मनोरंजन

पार्थ सारथी महंत, मीना महंत, इंद्राणी बरुआ को फिल्मफेयर पुरस्कारों के असम संस्करण में किया गया सम्मानित

Filmfare Award: एनिमेटेड डॉक्यूमेंट्री फिल्म ‘लाचित – द वॉरियर’ के निर्देशक और निर्माता को प्रतिष्ठित फिल्मफेयर अवार्ड्स के मंच पर सम्मानित किया गया, जो एक और असाधारण उपलब्धि है. पार्थ सारथी महंत, जो वर्तमान में असम पुलिस के आईजीपी के रूप में तैनात हैं उनके अलावा एनिमेटेड डॉक्यूमेंट्री फिल्म के निर्देशक और निर्माता मीना महंत, इंद्राणी बरुआ को गुवाहाटी में आयोजित फिल्मफेयर पुरस्कार समारोह के असम संस्करण में सम्मानित किया गया.

‘लाचित – द वॉरियर’ फिल्म ने जीते 21 पुरस्कार

‘लाचित – द वॉरियर’ महान अहोम मिलिट्री जनरल पर एक एमिनेटेड डॉक्यूमेंट्री फिल्म है जिसने अब तक विभिन्न अंतराष्ट्रीय फिल्म समारोहों में 21 पुरस्कार जीते हैं. ‘लाचित – द वॉरियर’ को गोवा में भारतीय अंतराष्ट्रीय फिल्म महोत्व 2023 में भारतीय पैनोरमा में भी चुना गया था. फिल्म का निर्माण मीना महंत और इंद्राणी बरुआ ने किया है. कथन डॉ. अमरज्योति चौधरी का है और अनुपम महंत क्रिएटिव एडिटर हैं.

महान अहोम जनरल लाचित बरफुकन – यह मध्ययुगीन काल की एक दिलचस्प कहानी है. अपने साम्राज्य का विस्तार करने की चाहत में मुगलों ने असम पर सत्रह क्रूर हमले किए थे, जिसके मिश्रित परिणाम सामने आए. असम के खिलाफ सबसे लंबा सैन्य अभियान 1660 के दशक में मुगल सम्राट औरंगजेब के शासनकाल के दौरान था. 1662 में औरंगजेब ने मीर जुमला को असम जीतने के लिए भेजा था और मीर जुमला ने असम पर विजय प्राप्त कर ली और अहोम राजा बादशाह का जागीरदार बन गया.

क्या है फिल्म की कहानी?

इस फिल्म के कहानी की बात करें तो इसमें मुगलों ने पश्चिमी असम में अपनी फौजदारी स्थापित की. 1663 में चक्रद्धाज सिंह असम के राजा बने. सिंहासन पर बैठते ही वह असम से मुगलों को बाहर निकालने के मिशन पर निकल पड़े. इसने उसे एक सक्षम सैन्य कमांडर की तलाश में लगा दिया. आख़िरकार उन्होंने लाचित पर निर्णय लिया और उन्हें सेना का प्रधान सेनापति बना दिया, एक ऐसा निर्णय जिसने इतिहास की दिशा बदल दी. लाचित ने 1667 में अपना जवाबी हमला शुरू किया और अनुकरणीय योजना और रणनीति के माध्यम से शक्तिशाली मुगलों को हराने और उन्हें असम से बाहर निकालने में सफल रहे.

इसने औरंगजेब को असम को फिर से जीतने के लिए राजा मान सिंह के नेतृत्व में रशीद खान के साथ सह-सेनापति के रूप में एक बड़ी सेना भेजने के लिए प्रेरित किया. यह एक बहुत बड़ी ताकत थी जिसकी संख्या लाचित के सैनिकों से कहीं अधिक थी. मुग़ल सेना की खासियत उसकी घुड़सवार सेना थी जिसमें 18000 तुर्क घोड़े शामिल थे. लाचित ने जबरदस्त दूरदर्शिता का प्रदर्शन करते हुए मुगल सेना को नौसैनिक युद्ध के लिए मजबूर कर दिया, जो उनकी अकिलिस पहाड़ी थी. अंतिम लड़ाई, सरायघाट की लड़ाई 1671 में लड़ी गई. इसमें एक झटका लगा- लाचित गंभीर रूप से बीमार पड़ गए.

-भारत एक्सप्रेस  

Akansha

Recent Posts

Prayagraj Kumbh Mela: CM ने प्रोजेक्ट साइट पर जाकर देखा लेआउट प्लान, यात्रियों की सुविधाओं और व्यवस्थाओं के बारे में ली जानकारी

सीएम योगी आदित्यनाथ ने एयरपोर्ट पर तैयारियों का जायजा लिया. जनवरी के प्रथम सप्ताह तक…

15 mins ago

विनोद कांबली की बिगड़ी तबियत, ठाणे अस्पताल में कराया गया भर्ती

पूर्व भारतीय क्रिकेटर विनोद कांबली की तबीयत अचानक खराब हो गई है. उनकी हालत काफी…

39 mins ago

मकोका मामले में AAP के विधायक नरेश बालियान की जमानत याचिका पर 4 जनवरी को होगी सुनवाई

मकोका मामले में गिरफ्तार आप विधायक नरेश बालियान की जमानत याचिका पर राऊज एवेन्यु कोर्ट…

44 mins ago

दिल्ली पुलिस और शिक्षा विभाग ने शिक्षकों को बम धमकी, साइबर हाइजीन और नशा-रोधी प्रशिक्षण में सशक्त बनाने के लिए मिलाया हाथ

इस कार्यक्रम में दिल्ली के ट्रांस यमुनावर्ती क्षेत्र से लगभग 247 शिक्षक शामिल हुए. इस…

2 hours ago

प्रयागराज के लिए आतिथ्य सेवा का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत करने का अवसर है महाकुम्भः सीएम योगी

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रयागराज में समीक्षा बैठक के बाद पत्रकार वार्ता में सभी से…

2 hours ago