NASA: अंतरिक्ष एजेंसी नासा लगातार नई खोजों की ओर आगे बढ़ रहा है. इसी क्रम में नासा के जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (JWST) ने एक ऐसा डाटा एकत्र किया है जिससे ये बात साफ होती है कि यूरेनस (अरुण ग्रह) के 5 चंद्रमाओं में से एक एरियल पर एक संभावित भूमिगत महासागर हो सकता है. इस खोज को अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के लिए एक आश्चर्यचकित करने वाली खोज माना जा रहा है.
एरियल अपनी बर्फीली सतह और विविध भूवैज्ञानिक विशेषताओं के लिए जाना जाता है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, JWST ने एरियल की सतह पर कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) बर्फ की महत्वपूर्ण मात्रा का पता लगाया है. CO2 की मात्रा विशेष रूप से अनुगामी गोलार्ध पर सबसे अधिक है. माना जा रहा है कि यह अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के लिए एक आश्चर्यचकित करने वाली खोज है.
खोज में सामने आया है कि घाटी, कंटक, भ्रंश और कई अन्य घाटियां शामिल हैं, जो मुख्य रूप से टेक्टोनिक गतिविधि और क्रायोवोल्कैनिज्म तरल या गैसों के विस्फोट द्वारा बनी हैं. इसे एक बड़ी खोज के रूप में इसलिए भी देखा जा रहा है और वैज्ञानिक इसलिए भी काफी आश्चर्यचकित हैं, क्योंकि यूरेनियन प्रणाली की सूर्य से औसत दूरी पर CO2 के जमने की उम्मीद नहीं है, जो कि 2.9 अरब किलोमीटर दूर है.
द एस्ट्रोफिजिकल जर्नल लेटर्स में प्रकाशित एक अध्ययन में एरियल की सतह पर CO2 बर्फ की मौजूदगी को लेकर एक अलग अनुमान लगाया गया है. अध्ययन से ये ज्ञात हुआ है कि CO2 के अणु एरियल पर सतह के नीचे तरल महासागर से निकाले जा सकते हैं. तो दूसरी ओर विश्लेषण से ये भी मालूम हुआ है कि एरियल में सौरमंडल में सबसे अधिक CO2 युक्त जमा हैं. एरियल पर एक भूमिगत महासागर के अस्तित्व की पुष्टि करने के लिए एक अंतरिक्ष मिशन की आवश्यकता है.
-भारत एक्सप्रेस
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