विश्लेषण

सस्पेंशन के बाद सांसदों की किन-किन चीजों में होती है कटौती?

Parliament Suspension Rules: हाल ही में संसद की सुरक्षा में चूक हुई थी.दो लोग ‘स्मोक बम’ लेकर लोकसभा में कूद गए थे. वहीं दो लोग बाहर से उनका समर्थन कर रहे थे. फिलहाल सभी आरोपियों को कोर्ट ने पुलिस कस्टडी में भेज दिया है. हालांकि, अब इस मुद्दे को लेकर सड़क से लेकर संसद तक में हंगामा हो रहा है. हंगामे के चलते गुरुवार को 14 सांसदों को निलंबित कर दिया गया. बाद में 1 सांसद का निलंबन वापस ले लिया गया. निलंबन पर कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने कहा कि सरकार को बताना चाहिए कि सुरक्षा चूक के बाद क्या कदम उठाए जा रहे हैं. उन्होंने इस मामले पर प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के बयान की मांग की. उन्होंने कहा कि हमारी मांग को दबाने के लिए कई सांसदों को निलंबित कर दिया गया है.

ऐसे में सवाल उठता है कि निलंबन के बाद सांसद के अधिकारों पर कितना असर पड़ता है, क्या उन्हें मिलने वाले भत्ते कम कर दिए जाते हैं? सासंद कौन सा काम नहीं कर सकते हैं? समय से पहले निलंबन को कैसे खत्म किया जाता है. आइये इन सवालों के जवाब बताते हैं:

क्यों किया जाता है सस्पेंशन?

यह सुनिश्चित करना लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति की जिम्मेदारी है कि सदन की कार्यवाही बिना किसी बाधा के चले. यदि कोई सांसद कार्यवाही में बाधा डालता है और उन्हें ऐसा लगता है तो उस सदस्य को सदन से बाहर जाने के लिए कहा जा सकता है. नियम 374 कहता है कि यदि कोई सदस्य अध्यक्ष के अधिकार की अवहेलना करता है तो वह उस सदस्य को पूरे सत्र के लिए निलंबित कर सकता है. मौजूदा मामले में यही हुआ है. सांसदों को पूरे शीतकालीन सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया है.

निलंबित सांसद कौन सा काम नहीं कर सकते?

सांसदों के निलंबन की रणनीति बाकी सत्र के लिए है, यानी उन्हें पूरे सत्र से बाहर कर दिया जाता है. निलंबित सदस्य सदन कक्ष में प्रवेश नहीं कर सकते. विभिन्न समितियों के सम्मेलनों में भाग नहीं ले सकते. न ही वह किसी भी तरह के संवाद का हिस्सा बन सकते हैं. उन्हें किसी को नोटिस देने का भी अधिकार नहीं है. वह अपने प्रश्नों का उत्तर पाने का अधिकार भी खो देता है. सरकार से सवाल भी नहीं कर सकते.

क्या निलंबन के बाद भत्ते और वेतन बंद हो जाते हैं?

आमतौर पर कहा जाता है कि किसी सरकारी अधिकारी को निलंबित करने के बाद उसका आधा वेतन रुक जाता है, लेकिन क्या निलंबन के बाद सांसदों के साथ भी ऐसा ही होता है? बता दें कि सांसदों को वेतन, भत्ते और पेंशन अधिनियम, 1954 के तहत कई तरह की सुविधाएं दी जाती हैं. एक सांसद को 1 लाख रुपये के वेतन के अलावा कई तरह के भत्ते मिलते हैं. इसके साथ ही यह भी कहा गया है कि इसे हर पांच में महंगाई दर के हिसाब से बढ़ाया जाएगा. एक सांसद को किसी सत्र या समिति की बैठक में भाग लेने के दौरान यात्रा करने या उससे जुड़े किसी काम के लिए भत्ता दिया जाता है. उन्हें प्रतिदिन संसद की कार्यवाही में भाग लेने के लिए अलग से भत्ता दिया जाता है.

अब सवाल यह है कि निलंबन के बाद कितने प्रकार के भत्ते रोके जाएंगे. इसका उत्तर यह है कि निलंबन के बाद उन्हें निर्वाचन क्षेत्र भत्ता, कार्यालय और स्टेशनरी सहित विभिन्न भत्ते मिलते रहेंगे. सांसद के तौर पर सदन की कार्यवाही में हिस्सा लेने के लिए मिलने वाला एकमात्र भत्ता भी नहीं दिया जाएगा. चूंकि वह इस दौरान सदन में प्रवेश नहीं कर सकते, इसलिए उन्हें कार्यवाही के लिए दिया जाने वाला भत्ता नहीं मिलेगा.

यह भी पढ़ें: Shri Krishna Janmabhoomi: मुस्लिम पक्ष को झटका, शाही ईदगाह परिसर के कोर्ट कमीशन सर्वे पर रोक लगाने से SC का इनकार

समय से पहले कैसे खत्म हो सकता है सांसदों का निलंबन?

वैसे तो सांसद का निलंबन पूरे सत्र के लिए होता है, लेकिन जरूरत पड़ने पर निलंबन खत्म किया जा सकता है. निलंबन ख़त्म करने के लिए उन्हें माफ़ी मांगनी चाहिए. अगर वह स्पीकर और सभापति से माफी मांगते हैं और उन्हें लगता है कि मामला माफ करने लायक है तो वह सांसद का निलंबन वापस ले सकते हैं.

राज्यसभा में निलंबन के रूल

राज्यसभा में रूल 255 के तहत सभापति हंगामा या बुरा व्यवहार करने वाले सदस्य के खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं. सभापति सांसद को तुरंत सदन से बाहर जाने को कह सकते हैं. रूल 256 के तहत सभापति उस सांसद का नाम दे सकता हैं, जिसने नियमों की अनदेखी की हो. इसके बाद सदन उस सांसद को सस्पेंड करने के लिए एक प्रस्ताव लाया जाता है. इसके बाद सांसद को अधिकतम पूरे सत्र के लिए सस्पेंड किया जा सकता है.

-भारत एक्सप्रेस

Rakesh Kumar

Sr. Sub-Editor

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