पृथ्वी पर जीवन कबतक रहेगा, ये कोई नहीं जानता. ऐसे में वैज्ञानिक लंबे समय से दूसरे ग्रहों पर जीवन की तलाश कर रहे हैं. आजकल तो मंगल ग्रह पर इंसानी कॉलोनी बसाने की बातें होने लगी हैं. लेकिन सवाल यह है कि क्या इंसान दूसरे ग्रहों पर जिंदा रह सकेगा?
इंसानी सभ्यता को किसी दूसरे ग्रह तक पहुंचाना तभी सफल होगा, जब वहां जीवन को आगे बढ़ाने की संभावना हो. लेकिन स्पेस की शून्य गुरुत्वाकर्षण (Zero Gravity) और हाई रेडिएशन के बीच, क्या एक महिला गर्भधारण कर सकती है? क्या वहां स्वस्थ बच्चे का जन्म संभव है? यह सवाल न केवल विज्ञान की जटिलताओं को चुनौती देता है, बल्कि मानव अस्तित्व के भविष्य से भी गहराई से जुड़ा है.
वैज्ञानिक लगातार कोशिश कर रहे हैं कि धरती के बाहर भी जीवन बसाया जा सके. लेकिन अंतरिक्ष में इंसानी बच्चे का जन्म आसान नहीं है. स्पेस में कई मुश्किलें हैं, जैसे वहां गुरुत्वाकर्षण (gravity) नहीं होती और खतरनाक रेडिएशन होता है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या स्पेस में महिलाएं एस्ट्रोनॉट्स प्रेग्नेंट हो सकती हैं?
वैज्ञानिकों का कहना है कि महिला अंतरिक्ष में प्रेग्नेंट तो हो सकती है, लेकिन वहां का माहौल बच्चे के विकास के लिए ठीक नहीं है. स्पेस में गुरुत्वाकर्षण की कमी और रेडिएशन मां और बच्चे दोनों के लिए खतरनाक हो सकता है.
अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा (NASA) की ओर से स्पेस में एस्ट्रोनॉट्स के बीच शारीरिक संबंधों पर कोई स्पष्ट नीति नहीं है. हालांकि, नासा का कहना है कि अब तक किसी भी मिशन के दौरान किसी अंतरिक्ष यात्री ने ऐसी गतिविधियों में हिस्सा नहीं लिया है.
स्पेस में गुरुत्वाकर्षण नहीं होने के कारण शरीर पर बहुत असर पड़ता है. वहां हड्डियां कमजोर हो जाती हैं. छह महीने में हड्डियों की मजबूती 12% तक कम हो सकती है. अगर कोई महिला अंतरिक्ष में गर्भवती होती है, तो बच्चे को जन्म देते समय उसकी कमर और पेल्विक हड्डियां टूटने का खतरा होता है, जिससे गंभीर चोटें हो सकती हैं.
अगर किसी तरह बच्चा पैदा हो भी जाए, तो जीरो ग्रैविटी और अंतरिक्ष में मौजूद खतरनाक रेडिएशन का उसके शरीर पर बुरा असर पड़ेगा. हो सकता है, बच्चे का सिर बहुत बड़ा हो या शरीर में कोई और असामान्य बदलाव हो जाए.
स्पेस में प्रेग्नेंसी को समझने के लिए वैज्ञानिक चूहों पर रिसर्च कर चुके हैं. इसके लिए उन्होंने चूहों के स्पर्म का प्रयोग किया. चूहों के फ्रीज-ड्राय स्पर्म को अंतरिक्ष में छह साल तक रखा गया. बाद में पृथ्वी पर इन्हें फर्टिलाइज किया गया, जिससे 168 चूहे पैदा हुए. इन चूहों पर रेडिएशन का कोई असर नहीं दिखा. हालांकि, इससे इंसानी प्रेग्नेंसी की गारंटी नहीं मिलती.
-भारत एक्सप्रेस
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