Ayodhya Ram Mandir: विश्वपटल पर आज उत्तर प्रदेश की अयोध्या नगरी का नाम गुंजायमान हो रहा है. देश से लेकर विदेश तक राम नाम के जयकारे लगाए जा रहे हैं. दरअसल मौका है रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा का. 500 सालों का इंतजार सोमवार यानी 22 जनवरी को खत्म हो रहा है. भगवान श्रीराम अपने जन्म स्थान पर कल विराजमान हो जाएंगे और इसी के साथ ही अपने रामलला के दर्शन करने के लिए राम मंदिर का पट हमेशा के लिए खोल दिया जाएगा. तो वहीं इन सबके अयोध्या के राम जन्मभूमि परिसर में कुबेर टीला आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. तो वहीं जिसने इसे बनाया है, वह 98 साल के हैं और अभी भी उनके बूढ़े हाथ थके नहीं हैं और वह अभी एक बड़े काम में भी लगे हुए हैं.
बता दें कि अयोध्या के राम जन्मभूमि परिसर में कांस्य की जटायु की 30 फीट ऊंची प्रतिमा है जिसे कुबेर टीला नाम दिया गया है. इसे नोएडा की एक वर्कशॉप में तैयार किया गया है. इसे जाने-माने मूर्तिकार राम वांजी सूरत ने इसे बनाया है, जो कि 98 साल के हैं मगर अभी उनकी नक्काशी जारी है. अभी भी उनके बूढ़े हाथ थके नहीं हैं और लगातार काम को आगे बढ़ाते जा रहे हैं. बता दें कि, श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से राम सूरत और अनिल को जटायु टीला तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई थी. इसके लिए इन्हें 2 विकल्प दिए गए थे. पहला यह था कि इस पैराणिक पक्षी को आक्रामक मोड में दिखाया जाए और दूसरा यह रहा कि वो उड़ते हुए नजर आए. इसको लेकर 65 साल के अनिल बताते हैं कि, ‘मंदिर ट्रस्ट को फ्लाइंग मोड पसंद आया. तो वहीं भगवान राम की मूर्ति को लेकर हमने 3 डिजाइन पेश किए. इनमें से एक में राम को अयोध्या के राजा के तौर पर दिखाया गया था जो उन्हें पसंद आई.’
अनिल ने बताया कि, 251 मीटर लंबी भगवान राम की प्रतिमा बनाई जा रही है जिसे सरयू नदी के किनारे लगाया जाएगा. उन्होंने दावा किया कि, इस प्रतिमा के स्थापित हो जाने के बाद यह दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति हो जाएगी. मालूम हो कि, गुजरात में लगी स्टैच्यू ऑफ यूनिटी 182 मीटर ऊंची है और सबसे बड़ी प्रतिमा का रिकॉर्ड अभी तक राम वांजी के पास ही है. उनके बेटे अनिल उनके साथ हमेशा हाथ बंटाते हैं. जहां एक ओर राम मंदिर निर्माण के बाद हर कोई अब राम मंदिर के दर्शन करना चाहता है तो वहीं अब भक्त जटायु टीला के भी दर्शन करना चाहते हैं.
गौरतलब है कि मंदिर में 16 जनवरी से प्राण-प्रतिष्ठा को लेकर अनुष्ठान जारी है. तो वहीं मंदिर के बारे में जानकारी देते हुए मंदिर न्यास के महासचिव चंपत राय ने मीडिया को बताया कि, मंदिर में प्रवेश पूर्व दिशा से और निकास दक्षिण दिशा से होगा और संपूर्ण मंदिर अधिरचना अंततः तीन मंजिला होगी. मुख्य मंदिर तक पहुंचने के लिए पर्यटक पूर्वी दिशा से 32 सीढ़ियां चढ़ेंगे. उन्होंने बताया कि, पारंपरिक नागर शैली में निर्मित मंदिर परिसर 380 फीट लंबा, 250 फीट चौड़ा और 161 फीट ऊंचा होगा.
-भारत एक्सप्रेस
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