विश्लेषण

आखिर किसके दबाव में है नागरिक उड्डयन मंत्रालय?

जब भी किसी बड़े उद्योगपति, अभिनेता, मशहूर हस्ती या राजनेता को हवाई यात्रा करनी पड़ती है तो वे अक्सर निजी चार्टर सेवा को ही चुनते हैं. निजी चार्टर सेवा महंगी तो अवश्य पड़ती है परंतु मशहूर हस्तियों को अपनी सुविधा अनुसार यात्रा करना और समय बचाना काफ़ी सुविधाजनक लगता है. इसी के चलते हमारे देश में निजी चार्टर सेवाएं प्रदान करने वाली कंपनियों की संख्या भी लगातार बढ़ती जा रही है.

साधारण एयरलाइन की तरह निजी चार्टर कंपनियों को भी देश के कानून का पालन करते हुए ही ये सेवाएं चलाने दी जाती हैं. नागरिक उड्डयन के सभी नियम और कानून का पालन सही तरह से हो, इसके लिए भारत सरकार के नागरिक उड्डयन मंत्रालय व उसकी विभिन्न एजेंसियां यह सुनिश्चित करते हैं कि एयरलाइन इनमें कोई कोताही न बरते. परंतु क्या ऐसा सभी के साथ हो रहा है? क्या किसी निजी चार्टर एयरलाइन के साथ कोई पक्षपात तो नहीं किया जा रहा?

निजी चार्टर कंपनी पर मेहरबानी

ताजा मामला निजी चार्टर सेवा प्रदान करने वाली एक कंपनी का है जिस पर नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अधिकारी कुछ विशेष मेहरबानियां कर रहे हैं. इन मेहरबानियों के चलते अति विशिष्ट व्यक्तियों की सुरक्षा के साथ न सिर्फ खिलवाड़ हो रहा है, बल्कि दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश की खुलेआम धज्जियां भी उड़ाई जा रही हैं. ‘एआर एयरवेज़’ नाम की एक निजी एयर चार्टर कंपनी यह खिलवाड़ कर रही है.

उल्लेखनीय है कि किसी भी गैर अनुसूचित एयरलाइन के शीर्ष प्रबंधन को नागरिक उड्डयन आवश्यकताएं धारा-3, श्रृंखला-सी, भाग-III के पैरा 11 का अनुपालन करना होता है, जिसके अनुसार, गैर-अनुसूचित ऑपरेटर के परमिट के नवीनीकरण के लिए नई सुरक्षा मंजूरी की आवश्यकता होती है. कंपनी और उसके निदेशकों की व्यक्तिगत सुरक्षा मंजूरी के नवीनीकरण का अनुरोध परमिट की समाप्ति से 180 दिन पहले ‘ई-सहज पोर्टल’ के माध्यम से प्रस्तुत किया जाना चाहिए.

लंबित कानूनी मामलों की घोषणा

सुरक्षा मंजूरी को प्राप्त करने के लिए कंपनी के वरिष्ठ अधिकारियों व निदेशकों को उनके खिलाफ लंबित कानूनी मामलों की घोषणा करना अनिवार्य होता है. इनमें से अगर किसी भी व्यक्ति को, किसी भी मामले में दोषी पाया गया हो तो उसकी सुरक्षा मंजूरी को तब तक वैध नहीं किया जा सकता जब तक वह कानूनी मामलों से मुक्त नहीं हो जाता.

ऐसे व्यक्ति द्वारा इन तथ्यों को छिपाने पर संबंधित अधिकारियों द्वारा उस पर मुकदमा भी चलाया जा सकता है. सिविल एविएशन रिक्वायरमेंट्स (सीएआर) के प्रावधानों के अनुसार, यदि किसी कारण से एयरलाइन के उच्च अधिकारियों की सुरक्षा मंजूरी रद्द कर दी जाती है तो उस कंपनी के ‘एयर ऑपरेटर परमिट’ का भी नवीनीकरण नहीं किया जा सकता.

नियमों की धज्जियां

देश के कानून का उल्लंघन करने पर जो भी करवाई होती है वो ज्यादातर आम नागरिकों पर ही होती है. परंतु आपके सत्ता में ऊंचे संपर्क हैं तो आप प्राय: कानूनी करवाई से बच निकलते हैं. यही किया है भारत के नामी उद्योगपति अशोक चतुवेर्दी ने. ‘एआर एयरवेज’ के नाम से पंजीकृत इनकी निजी चार्टर एयरलाइन को ‘क्लब वन’ के नाम से भी जाना जाता है.

चूंकि ये एयरलाइन देश के जाने-माने और प्रभावशाली व्यक्तियों को अपनी सेवाएं प्रदान करती है. शायद इसलिए चतुर्वेदी नियमों की धज्जियां उड़ाकर गृह मंत्रालय द्वारा ‘सिक्योरिटी क्लीयरेंस’ (सुरक्षा मंजूरी) की बुनियादी आवश्यकताओं का लगातार उल्लंघन करते हुए यह एयरलाइन चला रहे हैं.

एयर ऑपरेटर परमिट 2005 में मिला

गौरतलब है कि ‘एआर एयरवेज’ को एयर ऑपरेटर परमिट 2005 में दिया गया था. जिसका समय-समय पर नवीनीकरण किया गया. इसका आखिरी नवीनीकरण 2019 से 2024 तक किया गया. परंतु इस कंपनी के मालिक अशोक कुमार चतुर्वेदी को 2010 में एक आपराधिक मामले में सीबीआई द्वारा दोषी ठहराया गया.

चतुर्वेदी को 13 दिसम्बर 2010 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के एक आदेश के तहत जमानत पर रिहा अवश्य किया गया, परंतु आरोप मुक्त अभी तक नहीं किया गया. इस मामले में उनकी याचिका अभी भी उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित है. उल्लेखनीय है कि इसी मामले में उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्य सचिव श्रीमती नीरा यादव को भी जेल जाना पड़ा था.

उल्लेखनीय है कि नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने 30 जुलाई 2020 को ‘ए आर एयरवेज़’ को एक ‘कारण बताओ नोटिस’ जारी किया. जिसमें बताया गया कि गृह मंत्रालय से प्राप्त इनपुट के आधार पर, नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने अपने पत्र दिनांक 26 जून 2020 के माध्यम से अशोक चतुर्वेदी की सुरक्षा मंजूरी के नवीनीकरण से इनकार कर दिया है.

सुरक्षा मंजूरी अस्वीकार्य

नोटिस में यह भी उल्लेख किया गया कि सुरक्षा मंजूरी से इनकार के मद्देनजर अशोक चतुर्वेदी नागरिक उड्डयन आवश्यकताओं का अनुपालन में नहीं कर रहे, इसलिए उन्हें यह नोटिस जारी किया गया कि उनका एयर ऑपरेटर परमिट भी क्यों न रद्द कर दिया जाए?

अशोक चतुर्वेदी व उनकी कंपनी द्वारा संतोषजनक उत्तर न मिलने पर मंत्रालय ने दिनांक 03.09.2020 और 04.09.2020 के आदेशों के अनुसार, उन्हें सुरक्षा मंजूरी देने से इनकार करने पर उनके कर्मचारियों के हवाई अड्डे के प्रवेश परमिट भी रद्द कर दिए.

इसी आधार पर चतुर्वेदी की एयरलाइन की एयर ऑपरेटर की सुरक्षा मंजूरी को भी अस्वीकार कर दिया गया. चूंकि एयर ऑपरेटर परमिट के अनुदान/नवीनीकरण के लिए सुरक्षा मंजूरी एक ज़रूरी पूर्व-आवश्यकता है, इसलिए दिनांक 7 सितंबर 2020 के आदेश के अनुसार डीजीसीए ने ‘ए आर एयरवेज’ का ‘एयर ऑपरेटर परमिट’ भी रद्द कर दिया.

राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता

इन नोटिसों को चुनौती देते हुए ‘एआर एयरवेज’ ने दिल्ली उच्च न्यायालय से नोटिस की कार्रवाई पर रोक तो लगवा ली, परंतु माननीय उच्च न्यायालय के 15 फरवरी 2021 के आदेश अनुसार सरकार को यह स्पष्ट निर्देश दिए कि क़ानूनी सलाह के आधार पर सरकार कंपनी के खिलाफ उचित कार्यवाही के लिए स्वतंत्र है.

चतुर्वेदी के रसूख और संबंधों के चलते व नागरिक उड्डयन मंत्रालय में हर स्तर पर अपने संबंधों के चलते, 2021 से आज तक उन्होंने यह सुनिश्चित कर लिया है कि नागरिक उड्डयन मंत्रालय दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को न तो चुनौती दे और न ही अदालत के फैसले के अनुसार, उनके खिलाफ कोई कार्रवाई करे. बल्कि नागरिक उड्डयन के नियमों के विरुद्ध वे ‘एआर एयरवेज़’ के एयर ऑपरेटर परमिट का एक के बाद एक अस्थायी तौर पर नवीनीकरण किए जा रहे हैं, जिसके आधिकारिक प्रमाण लेखक के पास मौजूद हैं.

यह राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता करने का एक स्पष्ट और संवेदनशील मामला है, जहां कंपनी के निदेशक इस अपराध के दोषी हैं वहीं नियम पुस्तिका की अनदेखी करने पर नागरिक उड्डयन मंत्रालय, उसकी सहयोगी एजेंसियां और अन्य संबंधित मंत्रालय भी समान रूप से जिम्मेदार हैं. ये आश्चर्य की बात है कि मीडिया में इस मामले के बार-बार उठने के बावजूद मंत्रालय जाग नहीं रहा है. अब देखना यह है कि इतने बड़े मामले को कब तक दबाया जाता है?

(लेखक दिल्ली स्थित कालचक्र समाचार ब्यूरो के संपादक हैं.)

रजनीश कपूर, वरिष्ठ पत्रकार

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