मेक इन इंडिया पहल के तहत 14 क्षेत्रों में उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (PLI) योजनाएं अच्छे परिणाम दिखा रही हैं. वित्त वर्ष 2023-24 में विनिर्माण और निर्माण क्षेत्रों में लगभग डबल डिजिट की वृद्धि देखी गई. औद्योगिक विकास में यह उछाल काफी हद तक ‘Make In India’ पहल की निरंतर सफलता के कारण है, जिसने पिछले एक दशक में भारत के विनिर्माण परिदृश्य को बढ़ावा देने में मदद की है.
14 क्षेत्रों में PLI योजनाओं से 1.28 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश हुआ और 8.5 लाख से अधिक नौकरियां पैदा हुई. इन पहलों ने इलेक्ट्रॉनिक्स, स्टील, फार्मास्यूटिकल्स और रक्षा विनिर्माण जैसे उद्योगों में महत्वपूर्ण वृद्धि को बढ़ावा दिया है. उदाहरण के लिए, खिलौनों के निर्यात में 239 प्रतिशत की वृद्धि हुई, मोबाइल फोन उत्पादन में 600 प्रतिशत की वृद्धि हुई और भारत स्टील का शुद्ध निर्यातक बन गया, जिसका उत्पादन हाल के वर्षों में दोगुना हो गया है.
इसके अतिरिक्त, रक्षा निर्यात अब कई देशों में फैला है, जो वैश्विक मंच पर भारत की बढ़ती उपस्थिति को दर्शाता है. 100 से अधिक शहरों में प्लग-एंड-प्ले औद्योगिक पार्कों के विकास ने भी महत्वपूर्ण निवेश आकर्षित किया है, जिससे भारत औद्योगिक विकास के लिए एक अधिक आकर्षक गंतव्य बन गया है.
सेमीकंडक्टर, इलेक्ट्रिक वाहन (EV) और रिन्यूएबल एनर्जी उत्पादों के निर्माण के लिए आवश्यक संसाधनों तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए क्रिटिकल मिनरल मिशन शुरू किया गया था, जबकि नई जैव-विनिर्माण (Biomanufacturing) योजनाओं का उद्देश्य भारत को बायो मैन्युफैक्चरिंग में अग्रणी बनाना है.
भारत के प्रमुख उद्योगों ने भी उल्लेखनीय प्रगति दिखाई है. इस्पात क्षेत्र ने वित्त वर्ष 2024 में उत्पादन और खपत के अपने उच्चतम स्तर पर रहा. 2014 के बाद से उत्पादन में 50 प्रतिशत की वृद्धि के साथ, भारत तैयार इस्पात का शुद्ध निर्यातक बन गया. कोयला क्षेत्र ने भी नई ऊंचाइयों को छुआ. वित्त वर्ष 2024 में 997.2 मिलियन टन का कोयले का उत्पादन हुआ, जिससे पिछले एक दशक में देश की कोयले के आयात पर निर्भरता 60 प्रतिशत कम हो गई.
भारत का फार्मास्युटिकल उद्योग, जो 50 अरब डॉलर मूल्य का है, मात्रा के हिसाब से वैश्विक स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा बना हुआ है और इसमें 30,000 करोड़ रुपये का निवेश है.
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) भारत के विनिर्माण क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे हैं, जो कुल उत्पादन में 35 प्रतिशत और निर्यात में 45 प्रतिशत का योगदान करते हैं. 2024 तक, उद्यम पोर्टल पर लगभग 4.7 करोड़ MSME पंजीकृत हैं, जो 6.78 लाख करोड़ रुपये की गारंटी प्रदान करने वाली क्रेडिट योजनाओं से लाभान्वित हो रहे हैं. प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम ने 89,000 से अधिक सूक्ष्म इकाइयों का समर्थन किया है, जिससे वित्त वर्ष 24 में 7.13 लाख नौकरियां पैदा हुईं, जो रोजगार सृजन और आर्थिक विकास में इस क्षेत्र की भूमिका को उजागर करता है.
इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्षेत्र में घरेलू उत्पादन में 400 प्रतिशत की चौंकाने वाली वृद्धि देखी गई, जो 2014 में 1.9 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 23 में 8.22 लाख करोड़ रुपये हो गई. भारत का सेमीकंडक्टर उद्योग 2024 में एक मील का पत्थर साबित हुआ, जिसमें देश में सालाना 2,500 करोड़ चिप्स का उत्पादन होने की उम्मीद है.
100 अरब डॉलर के निवेश से भारत के पहले सेमीकंडक्टर फैब्रिकेशन प्लांट की स्थापना से भारत की सेमीकंडक्टर उत्पादन क्षमता बढ़कर 50,000 वेफर स्टार्ट प्रति माह हो जाएगी, जो रक्षा, EV और उच्च प्रदर्शन कंप्यूटिंग जैसे क्षेत्रों में काम आएगी.
भारतीय कंपनियां उन्नत चिप्स की बढ़ती वैश्विक मांग को पूरा करने के लिए सिलिकॉन कार्बाइड उपकरणों के उत्पादन पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं.
-भारत एक्सप्रेस
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