पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा 77 समुदायों को ओबीसी में शामिल करने के मामले में दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 28 और 29 जनवरी को अंतिम सुनवाई करेगा. पश्चिम बंगाल सरकार ने कोलकाता हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर रखी है जिसपर जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस के वी विश्वनाथन की बेंच सुनवाई कर रही है.
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं हो सकता है. जिसपर पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि यह धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं दिया गया है बल्कि पिछड़ेपन के आधार पर दिया गया है. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पश्चिम बंगाल में अल्पसंख्यक आबादी लगभग 27-28 प्रतिशत है.
कोर्ट ने ओबीसी सूची में शामिल जातियों के सामाजिक एवं आर्थिक पिछड़ेपन और नौकरियों में अपर्याप्त प्रतिनिधित्व के बारे में मात्रात्मक डेटा मांगा था. यह मामला रंगनाथ आयोग की सिफारिशों के बाद उत्पन्न हुआ, जिसमें मुस्लिमों के लिए 10% आरक्षण की सिफारिश की गई थी. हिंदू समुदाय के लिए 66 समुदायों को पिछड़ा वर्ग के रूप में वर्गीकृत किया गया था. फिर यह सवाल उठा कि मुसलमानों के लिए आरक्षण कैसे दिया जाए. इस पर आयोग ने 77 मुस्लिम समुदायों को पिछड़ा वर्ग के रूप में वर्गीकृत किया, जिनमें से अधिकांश समुदाय पहले ही केंद्रीय ओबीसी सूची में शामिल थे या मंडल आयोग की सिफारिशों के हिस्सा है.
-भारत एक्सप्रेस
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