भारत में नक्सलवाद खत्म करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया है. गृह मंत्री अमित शाह ने 31 मार्च 2026 तक नक्सलवाद समाप्त करने की समय सीमा तय की थी, लेकिन उससे एक साल पहले ही नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या 38 से घटकर 18 रह गई है. पहले यह 9 राज्यों में फैले थे, लेकिन अब केवल 7 राज्यों तक सीमित हैं. हाल ही में किए गए एलडब्ल्यूई (LWE) सर्वेक्षण के अनुसार, सबसे अधिक हिंसा झेलने वाले जिलों की संख्या 12 से घटकर 6 हो गई है, जो अब केवल चार राज्यों में हैं. वहीं, जिन जिलों में नक्सली घटनाएं नगण्य हैं लेकिन उन पर नजर रखी जा रही है, उनकी संख्या भी 9 से घटकर 6 हो गई है.
सरकार नक्सल प्रभावित जिलों को विशेष सहायता प्रदान करती है. सबसे अधिक प्रभावित जिलों को ₹30 करोड़ और निगरानी वाले जिलों को ₹10 करोड़ की वित्तीय मदद दी जाती है, जिससे सड़क, परिवहन, बिजली, पानी और अन्य बुनियादी विकास कार्य किए जाते हैं. खास बात यह है कि कम नक्सली गतिविधि वाले जिलों की संख्या में सबसे ज्यादा गिरावट आई है. अप्रैल 2024 में ऐसे 17 जिले थे, जो अब सिर्फ 6 रह गए हैं. गृह मंत्री अमित शाह ने इसे नक्सलवाद के खात्मे की दिशा में बड़ा कदम बताते हुए कहा कि मोदी सरकार भारत को ‘सशक्त, सुरक्षित और समृद्ध’ बनाने के लिए प्रतिबद्ध है.
गृह मंत्रालय के अनुसार, नक्सल प्रभावित इलाकों में सुरक्षा कैंपों की संख्या बढ़ने और बुनियादी सुविधाएं पहुंचाने से नक्सली गतिविधियां तेजी से घटी हैं. पहले 9 राज्यों में नक्सली गतिविधियां थीं, लेकिन अब यह केवल 7 राज्यों में रह गई हैं, जिनमें छत्तीसगढ़, ओडिशा, झारखंड, तेलंगाना, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश शामिल हैं. केरल और पश्चिम बंगाल को अब नक्सल मुक्त घोषित कर दिया गया है.
सबसे अधिक प्रभावित जिलों में छत्तीसगढ़ के बीजापुर, कांकेर, नारायणपुर और सुकमा, झारखंड का पश्चिम सिंहभूम और महाराष्ट्र का गढ़चिरौली शामिल हैं. वहीं, निगरानी वाले जिलों में आंध्र प्रदेश का अल्लूरी सीताराम राजू, मध्य प्रदेश का बालाघाट, ओडिशा के कंधमाल, कालाहांडी, मलकानगिरी और तेलंगाना का भद्राद्री-कोठागुडेम शामिल हैं.
नक्सली घटनाओं में भारी गिरावट दर्ज की गई है. 2010 में नक्सली घटनाओं की संख्या 1,936 थी, जो 2024 में घटकर 374 रह गई. इसी दौरान, नक्सली हमलों में होने वाली मौतों की संख्या 1,005 से घटकर 150 रह गई. इसके अलावा, नक्सल प्रभावित जिलों की कुल संख्या 126 से घटकर मात्र 18 रह गई है. सरकार का कहना है कि लगातार हो रहे विकास कार्यों और सख्त सुरक्षा नीतियों के कारण नक्सलवाद लगभग समाप्त होने की कगार पर है. अगर यही रफ्तार बनी रही, तो 2026 तक भारत पूरी तरह से नक्सल मुक्त हो सकता है.
-भारत एक्सप्रेस
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