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Earthquake: अफगानिस्तान में सुबह-सुबह महसूस किए गए भूकंप के झटके, इतनी थी तीव्रता

Earthquake In Afganistan: अफगानिस्तान के काबुल में एक बार फिर से भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं. मंगलवार को आए इस भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 4.1 मापी गई. भूकंप का केंद्र 73 किलोमीटर जमीन के नीचे बताई गई है. हालांकि इस घटना में किसी के हताहत होने की खबर नहीं है. ये जानकारी नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी की तरफ से दी गई है. भूकंप के झटके महसूस होने के बाद लोगों में अफरा-तफरी मच गई. लोग अपने घरों से निकलकर बाहर पार्कों, सड़कों और अन्य खुली जगहों पर इकट्ठा हो गए.

कम तीव्रता का था भूकंप

21 नवंबर को अफगानिस्तान में आए भूकंप में किसी तरह की कोई हानि नहीं हुई है. भूकंप की तीव्रता कम होने से लोगों ने राहत की सांस ली. भूकंप मंगलवार की सुबह 3 बजकर 14 मिनट पर महसूस किए गए.

ढाई हजार लोगों की हुई थी मौत

बता दें इससे पहले हाल ही में भूकंप के तेज झटके आए थे. जिसकी तीव्रता 6.3 रिक्टर स्केल पर मापी गई थी. इस भूकंप की घटना में करीब ढाई हजार लोग मारे गए थे. ये भूकंप पिछले महीने अक्टूबर में आया था. जिसमें 9 हजार लोग घायल हो गए थे और तमाम इमारतें भी गिर गई थीं.

15 नवंबर को पाकिस्तान में भी 5.2 तीव्रता के झटके महसूस किए गए थे. राहत की बात ये रही थी कि इसमें किसी तरह की कोई क्षति नहीं हुई थी. पाकिस्तान में 11 नवंबर को भी काफी कम तीव्रता के भूकंप के झटके महसूस हुए थे.

3 नवंबर को नेपाल में आया था भूकंप

3 नवंबर को नेपाल में आए भूकंप ने भारी तबाही मचाई थी. जिसमें 157 लोगों की मौत हो गई थी. इसके अलावा हजारों लोग घायल हो गए थे. भूकंप की वजह से 8 हजार से ज्यादा घर जमीदोंज होने के अलावा तमाम नुकसान हुआ था. इस भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 6.4 मापी गई थी. इसके झटके उत्तर भारत के कई राज्यों में भी महसूस किए गए थे. जिसमें दिल्ली-एनसीआर से लेकर यूपी, उत्तराखंड और राजस्थान में धरती में कंपन हुआ था.

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इसलिए आता है भूकंप

आखिर भूकंप क्यों आते हैं? इसको समझने के लिए सबसे पहले पृथ्वी की संरचना को जानना जरूरी है. हमारी पृथ्वी टैक्टोनिक प्लेट्स पर स्थित है. इन प्लेटों के नीचे तरल पदार्थ लावा है. जिसपर टैक्टोनिक प्लेट्स तैरती रहती हैं. कई बार ऐसा होता है कि ये प्लेटें आपस में टकरा जाती हैं. बार-बार टकराने से इन प्लेट्स के कोने सिकुड़ जाते हैं या फिर टूटने लगते हैं. जिससे नीचे से निकली ऊर्जा बाहर निकलने के लिए रास्ते खोजती है. जिसमें डिस्टर्बेंस होता है और इसी के बाद भूकंप की स्थिति पैदा होती है.

-भारत एक्सप्रेस

Shailendra Verma

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