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बॉम्बे हाईकोर्ट ने केंद्र की Fact Check Unit को किया खारिज, IT Act संशोधन को बताया ‘असंवैधानिक’

बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) के ‘टाई-ब्रेकर’ जज (Tie-Breaker Judge) ने शुक्रवार (20 सितंबर) को आईटी नियमों (IT Rules) में 2023 के संशोधन को रद्द कर दिया, जो केंद्र सरकार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपने व्यवसाय के बारे में ‘फर्जी और भ्रामक’ जानकारी की पहचान करने के लिए Fact Check Unit (FCU) स्थापित करने का अधिकार देता है.

केंद्र सरकार को झटका देते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने संशोधित सूचना प्रौद्योगिकी (IT) नियम, 2021 को ‘असंवैधानिक’ करार देते हुए खारिज कर दिया. जस्टिस अतुल एस. चंदूरकर ने खंडित फैसले पर अंतिम निर्णय देते हुए संशोधित आईटी नियमों (IT Rules) को चुनौती देने वाली याचिकाओं को अनुमति दे दी.

अनुच्छेद 14 और 19 का उल्लंघन

जस्टिस चंदूरकर ने जस्टिस गौतम एस. पटेल की राय से सहमति जताते हुए नियम 3(1)(बी)(वी) के माध्यम से आईटी नियमों में संशोधन को रद्द कर दिया. जनवरी 2024 में जस्टिस गौतम एस. पटेल और जस्टिस नीला के. गोखले की खंडपीठ द्वारा विभाजित फैसला सुनाए जाने के बाद इस मुद्दे पर अपनी ‘राय’ रखते हुए जस्टिस अतुल चंदूरकर ने कहा, ‘मेरा मानना ​​है कि ये संशोधन भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और अनुच्छेद 19 का उल्लंघन हैं.’

जस्टिस पटेल ने नियमों को पूरी तरह से खारिज कर दिया था, जबकि जस्टिस गोखले ने नियमों की वैधता को बरकरार रखा था. जस्टिस चंदूरकर ने कहा कि संशोधन अनुच्छेद 21 का भी उल्लंघन करते हैं.

जस्टिस चंदूरकर ने कहा कि उक्त नियम आईटी अधिनियम के दायरे से बाहर है. उन्होंने कहा कि ‘नकली, झूठा या भ्रामक’ शब्द ‘अस्पष्ट’ हैं. न्यायाधीश ने कहा, ‘संशोधित नियम को निरस्त किया जाए. सभी याचिकाओं को निर्णय के लिए खंडपीठ के समक्ष रखा जाएगा.’

PIB के तहत Fact Check Unit

केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय ने 20 मार्च को प्रेस सूचना ब्यूरो (PIB) के तहत एक वैधानिक निकाय के रूप में फैक्ट चेक यूनिट को अधिसूचित किया था, जिसके पास सोशल मीडिया साइटों पर केंद्र सरकार और उसकी एजेंसियों से संबंधित झूठी जानकारी को चिह्नित करने की शक्तियां थीं.

पिछली सुनवाई में क्या हुआ था

इस वर्ष 31 जनवरी को बॉम्बे हाईकोर्ट की दो न्यायाधीशों वाली खंडपीठ ने संशोधित आईटी नियमों को चुनौती देने वाली याचिकाओं के एक समूह पर विभाजित फैसला सुनाया था.

जस्टिस गौतम एस. पटेल (अब सेवानिवृत्त) ने याचिकाकर्ताओं की दलीलों से सहमति जताते हुए संशोधन को खारिज कर दिया था, जबकि जस्टिस नीला के. गोखले ने सरकार के पक्ष को बरकरार रखा था. इसके बाद हाईकोर्ट नियमों के तहत मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय ने जस्टिस चंदूरकर को तीसरे न्यायाधीश (Tie-Breaker Judge) के रूप में अपनी राय देने के लिए नियुक्त किया था.

याचिकाकर्ताओं का क्या कहना था

इस मामले में याचिकाकर्ताओं, स्टैंड-अप कॉमेडियन कुणाल कामरा (Kumal Kamra), Editors Guild of India, Digital Association of Indian Magazines ने एक अंतरिम आवेदन दायर कर फैक्ट चेक यूनिट के प्रभाव पर रोक लगाने की मांग की थी. इनका कहना था कि जब तक तीसरा न्यायाधीश योग्यता के आधार पर अपनी राय नहीं दे देता, तब तक इसका गठन नहीं किया जाएगा.

-भारत एक्सप्रेस

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