वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने शुक्रवार (22 नवंबर) को कहा कि क्विक कॉमर्स (Quick Commerce) जैसे भारतीय नवाचार (Innovation) समय के साथ अंतरराष्ट्रीय तकनीकी व्यापार क्षेत्र में सबसे बड़े खिलाड़ियों की लिस्ट में शामिल हो सकते हैं. उन्होंने कई सेक्टर में एक मजबूत ‘भारत ब्रांड’ (Bharat Brand) बनाने का आह्वान किया. हालांकि, उन्होंने कहा कि पारंपरिक खुदरा व्यापार कुछ चुनौतियों का सामना कर रहा है, जिसके लिए मदद की आवश्यकता होगी.
बेंगलुरु में इंडिया फाउंडेशन (India Foundation) द्वारा आयोजित 8वें इंडिया आइडियाज कॉन्क्लेव (8th India Ideas Conclave) में बोलते हुए सीतारमण ने कहा कि भारत के स्टार्ट-अप (Startup) और गिग इकोनॉमी फर्म (Blinkit, Swiggy, Zomato, Urban Company, Meru Cabs, Ola Cabs) असल में उस तरह के इनोवेशन का प्रतिनिधित्व करती हैं जिसकी भारत क्षमता रखता है. मंत्री ने कहा कि देश को आधुनिक शहरी जरूरतों के लिए इनोवेटिव समाधानों के डेस्टिनेशन के रूप में “ब्रांड इंडिया” स्थापित करने के लिए ऐसे वेंचरों का लाभ उठाना चाहिए.
क्विक कॉमर्स (तेज ऑनलाइन डिलीवरी सिस्टम) भारत में तेजी से बढ़ता उपभोक्ता इंटरनेट क्षेत्र है. क्विक कॉमर्स, ईकॉमर्स के विकास में अगला कदम है और जैसा कि नाम से पता चलता है, यह सब स्पीड के बारे में है. क्विक कॉमर्स का आम तौर पर मतलब है कि उपभोक्ता ऑर्डर देने के एक घंटे के भीतर डिलीवरी की उम्मीद कर सकते हैं.
वित्त मंत्री ने कहा कि देश में भारत खाद्य एवं औषधि प्रशासन (FDA) होना चाहिए, जिसका स्टैंडर्ड अमेरिका (US) के FDA के समान हो औऱ फार्मास्युटिकल फॉर्मूलेशन के निर्यात में तेजी लाने में मदद कर सके. उन्होंने कहा, “US-FDA की तरह ही हमारे पास ग्लोबल स्टैंडर्ड वाला भारत एफडीए (India-FDA) होना चाहिए.” मंत्री ने कहा कि यह महत्वपूर्ण था कि भारत के टॉप 100 पर्यटन केंद्रों में उस स्थल की वास्तुकला का डिजिटल सेल्फ-लर्निंग कार्यक्रम आयोजित किया गया.
उन्होंने कहा, “हमें उन लोगों के लिए शिक्षण सामग्री देनी चाहिए जो भारतीय वास्तुकला के चमत्कारों को समझना चाहते हैं ताकि पर्यटन के लिए एक सम्पूर्ण नजरिया प्रदान किया जा सके.”
वित्त मंत्री ने कहा कि भारत ने “सर्कुलर इकोनॉमी” मॉडल और पुनः उपयोग के सिद्धांत का पालन नहीं किया, क्योंकि भारत एक गरीब देश था. सर्कुलर इकोनॉमी वह मॉडल है जो अनुपयोगी चीजों को कम करने और उत्पादन और खपत को बढ़ावा देने के लिए प्राकृतिक संसाधनों के सतत उपयोग (Sustainable Use) को प्रोत्साहित करने का प्रयास करता है.
उन्होंने कहा, “हमने इसे अपनी जरूरत के हिसाब से उपयोग करना अपनी जिम्मेदारी समझा, न कि अपने लालच के हिसाब से. हमें समझना चाहिए कि पूंजीवाद की अपनी सीमाएं हैं और हमें भारत को एक “जिम्मेदार पूंजीवादी” देश के रूप में ब्रांड करना चाहिए.”
-भारत एक्सप्रेस
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