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सुप्रीम कोर्ट ने पेंशन के मामले में देरी पर कहा- राज्यों के पास मुफ्त की रेवड़ियां बांटने के लिए पैसे हैं, लेकिन जजों की सैलरी-पेंशन देने के लिए नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने जजों के पेंशन के मामले में लगातार हो रही देरी को लेकर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि राज्यों के पास लोगों को मुफ्त सुविधाएं देने के लिए पर्याप्त पैसे है लेकिन जब जजों की सैलरी और पेंशन देने की बात आती है तो वित्तीय संकट का हवाला देने लगती है. जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ए जी मसीह की बेंच ने यह टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा कि राज्य के पास मुफ्त की रेवड़ियां बांटने के लिए पैसे है, लेकिन जजों की सैलरी-पेंशन देने के लिए नहीं है.

चुनावी वादों पर की टिप्पणी

कोर्ट ने यह टिप्पणी तब की जब अटॉर्नी जनरल आर वैंकटरमणि ने कहा कि सरकार को न्यायिक अधिकारियों के वेतन और सेवानिवृति लाभों पर निर्णय लेते समय वित्तीय बढ़ाओ पर विचार करना होगा. कोर्ट की यह टिप्पणी विशेष रूप से महाराष्ट्र सरकार की लाडली-बहना योजना और दिल्ली में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा किए जा रहे चुनावी वादों का हवाला देते हुए कहा है. कोर्ट ने कहा कि कोई 2100 रुपए तो कोई 2500 रुपए देने का वादा कर रहा है, लेकिन जजों को वेतन और पेंशन देने के लिए पैसे नहीं है.

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने जिला अदालतों के रिटायर्ड जजों को मिलने वाले सेवानिवृत्त लाभ और पेंशन की मांग वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा था कि पेंशन से संबंधित कई मामले काफी गंभीर है. सीजेआई ने कहा था कि जिला अदालतों के रिटायर्ड जजों को सिर्फ 15000 रुपये प्रतिमाह पेंशन मिलता है. एक महिला जज साल में 96000 हजार यानी प्रत्येक माह 8000 रुपये पेंशन मिल रहा है.

61-62 साल की उम्र में वकालत नहीं कर सकते

सीजेआई ने यह भी कहा था कि अब जिला अदालतों के जज पदोन्नति होकर हाईकोर्ट आये हैं. लेकिन उस समय तक उनकी उम्र 56-57 साल हो चुकी होती है. इस उम्र में वो आर्बिट्रेशन का मामले में नहीं ले रहे है और उनको 30000 हजार रुपये पेंशन मिलती है. इसलिए इस मुद्दे पर सरकार को विचार करने की जरूरत है. कोर्ट ने कहा था कि लंबी सेवा के बाद, वे कैसे सर्वाइव करेंगे. यह उस तरह का सेवा कार्यालय है, जहां आप पूरी तरह से अक्षम हो जाते है. आप अचानक प्रेक्टिस में नहीं कूद सकते है और 61-62 साल की उम्र में हाईकोर्ट में वकालत शुरू नहीं कर सकते हैं.

केंद्र सरकार योगदान दे तो लागू हो जाएगा

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ऑल इंडिया जजेज एसोसिएशन की याचिका पर सुनवाई कर रहा है. जिस याचिका पर पूर्व में दूसरे राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने के लिए निर्देश दिए थे. इस बारे में एमिकस क्यूरी के. परमेश्वर से राज्यों से हलफनामों के हवाले से कहा कि विभिन्न राज्य सिफारिशें लागू करने से भारी वित्तीय बोझ का जिक्र कर विरोध कर रहे है. राज्यों का कहना है कि पेंशन में केंद्र सरकार योगदान दे तो वह इसे लागू कर सकते है.


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-भारत एक्सप्रेस

गोपाल कृष्ण

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