कड़कड़डूमा अदालत के एक जज ने भरी अदालत में एक SHO पर टिप्पणी कर दी कि “क्या तुम्हारा दिमाग फिर गया है”. SHO ने इस कथन पर आपत्ति जताई तो MM बोले “फिल्म देखकर आए हो”. घटना से आहत SHO ने जज के खिलाफ कार्रवाई की गुहार लगाई है.
कार्रवाई के दौरान तेज आवाज में बोलना अक्सर अदालतों को नागवार लगता है, मगर हकीकत यह भी है कि निचली अदालतों में सुनवाई के दौरान पेश सरकारी नुमाइंदों पर तल्ख टिप्पणियां करने से परहेज नहीं किया जाता. ऐसे ही एक मामले में शकरपुर थानाध्यक्ष ने कड़कड़डूमा जिला अदालत के मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट पर आरोप लगाया है कि उन्होंने भरी अदालत में उन पर टिप्पणी करते हुए कहा कि “क्या तुम्हारा दिमाग फिर गया है”. अदालत के रवैये से नाराज थानाध्यक्ष ने यह वाक्या रोजनामचे में दर्ज करके आला अफसरों से इसकी शिकायत की है.
गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश की पीठ के समक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन अध्यक्ष विकास सिंह ने वकीलों के चैंबर से जुड़ा मामला जल्द सुनने की मांग की थी. इस दौरान मुख्य न्यायाधीश ने उनके तेज आवाज में बोलने पर सवाल उठाते हुए उन्हें अपनी कोर्ट से बाहर जाने के लिए बोल दिया था. शुक्रवार को यह वाक्या खबरों की सुर्खियां बना रहा.
दरअसल एक मामले में पुलिस की लीगल सेल ने SHO शकरपुर को कड़कड़डूमा जिला अदालत में पेश होने की सलाह दी थी. इसी मामले में पुलिस उपायुक्त ने उन्हें निर्देश दिया कि मामले में एक सक्षम जांच अधिकारी नियुक्त कर दिया जाए. जिसके चलते 24 फरवरी को जांच अधिकारी SI रमेश कुमार अदालत में पेश हुआ तो MM ने कहा कि SHO को अदालत में पेश किया जाए. हालाँकि अदालत ने उनकी पेशी के लिए कोई नोटिस आदि नहीं दिया था.
SHO से कहा दिमाग खराब है!
इस संबंध में ACP से की गई शिकायत के अनुसार सूचना पाकर SHO संजय गुप्ता अदालत में पहुंचे तो मामले की जाँच के दौरान SHO द्वारा दिए गए बयान देखकर मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट खफा हो गए और बोले “YOU HAVE LOST YOUR MIND”. SHO ने इस पर एतराज जताते हुए कहा कि वह उन पर गलत टिप्पणियां न करें। यदि अदालत को कुछ गलत लगा है तो उसे अपने आदेश में लिख दे.
अदालत की टिप्पणी से आहत SHO का आरोप है कि उन्होंने विरोध जताया तो जज ने उनसे कहा कि “फिल्म देख कर आए हो”. SHO ने फिर से एतराज जताते हुए कहा कि अदालत चाहे तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर सकती है, लेकिन इस तरह की टिप्पणियां न करे. जिसके बाद MM ने उन्हें अदालत से बाहर निकाल दिया.
अदालत के व्यवहार से नाराज SHO ने थाने पहुंचकर पूरा वाक्या रोजनामचे में दर्ज कर दिया. जिसकी प्रति के साथ ACP को घटनाक्रम को जानकारी देते हुए इस घटना की जानकारी उच्च न्यायालय में देकर आरोपी मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के खिलाफ कार्रवाई की गुहार भी लगाई है.
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