Meena Kumari: आज भले ही देश तीन तलाक की प्रथा को असंवैधानिक घोषित करने वाले सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले पर खुश है, लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि उन महिलाओं को न भूलें जो सदियों से इसकी शिकार रही हैं. अगर सिर्फ बॉलीवुड पर नजर डालें तो सबसे पहला नाम मीना कुमारी का आता है. बी-टाउन की “ट्रेजेडी क्वीन” मीना कुमारी ने एक के बाद एक सुपरहिट फिल्मों से सिनेमा प्रेमियों को मंत्रमुग्ध कर दिया. लेकिन उनकी निजी जिंदगी में कई उथल-पुथल मची, जिसमें तीन तलाक का अपमान और दर्द भी शामिल था. क्या आप कभी सोच सकते हैं कि मीना कुमारी जैसी अभिनेत्री ने भी तीन तलाक और हलाला का दर्द झेला है.
फिल्म निर्माता कमाल अमरोही से मीना कुमारी का प्रेम विवाह हुआ. निकाह के बाद कमाल अमरोही ने शानदार फिल्म पाकीजा को डायरेक्ट किया. लेकिन कुछ ही साल बाद दोनों के रिश्ते में खटास आ गई. अमरोही ने मीना कुमारी को तलाक दे दिया. हालांकि, कुछ समय बाद एक बार फिर दोनों करीब आए. कमाल अमरोही और मीना कुमारी ने फिर से एक होने का फैसला किया. लेकिन ये आसान नहीं था. मुस्लिम प्रथा के अनुसार, मीना को किसी गैर मर्द के साथ निकाह करना पड़ता और फिर उसे तलाक दे कर अमरोही से निकाह करना था. मीना कुमारी ने जीनत अमान के पिता अमान उल्लाह खान से शादी की और एक महीने बाद अमरोही से दोबारा शादी करने के लिए उन्हें तलाक दे दिया.
मीना कुमारी ने कभी कहा था कि मेरे में और वैश्या में कोई अंतर नहीं है. ये कौन सी जिंदगी है कि मजहब के नाम पर मुझे अपना शरीर सौंपना पड़ा. अगर मेरे साथ ऐसा हुआ था मुझमें और वैश्या में क्या फर्क है. कहा जाता है कि मीना कुमारी अपनी नीजी जीवन से काफी परेशान था जिसकी वजह से उन्हें शराब की लत लग गई और उनका लिवर खराब हो गया.
मीना कुमारी का जन्म 1 अगस्त 1933 को मुंबई में हुआ था. उनके पिता अली बक्स भी एक पारसी थिएटर कलाकार थे. वहीं मीना की मां भी एक फेमस थिएटर एक्ट्रेस और डांसर थीं. कहा जाता है कि पैसों की कमी की वजह से मीना कुमारी को अनाथ आश्रम में छोड़ दिया गया था. मीना कुमारी एक भारतीय अभिनेत्री होने के साथ-साथ कवयित्री भी थीं. उन्होंने 1939 से 1972 तक काम किया और उन्हें ‘द ट्रेजडी क्वीन’ का नाम दिया गया. मीना कुमारी का असली नाम महजबीन बानो था. ‘लेदर फेस’ में उनके शानदार प्रदर्शन के बाद विजय भट्ट ने उन्हें चुनने के लिए तीन नाम सुझाए: प्रभा, कमला और मीना. हालांकि मंजू उनका उपनाम था, लेकिन अंततः उन्होंने अपना नाम मीना कुमारी रख लिया.
मीना कुमारी ने 3 साल के करियर में करीब 90 फिल्मों में काम किया. मीना कुमारी ने सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए चार फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार जीते. उन्होंने 1954 में बैजू बावरा के लिए पहला फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार जीता, और 1955 में दूसरे फिल्मफेयर पुरस्कार में उन्होंने परिणीता के लिए फिर से पुरस्कार जीता. 10वें फिल्मफेयर पुरस्कार (1963) में साहिब बीबी और गुलाम में अपने प्रदर्शन के लिए जीत हासिल करके इतिहास रच दिया. एक सफल करियर होने के बावजूद, उनका निजी जीवन एक ऐसी आपदा थी जिससे वो कभी निकल नहीं पाईं.
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