Swachh Bharat Abhiyan: आधे से ज्यादा भारतीय घर अब टॉयलेट क्लीनर का इस्तेमाल करते हैं, जबकि एक दशक पहले जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की थी, तब सिर्फ आबादी का पांचवां हिस्सा ही टॉयलेट क्लीनर का इस्तेमाल करता था. अन्य उद्देश्यों के अलावा इस मिशन का उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा शौचालय बनाकर और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन में सुधार करके खुले में शौच की समस्या को खत्म करना था.
2014 में टॉयलेट क्लीनर और फ्लोर क्लीनर की पहुंच क्रमश: 19% और 8% थी. कैंटर डेटा के अनुसार, यह संख्या दोगुनी से भी ज्यादा हो गई है और 2024 में 53% घर टॉयलेट क्लीनर का इस्तेमाल करेंगे और 22% घर फ्लोर क्लीनर खरीदेंगे. इसका मतलब है कि 12 करोड़ 80 लाख से ज्यादा नए घर टॉयलेट क्लीनर खरीद रहे हैं और फ्लोर क्लीनर सेगमेंट में 5 करोड़ 20 लाख घर जुड़े हैं.
उपभोक्ताओं को छिपे खतरों के बारे में सचेत करने से लेकर बेहतर स्वच्छता प्रथाओं के बारे में जागरूकता फैलाने तक, रेकिट बेंकिज़र, हिंदुस्तान यूनिलीवर और डाबर जैसी बाथरूम स्वच्छता उत्पाद बनाने वाली कंपनियां भी अपना योगदान दे रही हैं. डाबर के होम केयर के मार्केटिंग प्रमुख वैभव राठी ने कहा, ‘स्वच्छ भारत अभियान के तहत ग्रामीण घरेलू शौचालयों के निर्माण से स्वच्छता के बारे में जागरूकता बढ़ाने में मदद मिली है, और इस तरह सफाई उत्पादों की आवश्यकता बढ़ी है.’ राठी ने कहा, ‘शहरी भारत में आवास क्षेत्र की वृद्धि और जागरूक खरीददारों की संख्या में वृद्धि भी इन श्रेणियों के विकास में सहायक हो रही है.’
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उद्योग से जुड़े लोगों के अनुसार, भारत का सरफेस क्लीनर बाजार लगभग 4,200 करोड़ रुपये का है, जिसमें टॉयलेट क्लीनर का हिस्सा आधे से ज्यादा यानी 2,000 करोड़ रुपये का है. कंटार की ओर से कहा गया कि एक दशक पहले यह श्रेणी काफी हद तक शहरी-केंद्रित थी, लेकिन अब इसमें काफी बदलाव आया है. एक दशक पहले टॉयलेट क्लीनर खरीदने वाले 82% घर शहरी इलाकों में थे, जबकि फ्लोर क्लीनर के लिए यह 90% था.
कंटार में वर्ल्ड पैनल डिवीजन के दक्षिण एशिया के प्रबंध निदेशक के रामकृष्णन ने कहा, ‘शहरी क्षेत्र अब इस श्रेणी का प्रमुख स्रोत नहीं रह गया है, जबकि ग्रामीण क्षेत्र 52% योगदान दे रहे हैं. स्पष्ट रूप से स्वच्छ भारत अभियान ने भारतीय घरों में स्वच्छता के महत्व को बढ़ाया है. साथ ही निर्माताओं को घरेलू स्वच्छता श्रेणियों में प्रवेश करने में भी मदद की है.’
2014 में अपनी शुरुआत के बाद से स्वच्छ भारत अभियान ने 5,00,000 से ज्यादा गांवों को ODF (खुले में शौच से मुक्त) प्लस दर्जा दिलाया है, जिसमें ग्रामीण स्वच्छता 39% से बढ़कर 100% हो गई है. अक्षय कुमार अभिनीत फिल्म टॉयलेट: एक प्रेम कथा (2017) ने भी ग्रामीण इलाकों में शौचालयों की जरूरत पर केंद्रित कथानक के जरिये इस संदेश को घर-घर पहुंचाने की कोशिश की. स्वच्छता उत्पाद बेचने वाली कंपनियों ने इस पहल को अपने कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व एजेंडे में शामिल किया. उदाहरण के लिए हिंदुस्तान यूनिलीवर ने 2016 में सुविधा केंद्र के रूप में जाने जाने वाले सामुदायिक शौचालय ब्लॉक लॉन्च किए – अब इनकी संख्या 16 हो गई है.
-भारत एक्सप्रेस
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