यह संभल है बाबू जरा संभल कर चले तो सबके लिए अच्छा रहेगा, संभल के मस्जिद का विवाद दरअसल ग्लोबल हो गया है. मुद्दा ग्लोबल हो क्यों नहीं पाकिस्तान को दूसरे के घर में आग लगाने के लिए घी का पैसा भारत विरोधी ताकतों से जो मिलता है. पहले सपा, फिर बसपा और अब कांग्रेस ने इस मुददे को राजनीतिक बनाने में कोई कसर जो नहीं छोड़ रही. बांग्लादेश में हिंदू हर रोज मारे जा रहें है इसकी चिंता विपक्ष को तनिक भी नहीं है हां संभल के जरिए मुसलमानों के वोट को एकीकृत किया जा सकता है उसके लिए क्या राहुल, क्या अखिलेश सभी परेशान हैं.
उत्तर प्रदेश के संभल जिले में स्थित जामा मस्जिद जो अब न्यायालय द्वारा आदेशित सर्वेक्षण को लेकर विवाद के केंद्र में है इसका निर्माण 1526 में बाबर के एक अधिकारी ने करवाया था, इसमें कोई संदेह नहीं है. मस्जिद के बारे में बहुत कुछ अस्पष्ट है, जो पौराणिक कथाओं, इतिहास और कानूनी दस्तावेजों के बीच खो गया है. अब वहां पर इस बात के प्रमाण मिल रहें हैं कि इस जगह पर कभी मंदिर हुआ करता था जिसे बाद में मुगल शासकों ने मस्जिद बनवा दिया . दरअसल बवाल इस बात को लेकर है कि कोर्ट के अदेश पर जो सर्वेक्षण हुए उसके बाद वहां पर मंदिर होने के शुरुआती प्रमाण मिले हैं. इस खबर के सार्वजनिक होने के बाद कुछ शरारती तत्वों ने कानून व्यवस्था कि ऐसी स्थिति पैदा की कि चार लोगों की मौत हो गई.
संभल जिले में हिंसा के कई दिन बाद इंटरनेट सेवा तो बहाल कर दी गई, लेकिन संभल को जिलाधिकारी डॉ. राजेंद्र पेंसिया ने जिले में BNSS की धारा 163 लागू करने का आदेश दे दिया है. इसके लागू होने के बाद अब 5 या उससे ज्यादा लोगों के इकट्ठा होने पर रोक लगा दी गई है . जिले में धारा 163 आगामी 10 दिसंबर तक लागू की गई है . डीएम के आदेश के अनुसार, अब कोई भी मजिस्ट्रेट की अनुमति के बिना न तो 5 या उससे अधिक व्यक्तियों का किसी प्रकार का जुलूस निकलेगा, न ही सार्वजनिक स्थानों पर 5 या उससे ज्यादा लोग का समूह बनाया जाएगा, इसके अलावा रैली, धरना प्रदर्शन और घेराव पर भी रोक लगा दी गई है. हालांकि, शव यात्रा या यूपी सरकार के किसी कार्यक्रम को इससे अलग रखा जाएगा .
संसद में विपक्ष के द्वारा जिस तरह से इस मुद्दे को हवा देने की कोशिश की जा रही है उससे ऐसा लगता है कि राहुल और प्रियंका चाहते हैं कि उत्तर प्रदेश में हासिए पर जा रही कांग्रेस को शायद इसी बहाने कोई संजीवनी हाथ लग जाए, लेकिन सरकार पूरी तरह से मौके पर चौकन्नी है और किसी भी तरीके से विपक्ष के हांथों में गेंद नहीं देना चाहती. अब ऐसा लगता है कि इस मसले का हल अब कोर्ट के जरिए ही निकलेगा. विपक्ष सदन में हंगामा कर सकता है चाहे वह संसद हो या विधानसभा लेकिन योगी के राज में अगर आप कानून व्यवस्था की स्थिति खराब करना चाहेंगे तो आपको आपको योगी आदित्य नाथ के कानून से दो चार होना होगा.
सुप्रीम कोर्ट ने 29 नवंबर को संभल ट्रायल कोर्ट से कहा कि चंदौसी में शाही जामा मस्जिद के खिलाफ मुकदमे में तब तक कार्यवाही न की जाए, जब तक सर्वेक्षण आदेश के खिलाफ मस्जिद समिति द्वारा दायर याचिका इलाहाबाद उच्च न्यायालय में सूचीबद्ध न हो जाए. न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया कि मस्जिद का सर्वेक्षण करने वाले एडवोकेट कमिश्नर की रिपोर्ट को सीलबंद लिफाफे में रखा जाए. इस बीच भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने संभल की एक सिविल कोर्ट में अपना लिखित बयान पेश किया है, जिसमें मुगलकालीन शाही मस्जिद का नियंत्रण और प्रबंधन मांगा गया है, क्योंकि यह एक संरक्षित विरासत संरचना है.
इस बीच, इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल (आईईएमसी) के अध्यक्ष मौलाना तौकीर रजा ने कहा है कि धार्मिक स्थलों की खुदाई से कुछ भी निकल सकता है और बेहतर होगा कि देश में खुदाई का विचार त्याग दिया जाए और विकास की दिशा में काम किया जाए. तौकीर रजा का बयान हिंदुओं के मन में मस्जिद के मंदिर होने की शंका को और मजबूत करता है ऐसे में विपक्ष को यह देखना होगा कि अगर आप सरकार पर जादा हमलावर होंगे तो आपको लेने के देने भी पर सकते हैं.
इस बीच संभल पुलिस ने घटनास्थल से पाकिस्तान में बनी एक गोली बरामद कर हालिया हिंसा में पाकिस्तान कनेक्शन का पता लगाया है इससे ऐसा लगता है कि मामला इतना आसान नहीं है जितना इसे विपक्ष समझता है .
-भारत एक्सप्रेस
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