लोकसभा चुनावों की घोषणा होने के साथ ही राजनीतिक दलों ने विभिन्न सीटों पर उम्मीदवारों की फील्डिंग शुरू कर दी है. इस कड़ी में भारतीय जनता पार्टी (BJP) भी कई चरणों में अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर चुकी है. हालांकि इस सूची में अब तक सिर्फ एक मुस्लिम प्रत्याशी का नाम शामिल है.
ये एम. अब्दुल सलाम (M. Abdul Salam) हैं, जो केरल के कोझीकोड स्थित कालीकट विश्वविद्यालय के कुलपति रह चुके हैं. भाजपा ने सलाम को केरल की मुस्लिम बहुल मलप्पुरम लोकसभा सीट से मैदान में उतारा गया है, जो कांग्रेस सहयोगी IUML (इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग) का पारंपरिक गढ़ रहा है. हाल ही में दिए गए एक इंटरव्यू में उन्होंने नागरिकता संशोधन विधेयक (CAA) विवाद, हिंदुत्व और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के प्रति Muslim समुदाय के दृष्टिकोण सहित कई मुद्दों पर अपने विचार रखे हैं.
सीएए विवाद पर अब्दुल सलाम ने कहा, ‘हम कांग्रेस (Congress) और माकपा (CPIM) के सीएए विरोधी अभियानों का सामना कर रहे हैं. उन्होंने केवल समुदाय के वोट जीतने के लिए इस मुद्दे को मुसलमानों के प्रति भेदभावपूर्ण बताया है. सीएए विभाजन से प्रभावित अल्पसंख्यक लोगों को न्याय दिलाने के लिए है. पाकिस्तान और बांग्लादेश में मुस्लिम उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों में से नहीं हैं. वे उन देशों में अल्पसंख्यक नहीं हैं और उन्हें वहां किसी उत्पीड़न का सामना नहीं करना पड़ता.’
उन्होंने आगे कहा, ‘सीएए, विभाजन के समय पाकिस्तान में प्रताड़ित अल्पसंख्यकों से किया गया एक वादा है. सात दशकों के बाद भी देश में एक के बाद एक सरकारें उस वादे को पूरा नहीं कर सकीं. अगर अब भी ऐसा नहीं किया गया तो यह प्रताड़ित अल्पसंख्यकों के साथ घोर अन्याय होगा. मुसलमानों को समझना चाहिए कि उन्हें नागरिकता के लिए पात्र ऐसे प्रवासियों की सूची से क्यों हटा दिया गया.’
सीएए से जुड़े एक अन्य सवाल पर वह बोले, ‘कांग्रेस और माकपा ने इस समुदाय (मुस्लिम) को बाबरी, ज्ञानवापी और अब सीएए के सुलझे हुए मुद्दों से बांधकर रखा है. लेकिन राहत की बात है कि पढ़े-लिखे मुसलमान, खासकर महिलाएं जमीनी हालात से वाकिफ हैं. मुझे यकीन है कि युवा मुसलमानों को इन मुद्दों पर उलझने की मूर्खता का एहसास होगा.’
उन्होंने कहा, ‘IUML के केरल अध्यक्ष सादिक अली शिहाब थंगल ने हाल ही में कहा है कि राम मंदिर के खिलाफ विरोध करने की कोई जरूरत नहीं है. मुस्लिम समुदाय को ऐसे मुद्दों के बजाय भविष्य के बारे में सोचना चाहिए.’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी को लेकर मुस्लिमों की धारणा से जुड़े एक सवाल पर एम. अब्दुल सलाम ने कहा, मोदी के बारे में उनकी (मुस्लिम) धारणा धीरे-धीरे बदल रही है. क्या मोदी ने पिछले एक दशक में किसी मुसलमान को चोट पहुंचाई है? उन्हें मोदी से क्यों डरना चाहिए? मैं कई मुस्लिम माताओं से मिला हूं, जो तीन तलाक खत्म करने के लिए पीएम का समर्थन करती हैं.’
उन्होंने आगे कहा, ‘उन्हें एहसास हो गया है कि मोदी ने उनकी बेटियों को बचा लिया है. तीन तलाक (खत्म करने) के बाद अब युवतियां भी मोदी का समर्थन करने लगी हैं. हमारे पास ऐसी सैकड़ों महिलाएं हैं, जो तीन तलाक को खत्म किए जाने से काफी खुश हैं.’
माकपा और कांग्रेस पर भी मल्लपुरम से भाजपा उम्मीदवार अब्दुल सलाम ने विचार रखे. उन्होंने कहा, ‘माकपा और कांग्रेस धर्मनिरपेक्षता को लेकर मुसलमानों को धोखा दे रही हैं. मोदी की एक राष्ट्र की अवधारणा धर्मनिरपेक्षता से बहुत ऊपर है और इसमें सभी लोगों को शामिल किया गया है. मुसलमान कब तक बीजेपी से दूर रह सकते हैं? मोदी और भाजपा की सरकार देश में अगले पांच साल नहीं, बल्कि अगले कई कार्यकालों तक रहने वाली है.’
वे आगे कहते हैं, ‘मोदी का विकास समावेशी है. अगर मुसलमान मोदी से दूर रहेंगे तो विकास के मोर्चे पर यह उनके लिए नुकसान होगा. उन्हें माकपा और कांग्रेस, जो संसद में वॉक-आउट टीम हैं, को वोट देने के बजाय भाजपा का समर्थन करके मुख्यधारा में शामिल होने के लिए आगे आना चाहिए.’
-भारत एक्सप्रेस
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