष से रणवीर सिंह ने उस स्थान को महाभारत-काल की भूमि बताते हुए साक्ष्य पेश किए.

32 पेज के जजमेंट में आया विवाद पर फैसला

दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायालय ने 32 पेज के जजमेंट में फैसला सुनाया. फैसले के अनुसार, विवादित स्थल पर हिंदू पक्ष का अधिकार है और मुस्लिम पक्ष को वहां से हटना होगा. न्यायालय के समक्ष ये विवाद 53 वर्षों से चल रहा था. हालांकि, सनातन धर्म के ग्रंथों में उल्लेख है कि महाभारत-काल द्वापर युग के अंतिम चरण में आया था. तब भगवान श्रीकृष्ण ने पांडवों के हाथों अधर्मियों का नाश करवाया था.

यही है वो स्थान, जहां रचा गया लाक्षागृह षड्यंत्र

विद्वानों का मत है कि महाभारत का युद्ध 5 हजार साल से भी पहले लड़ा गया था, जिसमें पृथ्वी पर मौजूद बड़े-बड़े राजा और महारथी शामिल हुए थे. अधर्म की आड़ लेने वाले कौरवों और उनके सहयोगियों का विनाश इसी युद्ध में हुआ था. युद्ध की एक वजह यही लाक्षागृह था. इसका महाभारत ग्रंथ में वर्णन आता है, कि जब कुंती-पुत्र युधिष्ठिर (पांडव) को युवराज घोषित किया जाता है तो जले-भुने दुर्योधन व उसके भाइयों और मामा शकुनी ने पांचों पांडवों को मार डालने का षड्यंत्र रचा. उन्होंने ‘लाक्ष’ का गृह बनवाया, जिसमें पांडवों को जला डालने की साजिश रची गई थी. हालांकि, भगवान की कृपा थी, पांडव बच निकले थे.

यहां देखिए पूरे मामले पर वीडियो-

 

यह भी पढ़िए— ज्ञानवापी जैसी एक और कानूनी लड़ाई: महाभारत काल के लाक्षागृह की भूमि पर मजार बनाने का मामला न्यायालय में, 12 सितंबर को आएगा फैसला?

— भारत एक्सप्रेस

Vijay Ram

वेब जर्नलिज्म में रचे-रमे. इनका हिंदी न्यूज वेबसाइट के क्रिएटिव प्रजेंटेशन पर फोकस रहा है. 2014 में राजस्थान पत्रिका-जयपुर से बतौर प्रशिक्षु शुरूआत हुई. उसके बाद 7-8 शहरों से होते हुए वनइंडिया हिंदी, एबीपी न्यूज समेत कई पोर्टल पर कार्य किया. जुलाई 2023 से भारत एक्सप्रेस में सेवाएं दीं. पत्रकारिता में बचपन से दिलचस्पी रही, अत: सन् 2000 तक के अखबारों, साप्ताहिक-मासिक पत्रिकाओं को संग्रहित किया. दो दशक से सनातन धर्म के पुराणों, महाभारत-रामायण महाकाव्यों (हिंदी संकलन) में भी अध्ययनरत हैं. धर्म-अध्यात्म, वायरल-ट्रेंडिंग, देश-विदेश, सैन्य-रणनीति और राजनीति की खबरों में रुचि है.

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