Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव से पहले एनडीए और ‘इंडिया’ गठबंधन अपने-अपने कुनबे को विस्तार देने में जुटे हुए हैं. विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए को चुनाव में मात देने का दावा कर रहा है. ‘इंडिया’ गठबंधन का दावा है कि जनता बीजेपी से उब चुकी है और वह परिवर्तन के मूड में है. दूसरी तरफ, बीजेपी ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ की बात कर रही है और दावा कर रही है कि पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए 2024 के चुनावों में हैट्रिक लगाएगा. बीजेपी का फोकस इस वक्त दक्षिणी भारत के राज्यों पर है लेकिन यहां पार्टी को कर्नाटक के अलावा अन्य राज्यों में ज्यादा कुछ हासिल नहीं होता नजर आ रहा है.
तमिलनाडु में AIADMK के झटके के बाद बीजेपी को कर्नाटक में जरूर बढ़त मिल सकती है. दरअसल, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली में कर्नाटक के पूर्व सीएम और जनता दल सेक्युलर नेता एचडी कुमारस्वामी से मुलाकात की और इस दौरान जेडीएस के एनडीए में शामिल होने पर सहमति बनी. इस बैठक के बाद पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा की पार्टी ने NDA में शामिल होने का ऐलान कर दिया.
अमित शाह से मुलाकात के बाद एच.डी. कुमारस्वामी ने कहा कि हमने औपचारिक रूप से भाजपा के साथ हाथ मिलाने और NDA का हिस्सा बनने पर चर्चा की. हमने औपचारिक रूप से प्रारंभिक मुद्दों पर चर्चा की है. हमारी ओर से कोई मांग नहीं है. कुमारस्वामी ने कहा कि गठबंधन हो गया है और हम अब आगे सीट शेयरिंग को लेकर चर्चा करेंगे.
लोकसभा चुनाव 2024 से पहले बीजेपी अपने पैर दक्षिण में मजबूत करने की कोशिश कर रही है. ऐसे में जेडीएस का एनडीए में शामिल हो जाना कहीं न कहीं उसकी स्थिति को मजबूत करेगा. हालांंकि कुछ महीने पहले कर्नाटक में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को जीत मिली थी और जेडीएस मात्र 19 सीटों पर सिमट कर रह गई थी. लेकिन अब बीजेपी और जेडीएस के साथ आने से यहां चुनावी समीकरण दिलचस्प हो सकते हैं, क्योंकि कर्नाटक में बीजेपी को कांग्रेस से हारकर सत्ता गंवानी पड़ी थी. ऐसे में बीजेपी को लोकसभा चुनाव के लिए एक सहयोगी की जरूरत थी, जो जेडीएस काफी हद तक पूरी कर सकती है.
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पिछले लोकसभा चुनावों में 28 में से 25 सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी. लेकिन विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के बेहतर प्रदर्शन के बाद बीजेपी को नुकसान की आशंका थी. ‘इंडिया’ गठबंधन के आकार लेने के बाद निश्चित तौर पर बीजेपी की चिंताएं बढ़ी होंगी क्योंकि इस गठबंधन में प्रमुख विपक्षी दल एक साथ हैं. ऐसे में कर्नाटक में जेडीएस को अपने पाले में करने में कामयाब होने के बाद बीजेपी जरूर उत्साहित हो सकती है.
विधानसभा चुनावों में लिंगायत वोटरों की मायूसी ने बीजेपी को कर्नाटक की सत्ता से बेदखल कर दिया था. हालांकि, इसके लिए बीजेपी की नीतियां भी कम जिम्मेदार नहीं थीं. बीएस येदियुरप्पा को प्रचार से काफी हद तक दूर रखना और अन्य कद्दावर नेताओं को टिकट न देना बीजेपी को भारी पड़ा. ऐसे में जेडीएस के साथ आने से दक्षिणी कर्नाटक में दलित वोटरों के बीच बीजेपी अपनी पकड़ मजबूत कर सकती है और काफी हद तक लिंगायत वोटरों की बेरुखी से हुए नुकसान की भरपाई कर सकती है.
-भारत एक्सप्रेस
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