Kishore Kumar: भला किशोर कुमार को कौन नहीं जानता? आज की युवा पीढ़ी भी उनके गाने और गायिकी की स्टाइल की कायल है. भले ही आज मार्डन गायकों ने अपनी जमीन बना ली है लेकिन किशोर कुमार की गायिकी की मिठास को कोई हिला नहीं सका है. वह हरफनमौला कलाकार थे. अपने पीछे गायकी की समृद्ध विरासत छोड़ गए हैं. वह अपने बेबाक अंदाज के लिए जाने जाते थे. वह पूरी उम्र किसी से भी नहीं डरे और मस्त होकर जिए. यहां तक कि उस समय की पीएम इंदिरा गांधी तक को न कहने की हिम्मत उन्होंने दिखाई थी लेकिन वह लता मंगेशकर की एक बात से बहुत डरते थे. आज उनके फॉलोवर्स उनका जन्म दिन मना रहे हैं. इस मौके पर उनसे जुड़ी कुछ बातों को इस लेख के जरिए याद करते हैं.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत में जब आपातकाल लगा था तब किशोर कुमार ने अपने आदर्शों को प्राथमिकता दी और सत्ता के आगे झुकने से मना कर दिया जिससे उनका सीधा पंगा केंद्र सरकार से हो गया. उस वक्त इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थीं और 20 सूत्रीय कार्यक्रमों का प्रचार करना था. इसके लिए किशोर कुमार को चुना गया लेकिन उन्होंने इसके लिए तुरंत मना कर दिया था. इसका परिणाम ये हुआ कि उनके गानों को सरकार द्वारा नियंत्रित ऑल इंडिया रेडियो पर बैन कर दिया गया था. यहां तक कि इनके युगल गाने भी एडिट करके बजाए जाते थे. यह किस्सा 1975-1977 का है. इसी दौरान देश में तत्कालीन प्रधानमंत्री द्वारा आपातकाल लगाया गया था.
बताया जाता है कि किशोर कुमार जितने ही हंसमुख और मजाकिया थे उतने ही आदर्शों के पक्के थे. यही वजह रही कि एक दौर (1982-87) था जब सब अमिताभ बच्चन के पीछे लाइन लगाते थे लेकिन किशोर कुमार ने कभी भी राजेश खन्ना का साथ नहीं छोड़ा और उन्होंने काका के लिए 91 फिल्मों में अपनी आवाज दी.
बता दें कि किशोर कुमार ने एक बार खुद ही लता मंगेशकर की एक आदत का जिक्र करते हुए कहा था कि वह असहज महसूस करते हैं. उन्होंने कहा था कि लता दीदी की अनुशासन की आदत से वह असहज महसूस करते थे. एक किस्सा खुद किशोर कुमार ने साझा करते हुए एक साक्षात्कार में बताया था कि “मुझे आश्चर्य हुआ जब लता ने लंदन में मेरे साथ स्टेज शो करने के लिए हामी भरी. मैं रोमांचित था, लेकिन मुझे एक बात की चिंता थी- उनका अनुशासन.”
उन्होंने इसी साक्षात्कार में बताया था कि वह बिना रिहर्सल के कभी स्टेज पर नहीं जाती थी और मैं चीजों को बेहद सामान्य तरीके से लेता हूं. मंच पर हमें पांच डुएट गीत गाने थे. समस्या तब खड़ी हुई जब स्टेज पर जाने का समय आया. हम तय नहीं कर पा रहे थे कि पहले कौन जाएगा? मैंने सुझाव दिया कि लता पहले गाएं क्योंकि वह मेरी सीनियर हैं, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. इसके बजाय वह मेरा परिचय कराने के लिए स्टेज पर चली गईं. उन्होंने मेरी बहुत प्रशंसा की, लेकिन यह भी कहा, “मैं उन्हें दा कहती हूँ क्योंकि वो मुझसे उम्र में बड़े हैं.” मैं उनसे एक महीने और 24 दिन बड़ा हूं! इसके बाद हमने तीन शो किए.
मालूम हो कि लता और किशोर ने कई बेजोड़ गीत गाए हैं जो कि आज भी लोग गुनगुनाते हैं और आज भी लोगों को रोमांचित कर देते हैं. दोनों कलाकारों के बीच बॉन्डिंग अच्छी थी. दोनों की आवाज में अलग सी रवानगी थी. शायद यही एक वजह रही कि किशोर दा ने आखिरी इंटरव्यू भी लता दीदी को दिया. लता मंगेशकर ने एक रिपोर्टर बनकर उनसे कई मुद्दों पर बात की थी. इस दौरान भी किशोर कुमार ने एक मजेदार किस्सा सुनाया था. ये किस्सा भी दोनों की पहली मुलाकात से जुड़ा था. किशोर कुमार ने बताया था कि कैसे दोनों ने ट्रेन और टांगे में एक साथ सफर किया. फिर दोनों एक ही जगह पहुंचे और वो था बॉम्बे टॉकीज. लता सोचती रहीं कि किशोर कुमार उन्हें फॉलो कर रहे हैं लेकिन कुछ देर बाद ही पर्दा उठाया खेमचंद प्रकाश ने. उन्होंने फॉर्मल इंट्रोडक्शन कराया और इसके बाद दोनों खूब हंसे.
-भारत एक्सप्रेस
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