Israel Hamas War: फिलिस्तीन के आतंकी हमास और इजरायल के बीच जंग जारी है. इस जंग में करीब 700 लोगों की मौत हो चुकी है. दूसरी ओर वैश्विक राजनीति भी चरम पर है. इस्लामिक देशों ने इजरायल के खिलाफ हमास का साथ दिया है. हालांकि, दो इस्लामिक देश ऐसे भी हैं जिन्होंने इजरायल का समर्थन किया है. दरअसल, संयुक्त अरब अमीरात और बहरीन ने हमास की निंदा की है. जहां एक ओर पाकिस्तान, कतर और ईरान जैसे देशों ने इजरायल की निंदा करते हुए हमास का समर्थन किया है और फिलिस्तीनियों के लिए अलग राज्य (टू नेशन सॉल्यूशन) की स्थापना की मांग की है. वहीं बहरीन और यूएई की प्रतिक्रिया ने सभी को चौंका दिया है.
बता दें कि एक समय में इजरायल को ‘अछूत’ की तरह देखने वाला यूएई और बहरीन ने अमेरिका की पहल पर इजरायल के साथ राजनयिक संबंध बना लिए हैं. इसके साथ ही दोनों देश इजरायल के साथ संबंध बनाने वाले पहले अरब देशों में शामिल हो गए हैं. इसका असर भी अब देखने को मिल रहा है. दुनिया के बाकी इस्लामिक मुल्क हमास को बधाई दे रहे हैं, वहीं बहरीन और यूएई ने इस हमले की निंदा की है. यूएई ने कहा है कि इस लड़ाई के लिए हमास पूरी तरह से जिम्मेदार है. यूएई के विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि इजरायल पर हमास का यह हमला बेहद गंभीर है. इसे जल्द से जल्द खत्म करनी चाहिए.
यूएई ने कहा कि गाजा पट्टी के पास इजरायल के गांवों और शहरों के खिलाफ हमास के हमले बेहद चौंकाने वाले हैं. इससे भारी तनाव पैदा हुआ है. हमास ने लोगों पर हजारों रॉकेट बरसाए हैं. यूएई इस रिपोर्ट से बेहद हैरान है कि हमास ने अपहरण करके लोगों को बंधक बना लिया है. लेकिन उन्होंने गाजा पर इजरायल के घातक हमलों की आलोचना से परहेज किया है. मंत्रालय ने कहा, “दोनों पक्षों के नागरिकों को अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के तहत हमेशा पूर्ण सुरक्षा मिलनी चाहिए और उन्हें कभी भी संघर्ष का लक्ष्य नहीं बनना चाहिए.”
सोमवार को बहरीन के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि हमास के हमले से स्थिति खतरनाक रूप से तनावपूर्ण हुई है. बयान में कहा गया है, ‘बहरीन नागरिको को उनके घर से उठाकर बंधक बनाए जाने की निंदा करता है. बयान में तत्काल लड़ाई रोकने का आह्वान किया गया है.
इज़राइल और संयुक्त अरब अमीरात ने 31 मई 2022 को सालाना 10 अरब डॉलर से अधिक का व्यापार करने के उद्देश्य से एक ऐतिहासिक व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए. यूएई अब अरब दुनिया का पहला देश है जिसने इजराइल के साथ मुक्त व्यापार समझौता (FTA) किया है. यह सौदा तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा 2020 में अब्राहम समझौते के माध्यम से इज़राइल और यूएई, बहरीन के बीच संबंधों को सामान्य बनाने की प्रक्रिया शुरू करने के दो साल बाद हुआ है.
एफटीए के तहत दो या दो से अधिक देशों के बीच एक व्यवस्था की जाती है. इस व्यापारिक समझौते के तहत पर्याप्त व्यापार पर सीमा शुल्क और गैर-टैरिफ बाधाओं को कम करने या समाप्त करने के लिए दोनों गुट सहमत होते हैं. एफटीए आम तौर पर वस्तुओं में व्यापार (जैसे कृषि या औद्योगिक उत्पाद) या सेवाओं में व्यापार (जैसे बैंकिंग, निर्माण, व्यापार आदि) को कवर करता है. एफटीए अन्य क्षेत्रों जैसे बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर), निवेश, सरकारी खरीद और प्रतिस्पर्धा नीति आदि को भी कवर कर सकता है.
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कुवैत ने इज़राइल और फ़िलिस्तीनियों के बीच के घटनाक्रम पर अपनी “गंभीर चिंता” व्यक्त की है. इतना ही नहीं इस हमले के लिए इजरायल को दोषी ठहराया है. वहीं ओमान ने इज़राइल और फिलिस्तीनियों से अधिकतम आत्म-संयम बरतने का आह्वान किया है.ओमान ने बयान में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय और अंतर्राष्ट्रीय दलों से “मामले में तुरंत हस्तक्षेप करने और अंतर्राष्ट्रीय कानून के नियमों का सहारा लेने” के लिए कहा है.
विदेश मंत्रालय के एक बयान में कहा गया, “मोरक्को साम्राज्य गाजा पट्टी में स्थिति के बिगड़ने और सैन्य कार्रवाई शुरू होने पर गहरी चिंता व्यक्त करता है और नागरिकों के खिलाफ हमलों की निंदा करता है, चाहे वे कहीं भी हों.”
लेबनान के हिजबुल्लाह ने एक बयान में हमास की उसके “वीरतापूर्ण ऑपरेशन” के लिए प्रशंसा की है. लेबनानी शिया आंदोलन ने एक बयान में कहा, “हिजबुल्लाह विरोध करने वाले फिलिस्तीनी लोगों को बधाई देता है,” बड़े पैमाने पर, वीरतापूर्ण ऑपरेशन के लिए हमास और उसके सशस्त्र विंग, एज़ेदीन अल-क़सम ब्रिगेड की सराहना करते हुए.
हिज़्बुल्लाह ने कहा कि उसका नेतृत्व घटनाक्रम पर नज़र रख रहा है और “देश और विदेश में फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध के नेतृत्व के साथ सीधे संपर्क में है.” हिजबुल्लाह ने कहा कि इज़राइल में हमास का ऑपरेशन “कब्जे के निरंतर अपराधों और पवित्र स्थलों पर लगातार हमले की प्रतिक्रिया” था. 2006 में हिज़बुल्लाह और इज़राइल ने 34 दिनों तक युद्ध लड़ा जिसमें लेबनान में 1,200 से अधिक लोग मारे गए, जिनमें अधिकतर नागरिक थे. इज़राइल में 160 लोग मारे गए, जिनमें अधिकतर सैनिक थे.
-भारत एक्सप्रेस
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