Varanasi News: उत्तर प्रदेश के वाराणसी के करखियांव में अमूल बनास डेयरी प्लांट का उद्धाटन 23 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे. इस मौके पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व राज्यपाल आनंदी बेन पटेल के अलावा वाराणसी समेत पूर्वांचल के एक लाख से अधिक गो पालक और किसान मौजूद रहेंगे. तो वहीं माना जा रहा है कि वाराणसी में नवनिर्मित बनास काशी संकुल का लोकार्पण पूर्वांचल के लिए सहकार से समृद्धि की तरफ बड़ा कदम होगा. गुजरात में किसान एवं पशुपालकों के लिए सहकार से समृद्धि को यथार्थ में बदलने वाला यह मॉडल उत्तर प्रदेश की सहकारिता को मजबूत बनाएगा.
बता दें कि प्रधानमंत्री के कार्यक्रम को देखते हुए आयोजन स्थल पर तैयारी तेज गति से आगे बढ़ रही है तो वहीं बनास काशी संकुल की बात अगर करें तो ये 30 एकड़ में फैला हुआ है. यह 8 एलएलपीडी (8 लाख लीटर प्रति दिन) का दूध प्रोसेसिंग संयंत्र है. इस पर 622 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. वर्तमान में बनास डेरी का दूध का कारोबार उत्तर प्रदेश के 47 जिलों (सात पूर्वाचल में) के 4600 गांवों में फैला है. यह दूध संग्रहण अगले साल तक 70 जिलों के 7000 गांवों तक विस्तारित होगा, जिसमें पूर्वाचल में 15 नए जिलों का विस्तार भी शामिल है.
खबरों के मुताबिक, पूर्वांचल में 600 से ज्यादा समितियां चालू हैं. 1300 से ज्यादा बन चुकी हैं, जो वर्ष के आखिर तक बढ़कर 2600 समितियां हो जाएंगी. बनास डेरी मौजूदा समय में यूपी में 3.5 लाख दूध उत्पादकों के साथ काम कर रही है, इनमें से 58 हजार दूध उत्पादक पूर्वांचल व वाराणसी के हैं. बनास डेयरी की मानें तो वर्तमान में खुशीपुर, चोलापुर, मिर्जापुर, गाजीपुर और दूबेपुर में 5 चिलिंग सेंटर काम कर रहे हैं और अगले माह तक 8 और चालू हो जाएंगे. वर्तमान में उत्तर प्रदेश से 19 लाख लीटर प्रतिदिन से अधिक दूध एकत्रित किया जा रहा है, जिसमें औसतन 3 लाख लीटर प्रतिदिन दूध पूर्वांचल और वाराणसी से आ रहा है.
बता दें कि उत्तर प्रदेश में इस साल के अंत तक यह संख्या बढ़कर प्रतिदिन 25 लाख लीटर हो जाएगी, जिसमें 7 लाख लीटर प्रतिदिन वाराणसी और पूर्वांचल से आएगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 13 दिसंबर 2021 को बनास काशी संकुल की आधारशिला रखी थी. बनास डेरी अपने वाराणसी प्लांट के जरिये 750 लोगों को प्रत्यक्ष और 81,000 लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार दे रही है. इसमें दूध उत्पादक और किसान भी शामिल हैं.
बता दें कि बनास काशी संकुल में न सिर्फ़ दूध प्रोसेसिंग किया जाएगा बल्कि दूध से यहां की सुप्रसिद्ध मिठाइयां जैसे की लाल पेड़ा और लौंगलत्ता भी बनाई जाएगी, जो कि अमूल के ब्रांड से बाजार में उपलब्ध होगी. इससे बनारस की इन मिठाइयों को राष्ट्रीय पहचान मिल सकेगी. मिली जानकारी के मुताबिक, बनास डेरी ने बनास काशी संकुल में प्रतिदिन 10,000 किलोग्राम क्षमता की पारंपरिक भारतीय मिठाइयों के निर्माण की अत्याधुनिक सुविधा स्थापित की है. इस संयंत्र में विभिन्न मिठाइयाँ जैसे लाल पेड़ा, लौंगलता, बेसन के लड्डू, मोतीचूर के लड्डू, रसमलाई, रबड़ी, काजू कतली, मिल्क केक, रसगुल्ला और गुलाब जामुन को बनाया जाएगा.
बता दें कि इन सभी मिठाइयों का निर्माण यथासंभव स्वचालित रूप से सबसे स्वच्छ वातावरण और उपकरणों में किया जाएगा, ताकि मिठाई की लगातार गुणवत्ता, सेल्फ लाइफ और पारंपरिक स्वाद को सुनिश्चित किया जा सके. विभिन्न मिठाइयों की पैकिंग उपभोक्ता की आवश्यकता के अनुसार विभिन्न SKU में की जाएगी. मिठाइयों की ताजगी, सेल्फ लाइफ और उपभोक्ताओं की सुविधा बढ़ाने के लिए लालपेड़ा, लड्डू, लौंगलता और काजू कतली के लिए सिंगल सर्व पैकिंग की शुरुआत इस प्लांट से की जा रही है. वाराणसी की प्रसिद्ध मिठाईयों को अमूल ब्रांड के तहत राष्ट्रीय बाजारों तक पहुंचाया जाएगा.
इनपुट- सौरभ अग्रवाल
-भारत एक्सप्रेस
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