देश

Bindeshwar Pathak Death: नहीं रहे सुलभ शौचालय को इंटरनेशनल ब्रांड बनाने वाले बिंदेश्वर पाठक, 80 साल की उम्र में दुनिया को कहा अलविदा

Bindeshwar Pathak Death: सुलभ शौचालय को इंटरनेशनल ब्रांड बनाने वाले सोशल एक्टिविस्ट बिंदेश्वर पाठक का मंगलवार को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. उन्होंने एम्स दिल्ली में अंतिम सांस ली. बिंदेश्वर पाठक सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक थे. पीटीआई के अनुसार, बिंदेश्वर पाठक ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया, उसके तुरंत बाद वो गिर गए. आनन-फानन में उन्हें एम्स दिल्ली में भर्ती कराया गया, जहां उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया.

बिंदेश्वर पाठक के निधन को पीएम मोदी ने देश के लिए बड़ी हानि बताया है. उन्होंने ट्वीट के जरिये डॉक्टर पाठक को श्रद्धांजलि दी. उन्होंने ट्वीट में लिखा, “डॉक्टर बिंदेश्वर पाठक का निधन हमारे देश के लिए बड़ा नुकसान है. वह सामाजिक प्रगति और वंचितों को सशक्त बनाने के लिए बड़े पैमाने पर काम करने वाले दूरदर्शी व्यक्ति थे.

कौन थे बिंदेश्वर पाठक?

बता दें कि डॉक्टर बिंदेश्वर पाठक का जन्म बिहार के वैशाली जिले के रामपुर बाघेल गांव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था. अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद कुछ समय तक उन्होंने शिक्षक का काम किया. इसके बाद पाठक गांधी शताब्दी समिति में शामिल हो गए. बिंदेश्वर पाठक मध्य प्रदेश के सागर विश्वविद्यालय से अपराध विज्ञान में स्नातकोत्तर की पढ़ाई करना चाहते थे. सागर की यात्रा के दौरान, उन्हें किसी ने गांधी शताब्दी समिति में शामिल होने की सलाह दी. चूंकि पैसा समय की ज़रूरत थी, पाठक आश्वस्त थे. हालांकि, जब उन्होंने समिति से संपर्क किया, तो उन्हें पता चला कि कोई नौकरी नहीं है. इसके बाद उन्होंने स्वयंसेवक के रूप में काम किया.

यह भी पढ़ें: UP Politics: मायावती के भतीजे आकाश आनंद और भीम आर्मी चीफ के बीच छिड़ी जुबानी जंग! चंद्रशेखर ने कहा- ऐसे नौसिखिए…

जब बिंदेश्वर पाठक ने सुनाई ती दर्दनाक कहानी

जैसा कि सुलभ इंटरनेशनल सोशल सर्विस ऑर्गनाइजेशन की वेबसाइट पर बताया गया है, बिंदेश्वर पाठक ने एक बार कहा, “एक दिन, वहां काम करते हुए मैंने एक दर्दनाक घटना देखी. मैंने देखा कि एक सांड लाल शर्ट पहने एक लड़के पर हमला कर रहा है. जब लोग उसे बचाने के लिए दौड़े तो किसी ने चिल्लाकर कहा कि वह अछूत है. भीड़ ने तुरंत उसका साथ छोड़ दिया और उसे मरने के लिए छोड़ दिया.” पाठक आगे कहते हैं, “इस दुखद और अन्यायपूर्ण घटना ने मेरी अंतरात्मा को अंदर तक झकझोर दिया था. उस दिन, मैंने महात्मा गांधी के सपनों को पूरा करने की शपथ ली, जो अछूतों के अधिकारों के लिए लड़ना है,  बल्कि अपने देश और दुनियाभर में मानवीय गरिमा और समानता के मुद्दे का समर्थन करना है. यह मेरा मिशन बन गया.”

-भारत एक्सप्रेस

Rakesh Kumar

Sr. Sub-Editor

Recent Posts

दिल्ली हाईकोर्ट ने RSS सदस्य शांतनु सिन्हा पर दर्ज मानहानि के मामले में BJP नेता अमित मालवीय को नोटिस जारी कर मांगा जवाब

RSS सदस्य शांतनु सिन्हा द्वारा अमित मालवीय के खिलाफ ‘बंगाली’ में एक फेसबुक पोस्ट किया…

6 hours ago

अफगानिस्तान में महिलाएं क्यों नारकीय जीवन जीने के लिए अभिशप्त हैं?

महिलाओं के खिलाफ घिनौने कृत्य अनंत काल से होते आ रहे हैं और ये आज…

7 hours ago

दिल्ली हाईकोर्ट ने चांदनी चौक के आसपास के क्षेत्रों से अवैध गतिविधियों को हटाने का दिया निर्देश

पीठ चांदनी चौक सर्व व्यापार मंडल द्वारा दायर जनहित याचिका पर विचार कर रहा है,…

7 hours ago

PM Modi’s Gifts: Global Diplomacy में भारत की सांस्कृतिक धरोहर की झलक, राज्यों से भेजे गए ये उपहार

देश के विभिन्‍न राज्‍यों में तैयार किए गए गिफ्ट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अंतर्राष्ट्रीय यात्राओं…

9 hours ago

जब एक हाथी को भीड़ के सामने दे दी गई थी फांसी, अमेरिका का ये काला इतिहास आपको झकझोर देगा

एक बेघर व्यक्ति को मारने के बदले में भीड़ ने तय किया कि हाथिनी मैरी…

10 hours ago