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उत्तर प्रदेश की सुल्तानपुर सीट से सांसद राम भुआल निषाद के निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका पर SC ने नोटिस जारी कर मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश की सुल्तानपुर सीट से समाजवादी पार्टी के सांसद राम भुआल निषाद के निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका पर चुनाव आयोग सहित अन्य को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा है. जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच सुनवाई कर रही है. यह याचिका पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता मेनका गांधी ने दायर की है.

मामले की सुनवाई के दौरान मेनका गांधी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि मतदान का अधिकार संवैधानिक अधिकार है. उन्होंने महत्वपूर्ण तथ्यों को छिपाया है. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि प्रत्येक कानून के लिए समय-समय पर एक तरह की विधायी समीक्षा होनी चाहिए और एक विशेषज्ञ निकाय होना चाहिए जो यह मूल्यांकन करे कि कानून ने ठीक से काम किया है या नहीं.

जनप्रतिनिधित्व कानून के खिलाफ याचिका

वही सुप्रीम कोर्ट ने मेनका गांधी की ओर से दायर उस याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया है कि जनप्रतिनिधित्व कानून के उस प्रावधान को भी चुनौती दी थी, जिसमें इलेक्शन पिटीशन दाखिल करने की 45 दिन की समयसीमा का उल्लेख है. जिसपर कोर्ट ने कहा कि कानून बनाना हमारा काम नही है. लिहाजा इसमें हम दखल नही दे सकते है. जिसके बाद इस मांग को लेकर दायर अर्जी को मेनका गांधी ने वापस ले लिया.

मेनका गांधी ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि राम भुआल निषाद द्वारा दिए गए चुनावी हलफनामे में अपराध से संबंधित दी गई जानकारी गलत है. मेनका गांधी के मुताबिक राम भुआल निषाद के खिलाफ कुल 12 आपराधिक मामले दर्ज है. जबकि उन्होंने जो चुनावी हलफनामे में 8 का ही जिक्र किया है. उन्होंने आपराधिक मामले को छिपाने के काम को भष्ट्र आचरण करार देते हुए उनका निर्वाचन खारिज करने की मांग की है.

तय समय सीमा के बाद दायर की गई याचिका

बता दें कि लोकसभा चुनाव में मेनका गांधी सपा उम्मीदवार राम भुआल निषाद से 43174 वोटों के अंतर से हार गई थी. इसके बाद उन्होंने निषाद के चुनाव को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. जहां इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 14 अगस्त को निषाद के चुनाव के खिलाफ उनकी याचिका को खारिज कर दिया था, क्योंकि तय समय सीमा के बाद यह याचिका दायर की गई थी. हाई कोर्ट ने याचिका को समय सीमा के उल्लंघन और जनप्रतिनिधित्व एक्ट की धारा 81 और 86 के खिलाफ माना था. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि मेनका गांधी की याचिका जनप्रतिनिधित्व एक्ट 1951 के तहत दी गई समय सीमा 45 दिन से 7 दिन बाद दायर की गई थी.


ये भी पढ़ें- पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाला मामले में दायर विभिन्न याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट 15 जनवरी को करेगा सुनवाई


-भारत एक्सप्रेस

गोपाल कृष्ण

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