Lok Sabha Elections: तीसरे चरण के तहत मंगलवार को देश के 11 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश की 93 सीटों पर मतदान जारी है. दो चरणों का मतदान हो चुका है. हालांकि पिछले दोनों चरणों में पड़े वोटों को लेकर काफी चर्चा हुई और वोट प्रतिशत कम होने को लेकर माना जा रहा है कि ये सत्ता पक्ष के खिलाफ है, लेकिन अगर आम चुनावों के पहले के कुछ आंकड़ों पर गौर किया जाए तो ये जरूरी नहीं कि अगर वोट प्रतिशत कम हो रहा है तो सत्ता पक्ष के खिलाफ ही है.
राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, अब तक सबसे कम मतदान 1971 के आम चुनाव में हुआ था, बावजूद इसके उस समय की इंदिरा गांधी सरकार ने भारी मतों से जीत हासिल की थी.सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 1971 में पांचवीं लोकसभा के लिए सबसे कम मतदान दर्ज किया गया था. उस समय मात्र 55.3 प्रतिशत ही मतदान हुआ था और तब कांग्रेस की सरकार थी और इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थीं. जब नतीजे सामने आए तो उन्होंने पहले से अधिक वोटों से जीत दर्ज की थी. उस समय कांग्रेस को 518 में से 352 सीटें मिली थीं और 43.68 प्रतिशत वोट हासिल किए थे.
दूसरे नंबर पर माकपा थी, जिसने पांच प्रतिशत वोट हासिल किए, उसे 25 सीटें मिली थीं. इस चुनाव में भारतीय जनसंघ ने 7 प्रतिशत मतों के साथ 22 और कांग्रेस (ओ) ने 10 प्रतिशत मतों के साथ 16 सीटों पर जीत हासिल की थी. इन आंकड़ों के सामने आने के बाद ये साफ हो गया था कि इस चुनाव में इंदिरा गांधी को पिछले चुनाव के मुकाबले 3 प्रतिशत वोट व 69 सीटों पर बढ़त हासिल हुई थी.
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देश में तीसरी लोकसभा का चुनाव 1962 में हुआ था और उस समय 55.4 प्रतिशत वोट पड़ा था. देश में ये दूसरी बार सबसे कम मतदान हुआ था. उस समय भी कांग्रेस ही चुनाव जीती थी.
तो वहीं 1977 के लोकसभा चुनाव में अचानक वोटिंग प्रतिशत बढ़ गया था और मतदान प्रतिशत 60.5 प्रतिशत दर्ज किया गया था और इसके बाद कांग्रेस को नुकसान हो गया था, क्योंकि तब मोरारजी देसाई के नेतृत्व में जनता पार्टी को 41 प्रतिशत वोट मिले थे और 295 सीटें हासिल कर पार्टी ने बड़ी जीत दर्ज की थी. कांग्रेस को केवल 35 प्रतिशत ही वोट मिले थे और वह मात्र 154 सीटों पर ही सिमट गई थी.
सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले दो आम चुनावों में वोटिंग के पिछले सारे रिकॉर्ड धराशायी हो गए हैं. बता दें कि पिछले दोनों चुनाव पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लड़े गए हैं. इन दोनों चुनाव में भाजपा ने अकेले दम पर भारी मतों से जीत हासिल की है. इन दोनों चुनाव में भाजपा ने क्रमश: 282 और 303 सीटें हासिल की, लेकिन अभी तक कांग्रेस के सीट जीतने के रिकॉर्ड को नहीं तोड़ सकी है.
इन आंकड़ों को देखते हुए राजनीतिक जानकार कहते हैं कि कम मतदान होने से ये नहीं साबित हो जाता कि इससे सत्ता पक्ष को नुकसान ही मिलेगा. पूर्व के आंकड़ों को देखें तो इससे सत्ता पक्ष को लाभ ही मिला है. इसलिए इस बार हो रहे चुनाव में डाले जा रहे वोट को देखते हुए फिलहाल किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सकता है.
बता दें कि 2014 से पहले देश में सबसे अधिक मतदान 8वीं लोकसभा चुनाव में हुए थे. ये चुनाव 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुआ था. उस समय कांग्रेस को बंपर वोट मिले थे और उसने 414 सीटों पर जीत हासिल की थी. इस हिसाब से कांग्रेस को 47 प्रतिशत वोट हासिल हुए थे. इस चुनाव को सहानुभूति का चुनाव बताया गया था और उसी लहर में कांग्रेस को भारी मतों से जीत हासिल हुई थी. फिलहाल अभी तक की लोकसभा में ये रिकॉर्ड जीत के तौर पर दर्ज है.
बता दें कि इस बार दो चरणों के चुनाव हो चुके हैं. इसको लेकर आंकड़े भी चुनाव आयोग द्वारा जारी कर दिए गए हैं. पहले चरण में 62 तथा दूसरे चरण में 61 प्रतिशत वोटिंग दर्ज की गई है. इसके बाद इन प्रतिशत को लेकर कुछ राजनीतिक दलों ने उंगली उठाई तो चुनाव आयोग ने अंतिम वोट प्रतिशत के आंकड़े भी जारी कर दिए. बता दें कि ताजा आंकड़ों के मुताबिक देश में पहले चरण में 66.14 तो दूसरे चरण में 66.71 प्रतिशत वोटिंग हुई है. तो वहीं आज तीसरे चरण का चुनाव हो रहा है और राजनीतिक दलों की नजर इसके प्रतिशत पर पड़ी है.
लोकसभा चुनाव में वोटिंग प्रतिशत की बात करें तो यह 1962 में 55.4 प्रतिशत, 1971 के आम चुनाव में 55.3 प्रतिशत, 1977 में 60.5 प्रतिशत, 2014 में 66.4 प्रतिशत और 2019 में 67.4 प्रतिशत था.
-भारत एक्सप्रेस
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