विश्लेषण

जानलेवा अग्नि प्रदूषण: सावधान भारत!

आप अब तक अगर वायु प्रदूषण से परेशान थे तो यह जान लीजिए आने वाले समय में आपको अग्नि प्रदूषण का सामने करना पड़ेगा. एक रिपोर्ट के मुताबिक विश्व में हर साल 15 लाख लोग अग्नि प्रदूषण की वजह से काल की गाल में समा रहे हैं. इसकी प्रमुख वजह यह है कि लोग पर्यावरण के प्रति उदासीन रवैया अपना रहे हैं और भोतिक सुख के लिए पर्यावरण का नकसान कर रहैं हैं . शायद यही वजह है कि हाल के दिनों में कुछ जंगली जानवरों ने आबादी वाले क्षेत्र में आकर मानव जीवन का नुकसान किया है.

जंगल में आग

जंगल की आग का धुआं खतरनाक वायु प्रदूषकों, जैसे PM 2.5, NO2, ओजोन, सुगंधित हाइड्रोकार्बन या सीसा का मिश्रण है. जहरीले प्रदूषकों के साथ हवा को दूषित करने के अलावा, जंगल की आग भी वायुमंडल में बड़ी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य ग्रीनहाउस गैसों को जारी करके जलवायु को प्रभावित करती है. कण प्रदूषण के कई स्रोत हैं; सबसे आम दहन-संबंधी गतिविधियाँ हैं, जैसे जंगल की आग. स्रोतों की विविधता के कारण, कण कई आकार और आकृतियों में आते हैं.

कुछ कण इतने छोटे होते हैं कि वे केवल इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप का उपयोग करके ही दिखाई देते हैं . आग से प्रकाश प्रदूषण हो सकता है , हालांकि यह आमतौर पर अस्थायी प्रकाश प्रदूषण होता है. छोटी आग प्रकाश प्रदूषण में महत्वपूर्ण योगदान नहीं देती है, लेकिन बड़ी जंगली आग थोड़े समय के लिए बड़ी मात्रा में प्रकाश प्रदूषण पैदा कर सकती है.

लैंसेट द्वारा प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, 2000 और 2019 के बीच तथाकथित परिदृश्य आग (जैसे खेत के डंठल जलाने के कारण) के कारण वायु प्रदूषण से उत्पन्न स्वास्थ्य समस्याओं के कारण भारत में कम से कम 2.5 मिलियन लोगों की मृत्यु हो गई है.बिजली गिरने से बड़ी संख्या में जंगल में आग लग जाती है. बिजली गिरने से चिंगारी पैदा हो सकती है. कभी-कभी बिजली बिजली के तारों, पेड़ों, चट्टानों और किसी अन्य चीज़ से टकरा सकती है और इससे आग लग सकती है.

आग के 4 प्रकार

अग्नि वृद्धि के चार चरणों की व्याख्या इस, प्रकार की जा सकती है, प्रभावी जंगल की आग प्रबंधन के लिए अग्नि वृद्धि के चार चरणों-प्रारंभिक, विकास, पूर्ण विकसित और क्षय को समझना आवश्यक है. जैसे ही आग भड़कती है, यह तेजी से छोटी लपटों से भीषण जंगल की आग में बदल सकती है, इसलिए शीघ्र पता लगाना और मूल्यांकन करना आवश्यक हो जाता है.

द लैंसेट जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, भूदृश्य में लगने वाली आग से वायु प्रदूषण से होने वाली प्रति वर्ष 90 प्रतिशत से अधिक वैश्विक मौतें भारत सहित निम्न और मध्यम आय वाले देशों में होती हैं. जंगल की आग सहित भूदृश्य की आग के कारण बीमारी के सबसे अधिक बोझ वाले अन्य देश चीन, इंडोनेशिया और उप-सहारा अफ्रीका में थे.

धुएं का स्वास्थ्य पर असर

वर्तमान ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन परिदृश्यों के तहत, 2100 तक दुनिया के 74% हिस्से में जंगल की आग में काफी वृद्धि होने का अनुमान है, और एक फीडबैक लूप स्थापित करने का अनुमान है जिसमें जंगल की आग से जंगल का नुकसान होता है जो पर्याप्त ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन जारी कर सकता है, अमेजन में वनों की कटाई और जलन, जलवायु परिवर्तन से प्रेरित वार्मिंग और सूखे के साथ मिलकर, वर्षावन को चरम बिंदु तक ले जा सकती है जहां यह सवाना बन जाता है, जिससे दुनिया के प्रमुख कार्बन सिंक में से एक नष्ट हो जाता है और जलवायु परिवर्तन बिगड़ जाता है.


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अग्नि प्रदूषण और रक्तचाप

एक अध्यन के मुताबिक रक्तचाप रीडिंग से एक दिन पहले देखी गई अपवाइंड फायर की संख्या में उच्च रक्तचाप की घटनाओं में 1.8% की वृद्धि होती है. वृद्ध पुरुषों, धूम्रपान करने वालों, पहले से ही रक्तचाप की दवा ले रहे व्यक्तियों और सामाजिक रूप से हाशिए पर रहने वाले लोगों के लिए अग्नि प्रदूषण आने वाले समय में एक बड़ी समस्या बनने वाली है. जंगल की आग के धुएं के लंबे समय तक संपर्क में रहने से स्वदेशी आबादी में सीओवीआईडी ​​​​-19 के प्रति संवेदनशीलता बढ़ गई, जिनकी सीओवीआईडी ​​​​-19 से मृत्यु दर सामान्य आबादी की तुलना में 250% अधिक थी.

-भारत एक्सप्रेस

कृष्ण मोहन शर्मा, एडिटर, नेशनल अफेयर्स

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