मलेशियन एयरलाइन का एक विमान (उड़ान संख्या MH370) साल 2014 में 8 मार्च को 239 यात्रियों के साथ राजधानी कुआलालंपुर से उड़ान भरता है और रहस्यमयी तरीके से रडार से गायब हो जाता है. आज 10 साल बाद भी इस विमान के बारे में कोई जानकारी सामने नहीं आ पाई. इस विमान और इसमें यात्रियों के साथ क्या हुआ, इस सवाल का आज तक कोई जवाब नहीं मिल सकता है. इस विमान का अचानक गायब हो जाना, विमानन इतिहास के सबसे बड़े और दिलचस्प रहस्यों में से एक बन गया है.
इस विमान को चीन की राजधानी बीजिंग पहुंचना था, मगर किसी ने तब सोचा भी नहीं था कि आने वाले दिनों में ऐसी दुखद खबर आएगी कि जिसकी टीस सालों बाद भी महसूस की जाएगी.
MH370 विमान के गायब होने के बाद बड़े पैमाने पर खोज अभियान शुरू हुआ. तीन से चार साल तक विमान की खोज में हर तरह के प्रयास किए गए, संभावित इलाकों का चप्पा-चप्पा छान मारा गया, इस दौरान करोड़ों रुपये भी खर्च कर दिए गए, लेकिन नतीजा सिफर रहा.
विमान में 12 मलेशियाई चालक दल के सदस्य और 14 अलग-अलग देशों से 227 यात्री सवार थे. कुछ मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इसी सप्ताह लापता लोगों के कई प्रियजन स्थानीय अधिकारियों से 8 मार्च 2024 को इसकी 10वीं बरसी से पहले विमान की फिर से खोज शुरू करने का आग्रह करने के लिए मलेशिया आए हुए थे.
वे विमान के बारे में जानकारी मिलने की बात को लेकर आशावान हैं. उनका कहना था कि दुनिया में ऐसी घटनाएं हुई हैं, जहां जहाज खाने के सैकड़ों साल बाद उनका पता चला है. इसलिए ऐसा नहीं कहा जा सकता कि MH370 विमान कभी नहीं मिलेगा.
यह दुर्भाग्यशाली विमान उड़ान भरने के तकरीबन 40 मिनट बाद ही रडार से लापता हो गया. ऐसी जानकारी है आधिकारिक खोज अभियान के समापन के बाद भी कुछ लोगों ने इसका पता लगाने की कोशिश की, लेकिन आज 10 साल गुजर जाने के बाद भी किसी को कोई सफलता नहीं मिल सकी है.
क्या MH370 विमान के साथ जो हुआ उसका रहस्य आने वालों सालों में सुलझ पाएगा? या, अगर ये माना जाए कि विमान किसी हादसे का शिकार हो गया तो इसका मलबा कहां स्थित हो सकता है? या, विमान के साथ क्या कोई दैवीय/मायावी घटना हो गई? या क्या इस विमान पर कोई एलियन हमला हुआ होगा? या इसे बिना किसी मोटिव के हाईजैक कर लिया गया, इन जैसे तमाम सवालों के जवाब अब भी मिलने बाकी हैं.
MH370 विमान 8 मार्च 2014 को रात 12:41 बजे कुआलालंपुर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से रवाना हुआ था और स्थानीय समयानुसार सुबह 6:30 बजे चीन में बीजिंग कैपिटल अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचने वाला था, लेकिन इस दौरान उसके साथ जो कुछ भी हुआ, इसका खुलासा कितने दिन, महीने, साल या दशकों में हो पाएगा, कुछ कहा नहीं जा सकता.
विमान के बारे में आखिरी बार तब सुना गया था, जब इसके पायलटों ने कुआलालंपुर में एयर ट्रैफिक कंट्रोलरों के साथ बातचीत की थी, ताकि यह संकेत दिया जा सके कि विमान बीजिंग के रास्ते में किसी अन्य देश के हवाई क्षेत्र में प्रवेश कर रहा है.
कुछ खोजकर्ताओं का अंदाजा है कि जब यह बातचीत हुई तक विमान मलेशियाई और वियतनामी हवाई क्षेत्र की सीमा पर था और इसी दौरान यह गायब हो गया. हवाई यातायात नियंत्रकों के साथ संचार पूरी तरह से बंद हो गया और यहीं से इस विमान पर रहस्य का पर्दा पड़ गया, जिसे उठाया जाना अभी बाकी है.
लापता MH370 विमान को खोजने के लिए खोज की जिम्मेदारी मलेशिया की थी. हालांकि मलेशियाई सरकार के अनुरोध पर इस खोज अभियान का नेतृत्व ऑस्ट्रेलियाई परिवहन सुरक्षा ब्यूरो (एटीएसबी) ने किया. एटीएसबी की एक रिपोर्ट के अनुसार, खोज अभियान 17 मार्च 2014 को शुरू हुई और 1,046 दिनों तक जारी रही. इसके बाद जब विमान का कुछ पता नहीं चल सका तो अंतत: 17 जुलाई 2018 को इसे समाप्त कर दिया गया. यह अभियान दो चरणों में चलाया गया था.
बाद में एटीएसबी ने जब अपनी रिपोर्ट दी तो इसने विमान से जुड़ी पहेली को और उलझा दिया. एटीएसबी ने रडार और सैटेलाइट कम्युनिकेशन डेटा का विश्लेषण किया था. इस आधार पर उसने बताया कि रडार से लापता होने के बाद विमान वास्तव में अगले सात घंटों तक उड़ान भरता रहा था. दक्षिणी हिंद महासागर में उड़ान समाप्त होने से उस भयावह रात में सर्विलांस सिस्टम द्वारा इसकी अंतिम स्थिति सुमात्रा के उत्तरी सिरे पर सकारात्मक रूप से तय की गई थी.
रिपोर्ट में बताया गया है और जमीन और समुद्र के अंदर की गई खोज का दायरा हिंद महासागर समेत कई लाख वर्ग किलोमीटर तक फैला था और यह विमानन इतिहास का सबसे बड़ा खोज अभियान था. हालांकि फिर भी विमान या फिर उसका मलबा कभी नहीं मिला.
MH370 विमान से जुड़ा रहस्य इस बहस से और भी गहरा हो गया है कि विमान के लापता होने का कारण क्या था. क्या इसे हाईजैक कर लिया गया था? क्या कोई मैकेनिकल फेल्योर के कारण यह दुर्घटनाग्रस्त हो गया था?
या शायद इसके पायलट 53 वर्षीय कैप्टन जहरी अहमद शाह, जो कुछ हुआ उसमें किसी तरह शामिल थे. विमान के गायब होने के बाद शुरुआती महीनों और वर्षों में मीडिया रिपोर्टों में ये थ्योरी भी व्यापक रूप से प्रसारित हुई थी, विशेष रूप से यह विचार कि शाह ने यात्रियों की हत्या के इरादे से विमान को दुर्घटनाग्रस्त कर दिया होगा और खुद अपनी भी जान दे दी होगी.
एटीएसबी की रिपोर्ट में कहा गया है कि पायलट शाह के फ्लाइट सिम्युलेटर (एक हवाई जहाज पायलट-प्रशिक्षण उपकरण, जिसमें हवाई जहाज के कॉकपिट और उपकरणों की नकल की जाती है और वास्तविक उड़ान की स्थितियों का अनुकरण किया जाता है.) का उपयोग 8 मार्च 2014 से छह सप्ताह पहले कुआलालंपुर में उड़ान भरने वाले एमएच370 के उड़ान मार्ग के समान पथ को मैप करने के लिए किया गया था. अगर इसमें पायलट द्वारा कोई साजिश की गई है, तो पायलट ने अपने ही विमान को गिराने का फैसला क्यों किया होगा, इसका सवाल का जवाब शायद कभी मिल सके.
यह बिना विमान के एक दुर्घटना हो सकती है. एक ऐसी आपदा जिसके पीड़ितों के साथ क्या हुआ, इसका कोई निर्णायक सबूत नहीं है. यह विमानन इतिहास की एक ऐसी कहानी है, जिसका समापन अध्याय अभी लिखा जाना बाकी है.
-भारत एक्सप्रेस
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