अमेरिका में राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अपने बेटे हंटर बाइडेन को गन क्राइम और टैक्स कन्विक्शन के मामलों में माफी दे दी, जो इस महीने सजा भुगतने वाले थे. इस फैसले पर अमेरिका और भारत दोनों लोकतांत्रिक देशों में सवाल उठ रहे हैं. भारत के पूर्व राजनयिक यशवर्धन कुमार सिन्हा और विदेशी मामलों के विशेषज्ञ अभिजीत अय्यर-मित्रा ने अपनी प्रतिक्रियाएँ दी हैं. इनके अलावा बिजनेस कंसल्टेंट सुहेल सेठ ने भी जो बाइडेन द्वारा अपने बेटे हंटर बाइडेन को बिना शर्त माफ़ी देने की आलोचना की, और इसे अमेरिकी न्याय प्रणाली का मज़ाक बताते हुए कहा कि इससे वहां की न्याय व्यवस्था की विश्वसनीयता पर सवाल उठता है.
सुहैल सेठ ने अमेरिकी न्याय व्यवस्था में राजनीतिक हस्तक्षेप करने वाले जो बाइडेन की टिप्पणियों पर प्रकाश डाला और यह सवाल उठाया कि क्या ऐसा तंत्र विश्वास पैदा कर सकता है. उन्होंने कहा, “कल, जो बाइडेन द्वारा अपने बेटे हंटर बाइडेन को दी गई माफी, मेरे हिसाब से अमेरिकी न्याय व्यवस्था का मजाक है. जो इससे भी बुरा है, वह यह है कि यह खुद न्याय व्यवस्था के खिलाफ एक आरोप है. अमेरिका के वर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अपनी एक टिप्पणी में कहा कि जबकि उन्हें अमेरिकी न्यायपालिका पर विश्वास है, उन्हें यह भी लगता है कि राजनीति ने अमेरिकी न्यायपालिका को संक्रमित कर दिया है और इसके कारण न्याय का हनन हुआ है. ये मेरे शब्द नहीं हैं, ये जो बाइडेन के शब्द हैं. अगर अमेरिका का एक सिटिंग प्रेसिडेंट अपनी न्याय व्यवस्था के बारे में यह कहता है, तो आप मुझे बताइए कि कोई और क्यों और कहाँ इस अमेरिकी न्याय व्यवस्था पर विश्वास करेगा?”
हंटर बाइडेन से जुड़े मामले पर पूर्व राजनयिक यशवर्धन कुमार सिन्हा ने कहा, “मैं यह कहूँगा कि राष्ट्रपति बाइडेन का फैसला मुझे थोड़ा हैरान कर देने वाला है, क्योंकि उन्होंने पहले कहा था कि वह अपने बेटे को माफी नहीं देंगे. अब जो कारण उन्होंने इस फैसले में बताए हैं, वे मुझे हैरान करने वाले हैं. यदि अमेरिकी न्याय व्यवस्था और अमेरिकी राष्ट्रपति खुद इस व्यवस्था पर विश्वास नहीं करते, तो यह चौंकाने वाली बात है. यह एक दिलचस्प विरोधाभास है कि वहीं यूएस जस्टिस डिपार्टमेंट भारत के एक प्रमुख उद्योगपति के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला चला रहा है, जबकि यहाँ पर भ्रष्टाचार के बजाय केवल रिश्वत देने की योजना की बात हो रही है.”
सिन्हा ने आगे कहा, “मुख्य मुद्दा यह है कि हमें दोहरा मापदंड नहीं अपनाना चाहिए, खासकर जब विदेशी देशों के साथ संबंधों की बात हो. अपने अधिकार क्षेत्र का विस्तार उन देशों तक नहीं करना चाहिए, जहाँ हमारा कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है.”
विदेशी मामलों के विशेषज्ञ अभिजीत अय्यर-मित्रा ने इस मुद्दे पर कहा, “अडानी पर अमेरिकी आरोप पूरी तरह से राजनीतिक हैं. ये आरोप हास्यास्पद हैं. हम जानते थे कि यह राजनीतिक हस्तक्षेप है, क्योंकि जिसे इस मामले को उठाने का काम सौंपा गया है, वह एक राजनीतिक नियुक्ति है. जो बाइडेन का अपने बेटे को माफी देना यह सिद्ध करता है कि अमेरिकी न्याय व्यवस्था पूरी तरह से राजनीतिक है.”
उन्होंने इस संदर्भ में 2013 में भारत की एक राजनयिक देवयानी खोब्रागड़े की गिरफ्तारी का उदाहरण भी दिया, जब अमेरिकी अधिकारियों ने इस मामले में राजनीतिक उद्देश्य साधे थे. अय्यर-मित्रा का कहना था, “अमेरिकी सिस्टम हमेशा से राजनीतिक रहा है और यह भविष्य में भी राजनीतिक ही रहेगा.”
जो बाइडेन का अपने बेटे को कई आपराधिक मामलों में माफ़ी देने का निर्णय अमेरिकी न्याय प्रणाली की राजनीति से जुड़ी नई बहस को जन्म देता है, जिसमें भारतीय विशेषज्ञों ने अपने विचार साझा किए हैं. इस निर्णय से यह स्पष्ट हो गया है कि अमेरिकी न्याय प्रणाली में राजनीतिक प्रभाव की भूमिका को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं.
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