छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में सोमवार को हुए नक्सली हमले ने सुरक्षा बलों को एक बड़ा झटका दिया. कुटरू थाना क्षेत्र के अंबेली गांव के पास नक्सलियों ने आईईडी ब्लास्ट किया, जिसमें 8 जवान और एक चालक शहीद हो गए. इस हमले ने यह सवाल खड़ा किया कि आखिर इस तरह के बड़े हमले को अंजाम कैसे दिया गया, जबकि सुरक्षा बलों के खिलाफ हालिया अभियान में कई नक्सली मारे गए थे.
ब्लास्ट से दूर-दूर तक बिखर गए गाड़ी के पुर्जे
यह भयानक घटना दोपहर सवा दो बजे हुई. आईईडी से विस्फोट होने के बाद जवानों की पिकअप गाड़ी के पुर्जे दूर-दूर तक बिखर गए, जबकि सड़क पर 10 फीट गहरा गड्ढा हो गया. धमाका इतना शक्तिशाली था कि गाड़ी के कुछ टुकड़े 20 फीट ऊंचे पेड़ पर पाए गए. इस हमले में जिला रिजर्व गार्ड (DRG) के जवान और एक नागरिक चालक की मौत हो गई. घटना के बाद सुरक्षा अधिकारियों ने स्थिति को काबू करने के लिए तत्काल कार्रवाई की, लेकिन सवाल उठ रहे हैं कि ऐसे हमले को कैसे अंजाम दिया गया.
यह हमला 2023 में नक्सलियों द्वारा सुरक्षाबलों पर किए गए सबसे बड़े हमलों में से एक था. 26 अप्रैल 2023 को दंतेवाड़ा जिले में एक वाहन को उड़ा दिया गया था, जिसमें 10 पुलिसकर्मी और एक चालक शहीद हो गए थे. इस बार हुए हमले में भी नक्सलियों ने पहले से ज्यादा ताकत और रणनीति के साथ हमला किया.
हमले के समय सुरक्षा बलों को किसी तरह की चेतावनी नहीं मिली. कुछ जानकारों का मानना है कि यह हमला इंटेलिजेंस फेलियर का नतीजा हो सकता है. जो जवान अबूझमाड़ क्षेत्र में ऑपरेशन के बाद लौट रहे थे, वे सामान्य पिकअप वाहन में सवार थे, जबकि इस इलाके में बुलेटप्रुफ गाड़ी का इस्तेमाल करना चाहिए था. सुरक्षा के मानकों की अनदेखी इस हमले का कारण बन सकती है.
हालांकि, नक्सलियों के खिलाफ पिछले कुछ महीनों में बड़े अभियान चलाए गए हैं, जिसमें कई माओवादियों का सफाया किया गया है. अधिकारियों का मानना है कि इस हमले के पीछे नक्सलियों की बौखलाहट हो सकती है. उनके कमजोर होते मनोबल को मजबूत करने के लिए उन्होंने इस हमले को अंजाम दिया. इस हमले के बावजूद सुरक्षा बलों का मनोबल ऊंचा है, और वे बस्तर को नक्सल मुक्त बनाने के अभियान में लगे हुए हैं.
प्रदेश के उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने कहा कि इस हमले की जांच की जाएगी और इसके कारणों को स्पष्ट किया जाएगा. वहीं, डिप्टी सीएम अरूण साव ने कहा कि यह हमला नक्सलियों की बौखलाहट का परिणाम है, और सुरक्षा बलों के मनोबल पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा.
यह हमला सरकार और सुरक्षा बलों के लिए एक चेतावनी हो सकती है कि वे अपनी रणनीति को और भी मजबूत करें. अब देखना यह है कि इस घटना के बाद सरकार नक्सलवाद के खिलाफ अपनी रणनीति को कैसे मजबूत करती है और भविष्य में ऐसे हमलों से कैसे निपटती है.
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