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दिल्ली हाई कोर्ट ने NSCN-IM नेता अलेमला जमीर की जमानत याचिका की खारिज, जानें क्या है पूरा मामला

दिल्ली हाई कोर्ट ने नागालैंड-इसाक मुइवा (एनएससीएन-आईएन) नेता अलेमला जमीर को जमानत देने से इनकार कर दिया. उन्होंने एनआईए मामले में जमानत से इनकार करने वाले ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी. न्यायमूर्ति नवीन चावला और शालिंदर कौर की खंडपीठ ने सोमवार को अपील खारिज कर दी.

हाई कोर्ट ने नवंबर 2024 में एनएससीएन-आईएन गुट के नेता अलेमला जमीर की जमानत याचिका पर आदेश सुरक्षित रखा था. उन्होंने विशेष एनआईए अदालत द्वारा अपनी दूसरी जमानत याचिका खारिज किए जाने के खिलाफ अपील दायर की थी. उनकी दूसरी जमानत याचिका को ट्रायल कोर्ट ने 31 मई, 2024 को खारिज कर दिया था.

अधिवक्ता कार्तिक वेणु पेश हुए और अलेमला जमीर के लिए बहस की. 14 दिसंबर 2023 को हाईकोर्ट द्वारा ट्रायल कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की स्वतंत्रता दिए जाने के बाद दूसरी जमानत अर्जी विशेष एनआईए अदालत के समक्ष पेश की गई. उसने अपनी पहली जमानत खारिज होने के बाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. हालांकि, 14 दिसंबर, 2023 को अपील वापस ले ली गई. उसकी पहली जमानत याचिका 12 दिसंबर, 2022 को विशेष एनआईए अदालत ने खारिज कर दी थी.

नतीजतन, वह जुलाई 2023 में उच्च न्यायालय चली गई. पहली जमानत अर्जी खारिज करते हुए ट्रायल कोर्ट ने आदेश में नोट किया था, समानांतर सरकार चलाने को दिखाने वाले सबूत भी थे, जिसे कभी भी किसी शांति समझौते के तहत स्वीकार नहीं किया गया था. इन सभी ने स्पष्ट रूप से स्थापित किया कि आवेदकों/आरोपियों के खिलाफ आरोप सत्य और प्रमाणित प्रतीत होते हैं.

अदालत ने पाया था कि जमीर और एक अन्य आरोपी मासासांग एओ द्वारा फुंगथिंग शिमरांग के कहने पर एनएससीएन (आईएम) की आतंकवादी गतिविधियों में इस्तेमाल करने के लिए बड़ी रकम के हस्तांतरण के सबूत हैं इस तथ्य के साथ कि जमीर की निशानदेही पर हथियार और गोला-बारूद बरामद किया गया था.

इसके अलावा जमीर का पति पहले ही चीन भाग चुका है, ऐसे में आरोपी के न्यायिक प्रक्रिया से भागने और स्थानीय गवाहों को प्रभावित करने की संभावना है. ऐसे में जमानत देने का कोई मामला नहीं बनता है, विशेष अदालत ने 12 दिसंबर, 2022 को अपने आदेश में नोट किया. उनकी डिफ़ॉल्ट जमानत याचिका को भी ट्रायल कोर्ट ने 3 जुलाई, 2020 को खारिज कर दिया था. आदेश के खिलाफ उनकी अपील को भी दिल्ली उच्च न्यायालय ने 1 मई, 2023 को खारिज कर दिया था.

आरोप है कि याचिकाकर्ता को 17 दिसंबर, 2019 को आईजीआई एयरपोर्ट पर 72 लाख रुपये की नकदी के साथ हिरासत में लिया गया था. वह पैसे का स्रोत नहीं बता सकी. एनआईए ने उन्हें भारतीय दंड संहिता और गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) की धाराओं के तहत कथित आतंकी फंडिंग के लिए गिरफ्तार किया था. एजेंसी पहले ही चार्जशीट दाखिल कर चुकी है. मामला सबूतों के स्तर पर है.

ये भी पढ़ें: High Court ने CAG रिपोर्ट पर दिल्ली सरकार की देरी पर जताई नाराजगी, 15 जनवरी को अगली सुनवाई

-भारत एक्सप्रेस 

गोपाल कृष्ण

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