नई दिल्ली– रूस और यूक्रेन जंग में भारी तबाही हुई है.अरबों की संपत्ति हवाई हमलों में जलकर राख हो गयी.लेकिन सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हजारों छात्रों का जिन्हें युद्ध के दौरान प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण जान बचाकर वतन लौटना पड़ा. दोनों देशों के बीच फरवरी महीने से ही कुछ भी ठीक नहीं है. भारत के भी हजारों छात्रों के सामने बेहतर भविष्य का संकट खड़ा हो गया. यूक्रेन में अपनी अधूरी पढ़ाई छोड़कए आए मेडकिल के छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया तो शुक्रवार को सुनवाई करते हुए देश की सबसे बड़ी अदालत ने केंद्र सरकार को एक वेब पोर्टल बनाने का सुझाव दिया है.
वेबपोर्टल से क्या लाभ होगा?
इस पोर्टल के जरिए यूक्रेन से भारत लौट मेडिकल के छात्रों को दूसरे देशों में दाखिला यानी एडमिशन कराने में आसानी हो सकेगा.जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ ने केंद्र सरकार की तरफ से अपना पक्ष रख रहे जनरल तुषार मेहता से कहा कि सरकार को उन भारतीय छात्रों की मदद करनी चाहिए जिससे छात्रों को अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए दूसरे देशों में आसानी से एडमिशन मिल सके.सुप्रीम कोर्ट ने कहा, एक वेब पोर्टल शुरू करें, जिसमें विदेशों में मौजूद विश्वविद्यालय की खाली सीटों, फीस जैसी जानकारी दी जाए और ये भी सुनिश्चित करें कि इसमें एजेंटों का कोई रोल न हो. आगे सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, सरकार को अपने संसाधनों का इस्तेमाल यूक्रेन से अपनी पढ़ाई को छोड़कर भारत लौटे छात्रों की मदद के लिए करना चाहिए.सरकार की तरफ से अपना पक्ष रख रहे जनरल तुषार मेहता ने कहा कि, वो छात्रों के प्रतिकूल रुख नहीं अपना रहे हैं और सुप्रीम कोर्ट के सुझावों पर सरकार से बात करेंगे, जिसके लिए जनरल तुषार मेहता ने समय मांगा है.इसके अलावा जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में बताया कि, केंद्र ने छात्रों की मदद के लिए कई उपाय किए हैं, उनके लिए अपनी ट्रेनिंग पूरी करने के लिए अनुमति दी गई है और यह भी तय किया गया कि वे अपनी डिग्री यूक्रेन से प्राप्त करेंगे, साथ ही अकादमिक गतिशीलता कार्यक्रम भी किया गया.
क्या है अकादमिक गतिशीलता कार्यक्रम?
यूक्रेन से भारतीय एमबीबीएस छात्रों को वापस आना पड़ा था, वे अब अस्थायी रूप से कुछ अन्य विदेशी विश्वविद्यालयों में अपनी पढ़ाई पूरी कर सकते हैं, संभवत यूरोप में, लेकिन वे मूल यूक्रेनी विश्वविद्यालय के छात्र बने रहेंगे.सुनवाई कर रही पीठ ने कहा कि, सरकार को भारतीय कॉलेजों में 20,000 छात्रों को प्रवेश देने में समस्या है और छात्रों को वैकल्पिक अकादमिक गतिशीलता कार्यक्रम का लाभ उठाने के लिए विदेशों में जाना होगा और केंद्र को समन्वय करना चाहिए, सभी आवश्यक मदद करनी चाहिए.
–आईएनएस
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