IIHC: पिछले दिनों इंडो इस्लामिक हेरिटेज सेंटर ने एक वेबिनार का आयोजन किया था. इसमें IIHC के डायरेक्टर और दरगाह ख्वाजा साहब अजमेर शरीफ के गद्दी नशीन सैयद लियाकत हुसैन मोइनी के साथ सूफी विद्वान गोलिट्जेन फराजाजे भी शामिल हुए. वेबिनार को संबोधित करते हुए प्रोफेसर सैयद लियाकत हुसैन मोइनी ने कहा कि भारतीय उपमहाद्वीप और अनातोलिया सदियों से सूफीवादी कनेक्शन साझा करते हैं. दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान इसकी वजह है.
वेबिनार को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता सूफी विद्वान गोलिट्जेन फराजाजे ने कहा, “भारतीय और अनातोलियन सूफीवाद के अलग-अलग क्षेत्रीय प्रथाएं हैं. आध्यात्मिक, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और रूमी और प्रमुख हस्तियों के प्रभाव के माध्यम से दोनों देश परस्पर जुड़े हुए हैं. उन्होंने कहा कि इन संबंधों ने दोनों क्षेत्रों में सूफी परंपराओं की विविधता और समृद्धि में योगदान दिया है.
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उन्होंने बताया कि भारतीय और अनातोलियन सूफीवाद के बीच का कनेक्शन प्रसिद्ध फारसी सूफी कवि और रहस्यवादी, मेवलाना जलालुद्दीन रूमी की वजह से है. रूमी की शिक्षाओं और कविताओं को उनकी कृति ‘मसनवी’ में सहेजा गया है. प्रेम, भक्ति और परमात्मा के साथ मिलन पर उनका लेखन भारत और अनातोलिया में समान रूप से सूफियों के साथ प्रतिध्वनित होता है.
सूफी विद्वान ने आगे कहा कि चिश्ती आदेश, भारत में प्रमुख सूफी आदेशों में से एक है, जो वर्तमान अफगानिस्तान में चिश्त क्षेत्र के एक सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के आध्यात्मिक वंश का पता लगाता है.
-भारत एक्सप्रेस
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