इंग्लैंड की राजधानी लंदन में रविवार (12 जनवरी) को अलग नजारा दिखा. तापमान जीरो से 3-4 डिग्री नीचे होने के बावजूद लोगों ने मेट्रो पर बिना पतलून के ट्रैवल किया. दरअसल लंदनवासी रविवार को लंदन नो ट्यूब ट्रॉउजर डे (London Tube No Trouser Day) मना रहे थे. इस दिन मेट्रो, जिसे वहां ट्यूब कहा जाता है, पर बिना पतलून के यात्रा करने की परंपरा है. इसकी शुरूआत साल 2002 में हुई थी.
कमर के ऊपर पूरे कपड़े, मगर कमर के नीचे सिर्फ इनरवियर और जूते-मोजे पहनकर लड़कियों और महिलाओं ने भी इस अभियान में हिस्सा लिया.
इस अभियान में लंदन में वेस्टमिंस्टर, वाटरलू और साउथ केंसिंग्टन सहित लंदन अंडरग्राउंड नेटवर्क में कई यात्री ट्राउजरलेस देखे गए. जनवरी 2002 में न्यूयॉर्क में केवल सात लोगों के साथ शुरू की गई यह यात्रा दुनिया भर में फैल गई है और इस साल लंदन में दर्जनों लोगों ने इसमें हिस्सा लिया.
लंदन नो ट्यूब ट्रॉउजर डे, हास्य कलाकार चार्ली टॉड के दिमाग की ऊपज है. टोड ने बीबीसी को बताया, “इसका पूरा उद्देश्य खुशी, आनंद और भ्रम के अप्रत्याशित क्षण बनाना है. मैं इस परंपरा को जीवित देखकर बहुत खुश हूं. इसका उद्देश्य थोड़ा हानिरहित मनोरंजन करना है.”
कार्यक्रम के बारे में बात करते हुए चार्ली टॉड ने कहा कि निश्चित रूप से हम ऐसे माहौल में रह रहे हैं जहां लोग सांस्कृतिक युद्ध लड़ना पसंद करते हैं और न्यूयॉर्क में मेरा नियम हमेशा यह रहा है कि मेरा लक्ष्य अन्य लोगों का मनोरंजन करना, लोगों को हंसाना है. यह किसी को भड़काने या परेशान करने के लिए नहीं है, इसलिए उम्मीद है कि यह भावना जारी रहेगी.
इस तरह का पहला आयोजन चार्ली टोड ने 2002 में न्यूयॉर्क में किया था. टोड ने सोचा कि यह मजेदार होगा अगर कोई सर्दियों के मौसम के बीच में टोपी और दस्ताने से लेकर स्कार्फ तक सब कुछ पहने हुए मेट्रो ट्रेन में चले, लेकिन पैंट न पहने.
रविवार को दर्जनों लोगों ने इनरवियर में लंदन मेट्रों में ट्रैवल किया जिसकी तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है.
ट्रॉउजरलेस ट्रैवल करने की दूनिया में परंपरा रही है. 2008 तक यह विचार अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर फैल गया, जिसमें न्यूयॉर्क में 900 लोगों ने भाग लिया, जबकि नौ अन्य शहर भी इसमें शामिल हो गए. शिकागो, पोर्टलैंड, सैन फ्रांसिस्को, बाल्टीमोर, बोस्टन, साल्ट लेक सिटी, टोरंटो, वाशिंगटन डीसी और एडिलेड जैसे बड़े शहरों में इस आयोजन के अपने संस्करण आयोजित किए गए. हालांकि, लंदन में यह परंपरा 2009 में शुरू हुई.
-भारत एक्सप्रेस
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